16 संबंधों: नार्डिक, नीग्रोइड्स, भूमध्यसागरीय प्रजाति, भूगोल, मानव त्वचा का रंग, माइक्रोनेशियन, मंगोलायड प्रजाति, मॅलानिशियाई लोग, होमो सेपियन्स, वैदा लोग, खोईखोई लोग, आस्ट्रेलायड्रस, आइनू लोग, कांगो बेसिन के पिग्मी, काकेसाइड या श्वेत प्रजाति, अल्पाइन जलवायु।
नार्डिक
इस प्रजाति के लोग स्कैण्डीनेविया तथा ब्रिटिश द्विप समूह में निवास करते हैं। श्रेणी:यूरोप की मानव जातियाँ.
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नीग्रोइड्स
नीग्रोइड्स प्रजाति, एक मानव प्रजाति हैं। अनेक विद्वान इस प्रजाति को विश्व की प्रथम प्रजाति का दर्जा देतें हैं। इसका निवास क्षेत्र दक्षिणी अफ्रीका से केप ऑफ गुड होप तक पाया जाता हैं। यह गहरे भूरे काले रंग वाली प्रजाति हैं एवं इसके बाल ऊन के समान घुंघराले होते हैं। श्रेणी:अफ़्रीका की मानव जातियाँ he:שחורים nl:Zwarten tr:Siyahiler.
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भूमध्यसागरीय प्रजाति
भारत, स्पेन, दक्षिणी इटली, उत्तरी अफ्रिका के निवासी हैं। श्रेणी:मानव जातियाँ en:Mediterranean race fa:نژاد مدیترانهای he:הגזע הים-תיכוני ja:地中海人種 ru:Средиземноморская раса.
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भूगोल
पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .
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मानव त्वचा का रंग
मानव त्वचा का रंग गहरे भूरे से लेकर हल्के गुलाबी-श्वेत तक विस्तृत परास रखता है। मानव त्वचा वर्णकता प्राकृतिक वरण का परिणाम है। मानव में त्वचा वर्णकता का विकास मुख्यतः त्वचा का वेधन करने वाली पराबैंगनी विकिरणों की मात्रा को विनयमित करने और इसके जीव-रासायनिक प्रभावों नियंत्रित करने से हुआ। भिन्न लोगों का वास्तविक रंग विभिन्न तत्वों पर निर्भर करता है यद्यपि सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व मेलानिन वर्णक है। मेलानिन का निर्माण त्वचा की असिताणु नामक कोशिकाओं के अन्दर होता है और गहरे श्याम वर्ण के लोगों की त्वचा का रंग इससे ही निर्धारित होता है। हल्के रंग के लोगों की त्वचा का रंग बाहरी त्वचा के नीले-सफेद संयोजी ऊतकों और शिराओं में प्रावहित होने वाले हीमोग्लोबिन से निर्धारित होता है। त्वचा में अंतर्निहित लाल रंग दृश्यमान होता है जो मुख्य रूप से चेहरे पर कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में अधिक दिखाई देता है जैसे व्यायाम के उपरांत, तन्त्रिका तन्त्र की उत्तेजित अवस्था (गुस्सा, डर) धमनिका में फुलाव की स्थिति। .
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माइक्रोनेशियन
माइक्रोनेशियन प्रजाति, एक मानव प्रजाति हैं। श्रेणी:ओशिआनिया की मानव जातियाँ.
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मंगोलायड प्रजाति
मंगोलायड प्रजाति, एक मानव प्रजाति हैं। इस प्रजाति का निवास केवल एशिया महाद्वीप में पाया जाता हैं। इससे सम्बन्धित लोगो की त्वचा का रंग पीला, शरीर पर बालों की एकदम कमी और माथा चौड़ा होता हैं। इस प्रजाति की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी अधखुली आंखे हैं। श्रेणी:एशिया की मानव जातियाँ श्रेणी:मानव जातियाँ.
