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मानचित्रकला

सूची मानचित्रकला

विश्व का मध्यकालीन (१४८२) निरूपण मानचित्र तथा विभिन्न संबंधित उपकरणों की रचना, इनके सिद्धांतों और विधियों का ज्ञान एवं अध्ययन मानचित्रकला (Cartography) कहलाता है। मानचित्र के अतिरिक्त तथ्य प्रदर्शन के लिये विविध प्रकार के अन्य उपकरण, जैसे उच्चावचन मॉडल, गोलक, मानारेख (cartograms) आदि भी बनाए जाते हैं। मानचित्रकला में विज्ञान, सौंदर्यमीमांसा तथा तकनीक का मिश्रण है। 'कार्टोग्राफी' शब्द ग्रीक Χάρτης, chartes or charax .

10 संबंधों: पुदुच्चेरी शहर, प्रौद्योगिकी, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भौगोलिक सूचना तंत्र, भूगणित, मानचित्र, मानचित्र प्रक्षेप, सौन्दर्यशास्त्र, विज्ञान, कंप्यूटर

पुदुच्चेरी शहर

पुदुच्चेरी शहर पुदुच्चेरी केन्द्र-शासित प्रदेश की राजधानी है। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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भारतीय सर्वेक्षण विभाग

भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भारत की नक्शे बनाने और सर्वेक्षण करने वाली केन्द्रीय एजेंसी है। इसका गठन १७६७ में ब्रिटिश इंडिया कम्पनी के क्षेत्रों को संगठित करने हेतु किया गया था। यह भारत सरकार के पुरातनतम अभियांत्रिक विभागों में से एक है। सर्वेक्षण विभाग की अद्भुत इतिहास रचना में व्याल/मैमथ महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण भी आते हैं। .

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भौगोलिक सूचना तंत्र

डिजिटल एलिवेशन प्रतिरूप, मानचित्र और वेक्टर डाटा भौगोलिक सूचना तंत्र या भौगोलिक सूचना प्रणाली अथवा संक्षेप में जी॰आई॰एस॰, (अंग्रेज़ी Geographic information system (GIS)) कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को भौगोलिक सूचना के साथ एकीकृत कर इनके लिए आंकड़े एकत्रण, प्रबंधन, विश्लेषण, संरक्षण और निरूपण की व्यवस्था करता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० मार्च २०१० भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली को मुख्यत: तीन तरीकों से देखा जा सकता है।.

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भूगणित

बेल्जियम के ओस्टेन्ड नामक स्थान पर स्थित एक पुराना भूगणितीय स्तम्भ (1855) भूगणित (Geodesy or Geodetics) भूभौतिकी एवं गणित की वह शाखा है जो उपयुक्त मापन एवं प्रेक्षण के आधार पर पृथ्वी के पृष्ठ पर स्थित बिन्दुओं की सही-सही त्रिबिम-स्थिति (three-dimensional postion) निर्धारित करती है। इन्ही मापनों एवं प्रेक्षणों के आधार पर पृथ्वी का आकार एवं आकृति, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र तथा भूपृष्ट के बहुत बड़े क्षेत्रों का क्षेत्रफल आदि निर्धारित किये जाते हैं। इसके साथ ही भूगणित के अन्दर भूगतिकीय (geodynamical) घटनाओं (जैसे ज्वार-भाटा, ध्रुवीय गति तथा क्रस्टल-गति आदि) का भी अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी के आकार तथा परिमाण का और भूपृष्ठ पर संदर्भ बिंदुओं की स्थिति का यथार्थ निर्धारण हेतु खगोलीय प्रेक्षणों की आवश्यकता होती है। इस कार्य में इतनी यथार्थता अपेक्षित है कि ध्रुवों (poles) के भ्रमण से उत्पन्न देशांतरों में सूक्ष्म परिवर्तनों पर और समीपवर्ती पहाड़ों के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न ऊर्ध्वाधर रेखा की त्रुटियों पर ध्यान देना पड़ता है। पृथ्वी पर सूर्य और चंद्रमा के ज्वारीय (tidal) प्रभाओं का भी ज्ञान आवश्यक है और चूँकि सभी थल सर्वेक्षणों में माध्य समुद्रतल (mean sea level) आधार सामग्री होता है, इसलिये माहासागरों के प्रमुख ज्वारों का भी अघ्ययन आवश्यक है। भूगणितीय सर्वेक्षण के इन विभिन्न पहलुओं के कारण भूगणित के विस्तृत अध्ययन क्षेत्र में अब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का, भूमंडल पृष्ठ समाकृति पर इसके प्रभाव का और पृथ्वी पर सूर्य तथा चंद्रमा के गुरुत्वीय क्षेत्रों के प्रभाव का अध्ययन समाविष्ट है। .

