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मुहम्मद शाह, सैयद और सैयद वंश

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मुहम्मद शाह, सैयद और सैयद वंश के बीच अंतर

मुहम्मद शाह, सैयद vs. सैयद वंश

मुहम्मद शाह, सय्यद सय्यद वंश का तीसरा शासक था। जिनका शासन १४३४-४४ तक रहा। इनका शासन काल इसलिए भी जाना जाता है कि उस दौरान सरहिंद के अफगान सूबेदार बहलोल लोधी ने पंजाब के बाहर अपने प्रभाव को बढ़ा लिया था। वह लगभग स्वतंत्र हो गया था। इसी दौरान मुहम्मद शाह का पुत्र और उनका उत्तराधिकारी अलाउद्दीन आलम शाह दिल्ली के शासन का भार अपने एक साले और शहर पुलिस अधीक्षक का भार दूसरे साले पर छोड़कर बदायूं चला गया था। उसके जाने के बाद दोनों ही अलग-थलग पड़ गए और १४५१ में बहलोल लोधी ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया।, अभिगमन तिथि ८ अगस्त, २००९ . सैयद वंश अथवा सय्यद वंश दिल्ली सल्तनत का चतुर्थ वंश था जिसका कार्यकाल १४१४ से १४५१ तक रहा। उन्होंने तुग़लक़ वंश के बाद राज्य की स्थापना की और लोधी वंश से हारने तक शासन किया। यह परिवार सैयद अथवा मुहम्मद के वंशज माने जाता है। तैमूर के लगातार आक्रमणों के कारण दिल्ली सल्तनत का कन्द्रीय नेतृत्व पूरी तरह से हतास हो चुका था और उसे १३९८ तक लूट लिया गया था। इसके बाद उथल-पुथल भरे समय में, जब कोई केन्द्रीय सत्ता नहीं थी, सैयदों ने दिल्ली में अपनी शक्ति का विस्तार किया। इस वंश के विभिन्न चार शासकों ने ३७-वर्षों तक दिल्ली सल्तनत का नेतृत्व किया। इस वंश की स्थापना ख़िज्र खाँ ने की जिन्हें तैमूर ने मुल्तान (पंजाब क्षेत्र) का राज्यपाल नियुक्त किया था। खिज़्र खान ने २८ मई १४१४ को दिल्ली की सत्ता दौलत खान लोदी से छीनकर सैयद वंश की स्थापना की। लेकिन वो सुल्तान की पदवी प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाये और पहले तैम्मूर के तथा उनकी मृत्यु के पश्चात उनके उत्तराधिकारी शाहरुख मीर्ज़ा (तैमूर के नाती) के अधीन तैमूरी राजवंश के रयत-ई-अला (जागीरदार) ही रहे। ख़िज्र खान की मृत्यु के बाद २० मई १४२१ को उनके पुत्र मुबारक खान ने सत्ता अपने हाथ में ली और अपने आप को अपने सिक्कों में मुइज़्ज़ुद्दीन मुबारक शाह के रूप में लिखवाया। उनके क्षेत्र का अधिक विवरण याहिया बिन अहमद सरहिन्दी द्वारा रचित तारीख-ए-मुबारकशाही में मिलता है। मुबारक खान की मृत्यु के बाद उनका दतक पुत्र मुहम्मद खान सत्तारूढ़ हुआ और अपने आपको सुल्तान मुहम्मद शाह के रूप में रखा। अपनी मृत्यु से पूर्व ही उन्होंने बदायूं से अपने पुत्र अलाउद्दीन शाह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। इस वंश के अन्तिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह ने स्वेच्छा से दिल्ली सल्तनत को १९ अप्रैल १४५१ को बहलूल खान लोदी के लिए छोड़ दिया और बदायूं चले गये। वो १४७८ में अपनी मृत्यु के समय तक वहाँ ही रहे। .

मुहम्मद शाह, सैयद और सैयद वंश के बीच समानता

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मुहम्मद शाह, सैयद और सैयद वंश के बीच तुलना

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संदर्भ

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