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महाभारत और यक्ष प्रश्न

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

महाभारत और यक्ष प्रश्न के बीच अंतर

महाभारत vs. यक्ष प्रश्न

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। . यह लेख यक्ष प्रश्न नामक एक हिन्दी कहावत पर है। अन्य यक्ष लेखों के लिए देखें: यक्ष (बहुविकल्पी) यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देते हुए युधिष्ठिर महाभारत में एक प्रसंग है कि प्यासे पाण्डवों को पानी पीने से रोकते हुए यक्ष ने पहले अपने प्रश्नों का उत्तर देने की शर्त रखी थी। यक्ष प्रश्न एक हिन्दी कहावत भी है। यह कहावत किसी ऐसी समस्या या परेशानी के सन्दर्भ में प्रयुक्त होती है जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है या समस्या जस-की-तस बनी हुई है। यक्ष प्रश्न नामक यह कहावत महाभारत में यक्ष द्वारा पाण्डवों से पूछे गए प्रश्नों से निकली। जब पाण्डव अपने वनवास के दिनों में वन-वन भटक रहे थे तब एक दिन वे लोग जल की खोज कर रहे थे। युधिष्ठिर ने सबसे पहले सहदेव को भेजा। वह एक सरोवर के निकट पहुँचा और जैसे ही जल पीने के लिए झुका उसे एक वाणी सुनाई दी। वह वाणी एक यक्ष की थी जो अपने प्रश्नों का उत्तर चाहता था। सहदेव ने वाणी को अनसुना कर पानी पी लिया और मारा गया। इसके बाद अन्य पाण्डव भाई भी आए और काल के गाल में समा गए। तब अन्त में धर्मराज युधिष्ठिर आए और यक्ष के प्रश्नों के सही-सही उत्तर दिए और अपने भाईयों को पुनः जीवित पाया। इसलिए आधुनिक युग में भी जब कोई समस्या होती है और उसका किसी के पास समाधान नहीं होता तो उसे यक्ष-प्रश्न की संज्ञा दी जाती है। यक्ष का अन्तिम प्रश्नों में से एक था: (अर्थ: प्रतिदिन ही प्राणी यम के घर में प्रवेश करते हैं, शेष प्राणी अनन्त काल तक यहाँ रहने की इच्छा करते हैं। क्या इससे बड़ा कोई आश्चर्य है?) जिनमें से एक (किमाश्चर्यम्) के उत्तर में युधिष्ठिर ने कहा: (अर्थ: प्रतिदिन ही प्राणी यम के घर में प्रवेश करते हैं, शेष प्राणी अनन्त काल तक यहाँ रहने की इच्छा करते हैं। इससे बड़ा और क्या आश्चर्य हो सकता है!) .

महाभारत और यक्ष प्रश्न के बीच समानता

महाभारत और यक्ष प्रश्न आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाण्डव, युधिष्ठिर, सहदेव

पाण्डव

पाण्डव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाण्डव पाँच भाई थे - युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव। .

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युधिष्ठिर

प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पांच पाण्डवों में सबसे बड़े भाई थे। वह पांडु और कुंती के पहले पुत्र थे। युधिष्ठिर को धर्मराज (यमराज) पुत्र भी कहा जाता है। वो भाला चलाने में निपुण थे और वे कभी झूठ नहीं बोलते थे। महाभारत के अंतिम दिन उसने अपने मामा शलय का वध किया जो कौरवों की तरफ था। .

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सहदेव

सहदेव महाभारत में पाँच पांडवों में से एक और सबसे छोटा था। वह माता माद्री के असमान जुड़वा पुत्रों में से एक थे, जिनका जन्म देव चिकित्सक अश्विनों के वरदान स्वरूप हुआ था। जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ था तब यह आकाशवाणी हुई की, ‘शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।’ .

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महाभारत और यक्ष प्रश्न के बीच तुलना

महाभारत 257 संबंध है और यक्ष प्रश्न 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.14% है = 3 / (257 + 7)।

संदर्भ

यह लेख महाभारत और यक्ष प्रश्न के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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