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यास्क और व्याकरण (वेदांग)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

यास्क और व्याकरण (वेदांग) के बीच अंतर

यास्क vs. व्याकरण (वेदांग)

यास्क वैदिक संज्ञाओं के एक प्रसिद्ध व्युत्पतिकार एवं वैयाकरण थे। इनका समय 5 से 6 वीं सदी ईसा पूर्व था। इन्हें निरुक्तकार कहा गया है। निरुक्त को तीसरा वेदाङग् माना जाता है। यास्क ने पहले 'निघण्टु' नामक वैदिक शब्दकोश को तैयार किया। निरुक्त उसी का विशेषण है। निघण्टु और निरुक्त की विषय समानता को देखते हुए सायणाचार्य ने अपने 'ऋग्वेद भाष्य' में निघण्टु को ही निरुक्त माना है। 'व्याकरण शास्त्र' में निरुक्त का बहुत महत्व है। . वेदांग (वेद के अंग) छ: हैं, जिसमें से व्याकरण एक है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र का अधययन किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है। इसके मूलतः पाँच प्रयोजन हैं - रक्षा, ऊह, आगम, लघु और असंदेह। व्याकरण की जड़ें वैदिकयुगीन भारत तक जाती हैं। व्याकरण की परिपाटी अत्यन्त समृद्ध है जिसमें पाणिनि का अष्टाध्यायी नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ भी शामिल है। 'व्याकरण' से मात्र 'ग्रामर' का अभिप्राय नहीं होता बल्कि यह भाषाविज्ञान के अधिक निकट है। साथ ही इसका दार्शनिक पक्ष भी है। संस्कृत व्याकरण वैदिक काल में ही स्वतंत्र विषय बन चुका था। नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात - ये चार आधारभूत तथ्य यास्क (ई. पू. लगभग 700) के पूर्व ही व्याकरण में स्थान पा चुके थे। पाणिनि (ई. पू. लगभग 550) के पहले कई व्याकरण लिखे जा चुके थे जिनमें केवल आपिशलि और काशकृत्स्न के कुछ सूत्र आज उपलब्ध हैं। किंतु संस्कृत व्याकरण का क्रमबद्ध इतिहास पाणिनि से आरंभ होता है। संस्कृत व्याकरण का इतिहास पिछले ढाई हजार वर्ष से टीका-टिप्पणी के माध्यम से अविच्छिन्न रूप में अग्रसर होता रहा है। इसे सजीव रखने में उन ज्ञात अज्ञात सहस्रों विद्वानों का सहयोग रहा है जिन्होंने कोई ग्रंथ तो नहीं लिखा, किंतु अपना जीवन व्याकरण के अध्यापन में बिताया। .

यास्क और व्याकरण (वेदांग) के बीच समानता

यास्क और व्याकरण (वेदांग) आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाणिनि, संस्कृत भाषा, वैदिक सभ्यता, वेदांग

पाणिनि

पाणिनि (५०० ई पू) संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है। अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें प्रकारांतर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है। उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, ख़ान-पान, रहन-सहन आदि के प्रसंग स्थान-स्थान पर अंकित हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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वैदिक सभ्यता

प्राचीन भारत वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यता को अनादि परम्परा आया हुआ मानते हैं | पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग 1500 इस्वी ईसा पूर्व आया और उनके आगमन के साथ ही यह सभ्यता आरंभ हुई थी। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल 1500 इस्वी ईसा पूर्व से 500 इस्वी ईसा पूर्व के बीच मे मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननो से मिले अवशेषों मे वैदिक सभ्यता के कई अवशेष मिले हैं जिससे आधुनिक विद्वान जैसे डेविड फ्राले, तेलगिरी, बी बी लाल, एस र राव, सुभाष काक, अरविन्दो यह मानने लगे है कि वैदिक सभ्यता भारत मे ही शुरु हुई थी और ऋग्वेद का रचना शुंग काल में हुयी, क्योंकि आर्यो के भारत मे आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननो से प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानो से कोई प्रमाण मिला है इस काल में वर्तमान हिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो आज भी अस्तित्व में है। वेदों के अतिरिक्त संस्कृत के अन्य कई ग्रंथो की रचना भी इसी काल में हुई थी। वेदांगसूत्रौं की रचना मन्त्र ब्राह्मणग्रंथ और उपनिषद इन वैदिकग्रन्थौं को व्यवस्थित करने मे हुआ है | अनन्तर रामायण, महाभारत,और पुराणौंकी रचना हुआ जो इस काल के ज्ञानप्रदायी स्रोत मानागया हैं। अनन्तर चार्वाक, तान्त्रिकौं,बौद्ध और जैन धर्म का उदय भी हुआ | इतिहासकारों का मानना है कि आर्य मुख्यतः उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में रहते थे इस कारण आर्य सभ्यता का केन्द्र मुख्यतः उत्तरी भारत था। इस काल में उत्तरी भारत (आधुनिक पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा नेपाल समेत) कई महाजनपदों में बंटा था। .

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वेदांग

वेदांग हिन्दू धर्म ग्रन्थ हैं। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त - ये छ: वेदांग है।.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

यास्क और व्याकरण (वेदांग) के बीच तुलना

यास्क 13 संबंध है और व्याकरण (वेदांग) 47 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 6.67% है = 4 / (13 + 47)।

संदर्भ

यह लेख यास्क और व्याकरण (वेदांग) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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