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मानस शास्त्र और विलियम जेम्स

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मानस शास्त्र और विलियम जेम्स के बीच अंतर

मानस शास्त्र vs. विलियम जेम्स

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health). विलियम जेम्स (William James; 11 जनवरी, 1842 – 26 अगस्त, 1910) अमेरिकी दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक थे जिन्होने चिकित्सक के रूप में भी प्रशिक्षण पाया था। इन्होंने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से पृथक किया था, इसलिए इन्हें मनोविज्ञान का जनक भी मन जाता है। विलियम जेम्स ने मनोविज्ञान के अध्ययन हेतु एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "प्रिंसिपल्स ऑफ़ साइकोलॉजी" है। इसका भाई हेनरी जेम्स प्रख्यात उपन्यासकार था। आकर्षक लेखनशैली और अभिव्यक्ति की कुशलता के लिये जेम्स विख्यात हैं। विलियम जेम्स का जन्म ११ जनवरी १८४२ को न्यूयार्क में हुआ। जेम्स ने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में चिकित्साविज्ञान का अध्ययन किया और वहीं १८७२ से १९०७ तक क्रमश: शरीरविज्ञान, मनोविज्ञान और दर्शन का प्राध्यापक रहा। १८९९ से १९०१ तक एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में प्राकृतिक धर्म पर और १९०८ में ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में दर्शन पर व्याख्यान दिए। २६ अगस्त, १९१० को उसकी मृत्यु हो गई। १८९० में उसकी पुस्तक प्रिंसिपिल्स ऑव् साइकॉलाजी प्रकाशित हुई, जिसने मनोविज्ञान के क्षेत्र में क्रांति सी मचा दी, और जेम्स को उसी एक पुस्तक से जागतिक ख्याति मिल गई। अपनी अन्य रचनाओं में उसने दर्शन तथा धर्म की समस्याओं को सुलझाने में अपनी मनोवैज्ञानिक मान्यताओं का उपयोग किया और उनका समाधान उसने अपने फलानुमेयप्रामाणवाद (Pragmatism) और आधारभूत अनुभववाद (Radical Empiricism) में पाया। फलानुमेयप्रामाणवादी जेम्स ने 'ज्ञान' को बृहत्तर व्यावहारिक स्थिति का, जिससे व्यक्ति स्वयं को संसार में प्रतिष्ठित करता है, भाग मानते हुए 'ज्ञाता' और 'ज्ञेय' को जीवी (Organism) और परिवेश (Environment) के रूप में स्थापित किया है। इस प्रकार सत्य कोई पूर्ववृत्त वास्तविकता (Antecedent Reality) नहीं है, अपितु वह प्रत्यय की व्यावहारिक सफलता के अंशों पर आधारित है। सभी बौद्धिक क्रियाओं का महत्व उनकी व्यावहारिक उद्देश्यों की पूर्ति की क्षमता में निहित है। आधारभूत अनुभववाद जेम्स ने पहले मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। जॉन लॉक और जार्ज बर्कली के मतों से भिन्न उसकी मान्यता थी कि चेतना की परिवर्तनशील स्थितियाँ परस्पर संबंधित रहती हैं; तदनुसार समग्र अनुभव की स्थितियों में संबंध स्थापित हो जाता है; मस्तिष्क आदि कोई बाह्य शक्ति उसमें सहायक नहीं होती। मस्तिष्क प्रत्यक्ष अनुभव की समग्रता में भेद करता है। फलानुमेय प्रामाण्यवाद और आधारभूत अनुभववाद पर ही जेम्स की धार्मिक मान्यताएँ आधृत हैं। फलानुमेय प्रामाण्यवाद सत्य की अपेक्षा धार्मिक विश्वासों की व्याख्या में अधिक सहायक था; क्योंकि विश्वास प्राय: व्यावहारिक होते हैं यहाँ तक कि तर्कों के प्रमाण के अभाव में भी मान्य होते हैं; किंतु परिणामवादीदृष्टिकोण से सत्य की, परिभाषा स्थिर करना संदिग्ध है। 'द विल टु बिलीव' में जेम्स ने अंतःकरण के या संवेगजन्य प्रमाणों पर बल दिया है और सिद्ध किया है कि उद्देश्य (Purpose) और संकल्प (Will) ही व्यक्ति के दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं। 'द वेराइटीज़ ऑव रिलीजस एक्सपीरियेंस' में जेम्स ने व्यक्ति को निष्क्रिय और शक्तिहीन दिखलाया है तथा यह भी प्रदर्शित किया है कि उसकी रक्षा कोई बाह्य शक्ति करती है। जेम्स के अनुभववाद से धार्मिक अनुभूति की व्याख्या इसलिये असंभव है कि इन अनुभूतियों का व्यक्ति के अवचेनत से सीधा संबंध होता है। जेम्स के धर्मदर्शन में तीन बातें मुख्य हैं-.