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मॅलानिशियाई लोग
मॅलानिशियाई प्रशांत महासागर के मॅलानिशिया क्षेत्र के निवासी हैं। वे पॉलिनीशिया क्षेत्र के पड़ोसी हैं लेकिन जहाँ पॉलिनीशियाई लोगों का रंग ज़रा हल्का होता है वहाँ मॅलानिशियाई लोग अधिकतर कृष्णवर्णीय होते हैं। इतिहासकारों का मानना है के मॅलानिशिया के मूल निवासी आधुनिक युग में पापुई भाषाओं को बोलने वाले लोगों के पूर्वज थे। यह मूल मॅलानिशियाई लोग कई द्वीपों पर फैले हुए थे जिसमें सोलोमोन द्वीप समूह भी शामिल था। आज से लगभग ४००० साल पूर्व इन मूल निवासियों का ऑस्ट्रोनेशियाई लोगों के साथ सम्पर्क हुआ। माना जाता है के यह पहला सम्पर्क नया गिनी के उत्तरी तट पर या उस से उत्तर के कुछ द्वीपों पर हुआ। इसके बाद मॅलानिशिया की भाषा, संस्कृति और जाती में कुछ ऑस्ट्रोनेशियाई मिश्रण भी हुआ जो आज के मॅलानिशियाई लोगों में देखा जाता है। .
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होमो सेपियन्स
होमो सेपियन्स/आधुनिक मानव स्तनपायी सर्वाहारी प्रधान जंतुओं की एक जाति, जो बात करने, अमूर्त्त सोचने, ऊर्ध्व चलने तथा परिश्रम के साधन बनाने योग्य है। मनुष्य की तात्विक प्रवीणताएँ हैं: तापीय संसाधन के द्वारा खाना बनाना और कपडों का उपयोग। मनुष्य प्राणी जगत का सर्वाधिक विकसित जीव है। जैव विवर्तन के फलस्वरूप मनुष्य ने जीव के सर्वोत्तम गुणों को पाया है। मनुष्य अपने साथ-साथ प्राकृतिक परिवेश को भी अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है। अपने इसी गुण के कारण हम मनुष्यों नें प्रकृति के साथ काफी खिलवाड़ किया है। आधुनिक मानव अफ़्रीका में 2 लाख साल पहले, सबके पूर्वज अफ़्रीकी थे। होमो इरेक्टस के बाद विकास दो शाखाओं में विभक्त हो गया। पहली शाखा का निएंडरथल मानव में अंत हो गया और दूसरी शाखा क्रोमैग्नॉन मानव अवस्था से गुजरकर वर्तमान मनुष्य तक पहुंच पाई है। संपूर्ण मानव विकास मस्तिष्क की वृद्धि पर ही केंद्रित है। यद्यपि मस्तिष्क की वृद्धि स्तनी वर्ग के अन्य बहुत से जंतुसमूहों में भी हुई, तथापि कुछ अज्ञात कारणों से यह वृद्धि प्राइमेटों में सबसे अधिक हुई। संभवत: उनका वृक्षीय जीवन मस्तिष्क की वृद्धि के अन्य कारणों में से एक हो सकता है। .
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वैदा लोग
सन् १८९० में ली गई कुछ वैदाओं की तस्वीर तीर्थयात्रा कर रही एक वैदा महिला एक वैदा परिवार वैदा (सिंहली: වැද්දා, तमिल: வேடுவர், अंग्रेज़ी: Vedda) या वैद्दा श्रीलंका की एक आदिवासी जनजाति है। इतिहासकारों का मानना है कि वे श्रीलंका के सबसे पहले मानव निवासी थे। पारम्परिक तौर से वैदा श्रीलंका के जंगलों के भीतर रहा करते थे। उनकी अपनी अलग वैदा भाषा थी, जिसकी मूल जड़ें अज्ञात हैं और जो अब विलुप्त हो चुकी है। सिंहली भाषा में वैदाओं को वन्नियल ऐत्तो (වන්නියලෑත්තන්, Wanniyala Aetto) भी कहते हैं, जिसका मतलब 'वन के लोग' है। .
