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मूर्धन्य व्यंजन

सूची मूर्धन्य व्यंजन

मूर्धन्य व्यंजन (retroflex consonant) ऐसे किरीट व्यंजन (यानि जिह्वा के लचीले के सामने के हिस्से से उच्चारित) होते हैं जो जिह्वा द्वारा वर्त्स्य कटक और कठोर तालू के बीच उच्चारित होते हैं। इनमें "ट", "ठ", "ड", "ढ", "ड़" और "ण" शामिल हैं। .

4 संबंधों: जीभ, वर्त्स्य कटक, कठोर तालू, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

जीभ

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है। .

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वर्त्स्य कटक

मानवों और कुछ अन्य प्राणियों के मुँहों में वर्त्स्य कटक (alveolar ridge) या दंतउलूखल कटक जबड़ों के सामने वाली बाढ़ होती है जो ऊपर के दांतों के ऊपर व पीछे तथा नीचे के दांतों के नीचे व पीछे होती है। इसमें दाँत समूहने वाले गढढे होते हैं। वर्त्स्य कटकों को जिह्वा से छुआ जा सकता है और उनमें छोटे उतार-चढ़ाव महसूस किए जा सकते हैं। भाषा में वर्त्स्य कटकों का प्रयोग कई ध्वनियों के उच्चारण में होता है। जीभ के अंत या धार को वर्त्स्य कटक से छू कर उच्चारित होने वाले व्यंजनों में त, द, स, ज़, न, ल, इत्यादि शामिल हैं जो सामूहिक रूप से वर्त्स्य व्यंजन कहलाते हैं। .

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कठोर तालू

मानवों व अन्य स्तनधारियों में कठोर तालू (hard palate) खोपड़ी की एक हड्डीदार पट्टी होती है जो मुँह कि छ्त पर स्थित होती है और तालू का आगे का भाग होती है। जिह्वा से छूने पर यह सख़्त प्रतीत होता है जबकि तालू का नरम तालू कहलाने वाला भाग मुलायम प्रतीत होता है। .

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अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध्व॰व॰, अंग्रेज़ी: International Phonetic Alphabet, इंटरनैशनल फ़ोनॅटिक ऐल्फ़ाबॅट) एक ऐसी लिपि है जिसमें विश्व की सारी भाषाओं की ध्वनियाँ लिखी जा सकती हैं। इसके हर अक्षर और उसकी ध्वनि का एक-से-एक का सम्बन्ध होता है। आरम्भ में इसके अधिकतर अक्षर रोमन लिपि से लिए गए थे, लेकिन जैसे-जैसे इसमें विश्व की बहुत सी भाषाओँ की ध्वनियाँ जोड़ी जाने लगी तो बहुत से यूनानी लिपि से प्रेरित अक्षर लिए गए और कई बिलकुल ही नए अक्षरों का इजाद किया गया। इसमें सन् २०१० तक १६० से अधिक ध्वनियों के लिए चिह्न दर्ज किए जा चुके थे, लेकिन किसी भी एक भाषा को दर्शाने के लिए इस वर्णमाला का एक भाग की ही ज़रुरत होती है। इस प्रणाली के ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन (ट्रान्सक्रिप्शन) में सूक्ष्म प्रतिलेखन के चिन्हों के बीच में और स्थूल प्रतिलेखन / / के चिन्हों के अन्दर लिखे जाते हैं। इसकी नियामक अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ है। उदाहरण के लिए.

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