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मीरा बाई और हिंदी साहित्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मीरा बाई और हिंदी साहित्य के बीच अंतर

मीरा बाई vs. हिंदी साहित्य

राजा रवि वर्मा द्वारा बनाया गया मीराबाई का चित्र मीराबाई (१५०४-१५५८) कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनता के प्रती एक गहरी टीस है, जो भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो गयी है। मीरा बाई ने कृष्ण-भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। . चंद्रकांता का मुखपृष्ठ हिन्दी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली और मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पाई जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ और इसने अपनी शुरुआत कविता के माध्यम से जो कि ज्यादातर लोकभाषा के साथ प्रयोग कर विकसित की गई।हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। .

मीरा बाई और हिंदी साहित्य के बीच समानता

मीरा बाई और हिंदी साहित्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): मीरा बाई

मीरा बाई

राजा रवि वर्मा द्वारा बनाया गया मीराबाई का चित्र मीराबाई (१५०४-१५५८) कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनता के प्रती एक गहरी टीस है, जो भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो गयी है। मीरा बाई ने कृष्ण-भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। .

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मीरा बाई और हिंदी साहित्य के बीच तुलना

मीरा बाई 7 संबंध है और हिंदी साहित्य 89 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.04% है = 1 / (7 + 89)।

संदर्भ

यह लेख मीरा बाई और हिंदी साहित्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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