लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मिस्र का अठारहवां वंश

सूची मिस्र का अठारहवां वंश

मिस्र का अठारहवां वंश के शासकों की सूचि.

4 संबंधों: तुथंखमुन, थुतमोस तृतीय, मिस्र का अठारहवां वंश, अखेनातेन

तुथंखमुन

तुतनखामुन का मुखौटा, प्राचीन मिस्र के लिए एक लोकप्रिय चिन्ह, मिस्र के संग्रहालय में स्थित. तुतनखामुन (१३४१-१३२३ BC) मिस्र का फारो था जिसकी कब्र को हावर्ड कार्टर ने १९२२ में खोला। वह राजा तुत के रूप में लोकप्रिय है। यह अखेनातेन का पुत्र था। वह १३३३ BC में गद्दी पर तुतनखामुन के नाम से बैठा तब उसकी उम्र ९ या १० वर्ष थी। तुतनखामुन को मतलब है "अमुन की छवि वाला"। श्रेणी:प्राचीन मिस्र श्रेणी:मिस्र के फैरो.

नई!!: मिस्र का अठारहवां वंश और तुथंखमुन · और देखें »

थुतमोस तृतीय

थुतमोस तृतीय (१४७९-१४२५ ईसापूर्व) प्राचीन मिस्र के नविन साम्राज्य के अठारहवें राजवंश का छठा फैरो था और मिस्र के इतिहास का सबसे महान फैरो भी| अपने शासन काल के पहले २२ वर्ष वह राज्याधिकारी के रूप में अपनी सौतेली माँ हत्शेप्सुत के साथ राज करता रहा| हत्शेप्सुत ने थुतमोस को अपना सेनापति नियुक्त किया था। हत्शेप्सुत की मृत्यु के बाद थुतमोस अगला फैरो बना, उसने लघभग १७ सैन्य अभियान किये और मिस्र का सबसे बड़ा साम्राज्य खड़ा किया जो उत्तर में फ़ोनीशिया और फ़रात नदी तक,पश्चिम में लीबिया तक और दक्षिण में नील नदी के चौथे जल-प्रपात तक यानि नुबिया तक था। उसका सम्पूर्ण शासन काल ५४ वर्ष का है, प्रतिशासक के रूप में २२ वर्ष मिलाकर| उसके नाम का अर्थ है "देवता थोथ ने जन्म लिया",यह संकेत है की वह देवता थोथ का उपासक था। श्रेणी:प्राचीन मिस्र श्रेणी:फैरो श्रेणी:मिस्र के शासक.

नई!!: मिस्र का अठारहवां वंश और थुतमोस तृतीय · और देखें »

मिस्र का अठारहवां वंश

मिस्र का अठारहवां वंश के शासकों की सूचि.

नई!!: मिस्र का अठारहवां वंश और मिस्र का अठारहवां वंश · और देखें »

अखेनातेन

फारो अखेनातेन फारो अखेनातेन (१३५१-१३३४ ईपू) मिस्र के १८वें वंश का था। उसने मिस्र के प्राचीन धर्म पर प्रतिबन्ध लगाया और केवल अतेन नामी सूर्य की चक्रिका की उपासना का आदेश दिया। उसे पाश्चात्य विद्वान विश्व का पहला एकेश्वरवादी मानते हैं। पहले इसका नाम अमेनहोतेप ४ था। पर नया धर्म चलाने के पश्चात इसने यह बदलकर अखेनातेन कर दिया। अखेनातेन और उसका परिवार सूर्य की पूजा करता हुआनेफरतिति उसकी पहली पत्नी थी। मित्तानी राजकुमारी तदुक्षिपा उसकी दूसरी रानी बनी। एक अवधारणा यह है कि इसका धार्मिक परिवर्तन तदुक्षिपा के आगम की भ्रमित समझ पर आधारित था। सुभाष काक के अनुसार उसके सूर्य स्तोत्र और ऋग्वेद के सूर्य सूक्तों में महत्त्वपूर्ण सादृश्य है। अखेनातेन का सूर्य स्तोत्र बाइबल के पूर्वविधान (Old Testament) में १०४वें स्तोत्र के रूप में मिलता है। उसकी मृत्यु पशचात उसके नये धर्म दबाया गया। कुछ विद्वान समझते हैं कि मूसा ने इसी के विचारों को दुबारा उठाना चाहा। यदि यह सिद्धान्त सही है तो यह विडम्बना है कि अखेनातन की परम्परा, जिसे यहूदी ईसाई और इसलामी धर्मों का पूर्वरूप माना जाता है, स्वयं इसकी विरोधी सनातन धर्म की परम्परा पर आधारित है। अखेनातेन, नेफरतिति और उनके बच्चे .

नई!!: मिस्र का अठारहवां वंश और अखेनातेन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

मिस्र का १८वां राजवंश

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »