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महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक) के बीच अंतर

महाकाव्य vs. सावित्री (पुस्तक)

संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य (एपिक) का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया है और परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस महाकाव्य(एपिक)सूत्रबद्ध के लक्षण का विस्तार किया है। आचार्य विश्वनाथ का लक्षण निरूपण इस परंपरा में अंतिम होने के कारण सभी पूर्ववर्ती मतों के सारसंकलन के रूप में उपलब्ध है।महाकाव्य में भारत को भारतवर्ष अथवा भरत का देश कहा गया है तथा भारत निवासियों को भारती अथवा भरत की संतान कहा गया है . सावित्री (Savitri: A Legend and a Symbol) महर्षि अरविन्द द्वारा रचित अंग्रेजी महाकाव्य है। यह महाभारत की एक कथा पर आधारित है। यह महाकाव्य महर्षि अरविन्द के देहावसान के समय अपूर्ण था जिसमें कुल लगभग 24,000 पंक्तियाँ हैं। इस ग्रन्थ का अनुवाद विश्व की कई भाषाओ में हुआ है। इसको लिखने में श्रीअरविन्द को २४ वर्ष लगे। श्री नीरदवरण के अनुसार सावित्री को श्रीअरविन्द ने १२ बार लिखा था - इसलिए कि योगबल से श्रीअरविन्द चेतना के आकाश मे ज्यों-ज्यों ऊपर उठते गए सावित्री का संशोधन अनिवार्य होता गाया| श्री अरविंद के अनुसार सत्य तक जाने का सही मार्ग दर्शन नहीं, काव्य का मार्ग है| श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' के अनुसार सावित्री मेधा का काव्य नहीं है, कोई भी विलक्षण काव्य केवल मेधा के बल पर नहीं लिखा जाता| वस्तुतः जिस लोक की छोटी सी प्रकाश कणिका महाकवियों के मन को उदभाषित करके उनसे अलौकिक काव्य का निर्माण करती है, सावित्री प्रणयन उसी लोक के सूर्य के साथ बैठ कर किया गया है या क्या पता, श्री अरविंद उस सूर्य के साथ एकाकार हो गए हों| .

महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक) के बीच समानता

महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): महाभारत, रामधारी सिंह 'दिनकर'

महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर' (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया। .

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महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक) के बीच तुलना

महाकाव्य 66 संबंध है और सावित्री (पुस्तक) 5 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.82% है = 2 / (66 + 5)।

संदर्भ

यह लेख महाकाव्य और सावित्री (पुस्तक) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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