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मानस शास्त्र और विचारधारा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मानस शास्त्र और विचारधारा के बीच अंतर

मानस शास्त्र vs. विचारधारा

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health). विचारधारा, सामाजिक राजनीतिक दर्शन में राजनीतिक, कानूनी, नैतिक, सौंदर्यात्मक, धार्मिक तथा दार्शनिक विचार चिंतन और सिद्धांत प्रतिपादन की व्यवस्थित प्राविधिक प्रक्रिया है। विचारधारा का सामान्य आशय राजनीतिक सिद्धांत रूप में किसी समाज या समूह में प्रचलित उन विचारों का समुच्चय है जिनके आधार पर वह किसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन विशेष को उचित या अनुचित ठहराता है। विचारधारा के आलोचक बहुधा इसे एक ऐसे विश्वास के विषय के रूप में व्यवहृत करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। तर्क दिया जाता है कि किसी विचारधारा विशेष के अनुयायी उसे अपने आप में सत्य मानकर उसका अनुसरण करते हैं, उसके सत्यापन की आवश्यकता नहीं समझी जाती। वस्तुतः प्रत्येक विचारधारा के समर्थक उसकी पुष्टि के लिए किंचित सिद्धांत और तर्क अवश्य प्रस्तुत करते हैं और दूसरे के मन में उसके प्रति आस्था और विश्वास पैदा करने का प्रयत्न करते हैं। .

मानस शास्त्र और विचारधारा के बीच समानता

मानस शास्त्र और विचारधारा आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चिंतन, दर्शनशास्त्र

चिंतन

चिंतन अवधारणाओं, संकल्पनाओं, निर्णयों तथा सिद्धांतो आदि में वस्तुगत जगत को परावर्तित करने वाली संक्रिया है जो विभिन्न समस्याओं के समाधान से जुड़ी हुई है। चिंतन विशेष रूप से संगठित भूतद्रव्य-मस्तिष्क- की उच्चतम उपज है। चिंतन का संबंध केवल जैविक विकासक्रम से ही नहीं अपितु सामाजिक विकास से भी है। चिंतन का उद्भव लोगों के उत्पादन कार्यकलाप की प्रक्रिया के दौरान होता है और वह यथार्थ का व्यवहृत परावर्तन सुनिश्चित करता है। अपने विशिष्ट मूल, क्रियाकलाप के ढंग और परिणामों की दृष्टि से उसका स्वरूप सामाजिक होता है। इसकी पुष्टि इस बात में है कि चिंतन श्रम तथा वाणी के कार्यकलाप से, जो केवल मानव समाज की अभिलाक्षणकताएं हैं, अविच्छेद्य रूप में जुड़ा हुआ है। इसी कारण मनुष्य का चिंतन वाणी के साथ घनिष्ठ रखते हुए मूर्त रूप ग्रहण करता है और उसका परिणाम भाषा के रूप में व्यक्त होता है। .

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दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

मानस शास्त्र और विचारधारा के बीच तुलना

मानस शास्त्र 106 संबंध है और विचारधारा 23 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 1.55% है = 2 / (106 + 23)।

संदर्भ

यह लेख मानस शास्त्र और विचारधारा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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