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मानचित्र

विश्व का मानचित्र (२००४, सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक) पृथ्वी के सतह के किसी भाग के स्थानों, नगरों, देशों, पर्वत, नदी आदि की स्थिति को पैमाने की सहायता से कागज पर लघु रूप में बनाना मानचित्रण कहलाता हैं। मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार एक सूक्ष्मदर्शी किसी छोटी वस्तु को बड़ा करके दिखाता है, उसके विपरीत मानचित्र किसी बड़े भूभाग को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे एक नजर में भौगोलिक जानकारी और उनके अन्तर्सम्बन्धों की जानकारी मिल सके। मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है। आजकल मानचित्र केवल धरती, या धरती की सतह, या किसी वास्तविक वस्तु तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिये चन्द्रमा या मंगल ग्रह की सतह का मानचित्र बनाया जा सकता है; किसी विचार या अवधारणा का मानचित्र बनाया जा सकता है; मस्तिष्क का मानचित्रण (जैसे एम आर आई की सहायता से) किया जा रहा है। .

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मानचित्र प्रक्षेप

विभिन्न प्रकार की भू-ग्रिड गोलाकार पृथ्वी अथवा पृथ्वी के किसी बड़े भू-भाग का समतल सतह पर मानचित्र बनाने के लिए प्रकाश अथवा ज्यामितीय विधियों के द्वारा निर्मित अक्षांस-देशान्तर रेखाओं के जाल या भू-ग्रिड को मानचित्र प्रक्षेप (map projection) कहा जाता हैं। मानचित्रकला (कार्टोग्राफी) के अंतर्गत ग्लोब की अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को समतल धरातल (कागज) पर स्थानांतरित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं। इस प्रकार खींची हुई अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को "रेखाजाल" कहा जाता है। ग्लोब की अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को किसी समतल धरातल पर विशुद्ध रूप से स्थानांतरित करना संभव नहीं, क्योंकि ग्लोब के वक्र धरातल को बिना किसी अशुद्धि के समतल नहीं किया जा सकता। .

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सौन्दर्यशास्त्र

प्रकृति में सर्वत्र सौन्दर्य विद्यमान है। सौंदर्यशास्त्र (Aesthetics) संवेदनात्म-भावनात्मक गुण-धर्म और मूल्यों का अध्ययन है। कला, संस्कृति और प्रकृति का प्रतिअंकन ही सौंदर्यशास्त्र है। सौंदर्यशास्त्र, दर्शनशास्त्र का एक अंग है। इसे सौन्दर्यमीमांसा ताथा आनन्दमीमांसा भी कहते हैं। सौन्दर्यशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें कलात्मक कृतियों, रचनाओं आदि से अभिव्यक्त होने वाला अथवा उनमें निहित रहने वाले सौंदर्य का तात्विक, दार्शनिक और मार्मिक विवेचन होता है। किसी सुंदर वस्तु को देखकर हमारे मन में जो आनन्ददायिनी अनुभूति होती है उसके स्वभाव और स्वरूप का विवेचन तथा जीवन की अन्यान्य अनुभूतियों के साथ उसका समन्वय स्थापित करना इनका मुख्य उद्देश्य होता है। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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