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खोईखोई लोग
खोईखोई (Khoekhoe), जिन्हें सिर्फ़ खोई (Khoi) भी कहा जाता है, अफ़्रीका के दक्षिणी भाग में बसने वाले खोईसान लोगों की एक शाखा है। यह समुदाय बुशमैन समुदाय से क़रीबी सम्बन्ध रखता है और ५वी सदी से दक्षिणी अफ़्रीका में बसा हुआ है। यहा वे मवेशी पालन और अस्थाई कृषि में लगे हुए हैं। वे खोईखोई भाषाएँ बोलते हैं। इन भाषाओं में मौजूद क्लिक व्यंजनों की नकल में यूरोपी लोग खोईखोई लोगों को हॉटेनटॉट (Hottentot) कहते थे लेकिन अब यह एक अपमानजनक नाम माना जाता है इसलिये इसका प्रयोग कम हो गया है। .
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आस्ट्रेलायड्रस
आस्ट्रेलायड्रस, एक मानव प्रजाति हैं। श्रेणी:मानव जातियाँ.
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आइनू लोग
अपने परम्परागत परिधान में कुछ आइनू लोग एक आइनू पुरुष (सन् 1880 में खींची गई तस्वीर) आइनू (जापानी: アイヌ) जापान के उत्तरी भाग और रूस के सुदूर पूर्वी भाग में बसने वाली एक जनजाति है। यह होक्काइडो द्वीप, कुरिल द्वीपसमूह और साख़ालिन द्वीप पर रहते हैं। समय के साथ-साथ इन्होने जापानी लोगों से शादियाँ कर लीं हैं और उनमें मिश्रित हो चुके हैं। इस वजह से इनकी संख्या का सही अनुमान लगा पाना कठिन है। अंदाज़ा लगाया जाता है कि विश्व में 25,000 से 2,00,000 के बीच आइनू रहते हैं।Poisson, B. 2002, The Ainu of Japan, Lerner Publications, Minneapolis, p.5.
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कांगो बेसिन के पिग्मी
कांगो बेसिन के पिग्मी, एक मानव प्रजाति हैं। अपनी आनुवांशिक विशेषताओं के कारण पिग्मी भी एक विशेष प्रजाति हैं। इसका निवास क्षेत्र मध्य अफ्रीका की कांगो नदी घाटी हैं। इनका औसत कद पांच (५) फीट होती हैं। इनकी त्वचा का रंग काला, बाल घने घुमावदार होते हैं। इनके शरीर पर अधिक बाल पाए जाते हैं। श्रेणी:अफ़्रीका की मानव जातियाँ.
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काकेसाइड या श्वेत प्रजाति
काकेसाइड या श्वेत प्रजाति, एक मानव प्रजाति हैं।लोगो की त्वचा का रंग गुलाबीपन लिए भूरा,सिर के बाल मुलायम,होठ पतले आदि शारीरिक विशेषताये पाई जाती है। इनकी उत्पति यूरोप,दक्षिण एव दक्षिण-पश्चिम एशिया एव उतरी अफ्रीका के सम्मिलित क्षेत्र से माना गया है। श्रेणी:मानव जातियाँ श्रेणी:यूरोप की मानव जातियाँ.
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अल्पाइन जलवायु
कैलिफोर्निया के व्हाइट पहाड़ों में अल्पाइन जलवायु अल्पाइन जलवायु उस ऊँचाई की जलवायु को कहते हैं जो वृक्ष रेखा के ऊपर हो। किसी जगह की जलवायु अल्पाइन है तभी कहा जा सकता है जब वहाँ किसी भी महीने का औसत तापमान १०° सेल्सियस से ऊपर नहीं होता है। .
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