मानस शास्त्र और विलियम जेम्स के बीच समानता

मानस शास्त्र और विलियम जेम्स आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चेतना, दर्शनशास्त्र, मस्तिष्क

चेतना

१७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .

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दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है। यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है। स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है। यह मुख्य ज्ञानेन्द्रियों, आँख, नाक, जीभ और कान से जुड़ा हुआ, उनके करीब ही स्थित होता है। मस्तिष्क सभी रीढ़धारी प्राणियों में होता है परंतु अमेरूदण्डी प्राणियों में यह केन्द्रीय मस्तिष्क या स्वतंत्र गैंगलिया के रूप में होता है। कुछ जीवों जैसे निडारिया एंव तारा मछली में यह केन्द्रीभूत न होकर शरीर में यत्र तत्र फैला रहता है, जबकि कुछ प्राणियों जैसे स्पंज में तो मस्तिष्क होता ही नही है। उच्च श्रेणी के प्राणियों जैसे मानव में मस्तिष्क अत्यंत जटिल होते हैं। मानव मस्तिष्क में लगभग १ अरब (१,००,००,००,०००) तंत्रिका कोशिकाएं होती है, जिनमें से प्रत्येक अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से १० हजार (१०,०००) से भी अधिक संयोग स्थापित करती हैं। मस्तिष्क सबसे जटिल अंग है। मस्तिष्क के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है। अतः मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है। तंत्रिका विज्ञान का क्षेत्र पूरे विश्व में बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। बडे-बड़े तंत्रिकीय रोगों से निपटने के लिए आण्विक, कोशिकीय, आनुवंशिक एवं व्यवहारिक स्तरों पर मस्तिष्क की क्रिया के संदर्भ में समग्र क्षेत्र पर विचार करने की आवश्यकता को पूरी तरह महसूस किया गया है। एक नये अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि मस्तिष्क के आकार से व्यक्तित्व की झलक मिल सकती है। वास्तव में बच्चों का जन्म एक अलग व्यक्तित्व के रूप में होता है और जैसे जैसे उनके मस्तिष्क का विकास होता है उसके अनुरुप उनका व्यक्तित्व भी तैयार होता है। मस्तिष्क (Brain), खोपड़ी (Skull) में स्थित है। यह चेतना (consciousness) और स्मृति (memory) का स्थान है। सभी ज्ञानेंद्रियों - नेत्र, कर्ण, नासा, जिह्रा तथा त्वचा - से आवेग यहीं पर आते हैं, जिनको समझना अर्थात् ज्ञान प्राप्त करना मस्तिष्क का काम्र है। पेशियों के संकुचन से गति करवाने के लिये आवेगों को तंत्रिकासूत्रों द्वारा भेजने तथा उन क्रियाओं का नियमन करने के मुख्य केंद्र मस्तिष्क में हैं, यद्यपि ये क्रियाएँ मेरूरज्जु में स्थित भिन्न केन्द्रो से होती रहती हैं। अनुभव से प्राप्त हुए ज्ञान को सग्रह करने, विचारने तथा विचार करके निष्कर्ष निकालने का काम भी इसी अंग का है। .

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मानस शास्त्र और विलियम जेम्स के बीच तुलना

मानस शास्त्र 106 संबंध है और विलियम जेम्स 13 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.52% है = 3 / (106 + 13)।

संदर्भ

यह लेख मानस शास्त्र और विलियम जेम्स के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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