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मुस्तफ़ा प्रथम

सूची मुस्तफ़ा प्रथम

मुस्तफ़ा प्रथम (24 जून 1591 – 20 जनवरी 1639), पुण्य मुस्तफ़ा (Veli Mustafa) या पागल मुस्तफ़ा (Deli Mustafa) के नामों से भी पहचाने जाते हैं, महमद तृतीय एवं हलीमा सुल्तान के पुत्र और 1617 से 1618 तक और फिर 1622 से 1623 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। .

10 संबंधों: मनिसा, महमद तृतीय, मुराद चतुर्थ, सुन्नी इस्लाम, हागिया सोफिया, इस्तांबुल, क़ुस्तुंतुनिया, अहमद प्रथम, उस्मान द्वितीय, उस्मानी साम्राज्य

मनिसा

तुर्की का एक प्रांत। श्रेणी:तुर्की के प्रान्त en:Turkey.

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महमद तृतीय

महमद तृतीय (महमद-इ सालिस; III.; 26 मई 1566–21 दिसम्बर 1603) 1595 से अपनी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान थे। वे अपने पिता मुराद तृतीय की जगह सुल्तानी तख़्त पर आसीन हुए। .

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मुराद चतुर्थ

मुराद चतुर्थ (مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे। उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी। .

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सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

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हागिया सोफिया

हागिया सोफिया का बाहरी दृश्य। हागिया सोफिया या आयासोफ़िया (Church of Holy Wisdom या वर्तमान आयादफया संग्रहालय) एक पूर्व पूर्वी आरथोडोकस चर्च जिसे १४५३ में जीत कस्न्निया के बाद उस्मान बिजान्तिनों ने मस्जिद में बदल दिया। १९३५ में आतातुर्क ने उसकी गिरजे व मस्जिद के रूप समाप्त करके उसे संग्रहालय बना दिया। हागिया सोफिया तुर्की के शहर इस्तांबुल में स्थित है और बलाशक और संदेह दुनिया के इतिहास में सबसे इमारतों में गिना जाता है। लातिनी भाषा में उसे सेंकटा सोफ़िया (Sancta Sophia) और तुर्की भाषा में आयासोफ़िया (Ayasofya) कहा जाता है। अंग्रेजी में कभी कभी उसे सेंट सोफ़िया(Saint Sophia) भी कहा जाता है। .

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इस्तांबुल

इतिहास में कस्न्निया के नाम से प्रसिद्ध तुर्की शहर इस्तांबुल (तुर्की: İstanbul) के नाम से जाना जाता है) देश का सबसे बड़ा शहर और उसकी सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है। शहर राज्य इस्तांबुल राष्ट्रपति स्थान है। आबनाईे बासतुरस और उसकी प्राकृतिक बंदरगाह शाखा मुहाना (तुर्की: Haliç) के किनारे स्थित तुर्की का उत्तर पश्चिमी शहर बासतुरस एक ओर यूरोप क्षेत्र थरेस और दूसरी ओर एशिया के क्षेत्र आना्ऑलियह तक फैला हुआ है इस तरह वह दुनिया का एकमात्र शहर है जो दो महाद्वीपों में स्थित है। इस्तांबुल तारीख़े आलम का एकमात्र शहर जो तीन महान सटिनतों की राजधानी रहा है जिनमें ३३० ई. से ३९५ ई। तक रोमन साम्राज्य, ३९५ ए से १४५३ ई. तक बीजान्टिन साम्राज्य और १४५३ ई. से १९२३ ई। तक राज्य इतमानिया शामिल हैं। १९२३ ई. में तुर्की गणराज्य की स्थापना के बाद राजधानी अंकारा कर दिया गया। २००० की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी ८८ लाख 3 हजार ४६८ ए और कल शहरी क्षेत्र की आबादी एक करोड़ १८ हजार ७३५ है इस तरह इस्तांबुल यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। शहर को २०१० के लिए पैक्स, हंगरी और आसन, जर्मनी के साथ यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया है। इतिहास में शहर ने निवासियों की संस्कृति, भाषा और धर्म के आधार पर कई नाम बदले जिनमें से बाज़नटियम, कस्न्निया और इस्तांबुल भी जाने जाते हैं। शहर को "सात पहाड़ियों का शहर" कहा जाता है क्योंकि शहर का सबसे प्राचीन क्षेत्र सात पहाड़ियों पर बना हुआ है जहां हर पहाड़ी की चोटी पर एक मस्जिद स्थापित है। .

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क़ुस्तुंतुनिया

क़ुस्तुंतुनिया या कांस्टैंटिनोपुल (यूनानी: Κωνσταντινούπολις कोन्स्तान्तिनोउपोलिस या Κωνσταντινούπολη कोन्स्तान्तिनोउपोली; लातीनी: Constantinopolis कोन्स्तान्तिनोपोलिस; उस्मानी तुर्कीयाई: قسطنطینية, Ḳosṭanṭīnīye कोस्तान्तिनिये‎), बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन बाइज़ेंटाइन सम्राट कोन्स्टान्टिन प्रथम द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया। .

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अहमद प्रथम

अहमद प्रथम (احمد اول; I.; 18 अप्रैल 1590 – 22 नवम्बर 1617) 1603 से 1617 उनकी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। अहमद के दौर में "भ्रातृवध" की शाही उस्मानी परंपरा समाप्त हुई थी, इसके बाद किसी उस्मानी शासक ने तख़्त आसीन होने पर इनके सभी भाइयों का वध नहीं किया। वे नीली मस्जिद, तुर्की की सबसे जानी पहचानी मस्जिदों में से एक, के निर्माण करने हेतु प्रसिद्ध हैं। .

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उस्मान द्वितीय

उस्मान द्वितीय (عثمان ثانى ‘ओसमान-इ सआनी; 3 नवम्बर 1604 – 20 मई 1622), जो तुर्की में गेंच ओस्मान (Genç Osman, जवान उस्मान) के नाम से भी पहचाने जाते हैं, 1618 से 20 मई 1622, अपनी हत्या तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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