लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

महमूद ग़ज़नवी

सूची महमूद ग़ज़नवी

महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उनके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उन्होंने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उनको सुल्तान की पदवी दी। .

25 संबंधों: थार मरुस्थल, पारसी, प्राचीन ख़ुरासान, पेशावर, फ़ारसी भाषा, बल्ख़ प्रान्त, मर्व, मलिक अयाज़, मुहम्मद इक़बाल, सबुक तिगिन, सलजूक़ साम्राज्य, सामानी साम्राज्य, सुन्नी इस्लाम, हाफ़िज़ शिराज़ी, हकीम अबुल कासिम फिरदौसी तुसी, हेरात, ख़्वारेज़्म, ख़ोरासान, ग़ज़नवी साम्राज्य, ग़ज़नी, ग़ज़नी प्रान्त, कश्मीर, काफ़िरिस्तान, काराख़ानी ख़ानत, अब्बासी ख़िलाफ़त

थार मरुस्थल

थार मरुस्थल का दृष्य थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और थार मरुस्थल · और देखें »

पारसी

पारसी धर्म के अनुयायियों को पारसी कहा जाता है। यह ईरान (फ़ारस) के प्राचीन जरदोश्त धर्म को मानते है और आज ईरान तथा भारत के कुछ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। श्रेणी:पारसी धर्म.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और पारसी · और देखें »

प्राचीन ख़ुरासान

इस पुराने नक़्शे में ख़ोरासान नामकित है प्राचीन ख़ुरासान (फ़ारसी:, ख़ुरासान-ए-कहन) या प्राचीन ख़ोरासान मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र था जिसमें आधुनिक अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और पूर्वी ईरान के बहुत से भाग शामिल थे। इसमें कभी-कभी सोग़दा और आमू-पार क्षेत्र शामिल किये जाते थे। ध्यान दीजिये कि आधुनिक ईरान में एक 'ख़ोरासान प्रांत' है जो इस ऐतिहासिक ख़ुरासान इलाक़े का केवल एक भाग है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और प्राचीन ख़ुरासान · और देखें »

पेशावर

पेशावर पाकिस्तान का एक शहर है। यह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त की राजधानी है। पेशावर उल्लेख पुराने पुस्तकों में "पुरुषपुर" के नाम से मिलता है। इस उपमहाद्वीप के प्राचीन शहरों में से एक है। पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और कबायली इलाकों के वाणिज्यिक केंद्र है। पेशावर में पश्तो भाषा बोली जाती है लेकिन जब उर्दू पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा है इसलिए उर्दू भी माना जाता है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और पेशावर · और देखें »

फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और फ़ारसी भाषा · और देखें »

बल्ख़ प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का बल्ख़ प्रांत (नीले रंग में) बल्ख़ (फ़ारसी:, संस्कृत: वाह्लिका, अंग्रेजी: Balkh) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के उत्तरी भाग में स्थित है। बल्ख़ की राजधानी प्रसिद्ध मज़ार-ए-शरीफ़ शहर है। इसका क्षेत्रफल १७,२४९ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००६ में लगभग ११.२ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त का नाम इसी नाम के एक शहर पर पड़ा है जो राजधानी से २५ किलोमीटर पश्चिम की ओर है और अठारहवीं सदी तक शासन का केन्द्र था। इस क्षेत्र को हिन्द-ईरानी पूर्व के आर्यों के आगमन का प्रमुख केन्द्र माना जाता है जहाँ वो क़रीब २००० ईसापूर्व में आए होंगे। ईसा के दो सदी पूर्व में यह इलाक़ा ऐतिहासिक बैक्ट्रिया संस्कृति के क्षेत्र का केन्द्र था और इसी के नाम को यवनों ने बदलकर बैक्ट्रा रखा था। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और बल्ख़ प्रान्त · और देखें »

मर्व

मर्व के प्राचीन खँडहर सुलतान संजर का मक़बरा मर्व (अंग्रेज़ी: Merv, फ़ारसी:, रूसी: Мерв) मध्य एशिया में ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण नख़लिस्तान (ओएसिस) में स्थित शहर था। यह तुर्कमेनिस्तान के आधुनिक मरी नगर के पास था। भौगोलिक दृष्टि से यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार १२वीं शताब्दी में थोड़े से समय के लिए मर्व दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। प्राचीन मर्व के स्थल को यूनेस्को ने एक विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और मर्व · और देखें »

मलिक अयाज़

सुल्तान ग़ज़नवी के सामने मालिक अयाज़ झुकते हुए मलिक अयाज़ सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के ग़ुलाम और प्रेमी या महबूब थे। वे जोर्जियाई मूल के थे। उन्होंने ग़ज़नवी की सेना के अधिकारी बने और बाद में वे सेनापति बने। मलिक अयाज़ और ग़ज़नवी के बीच की बेपनाह मोहब्बत से प्रेरित कविताएँ और कहानियाँ, को कभी-कभी सेक्स संबंधों भी माना जाता है। लेकिन स्थानीय मुसलमान इतिहासकार और सूफ़ी मलिक अयाज़ को महमूद ग़ज़नवी के भरोसेमन्द सामन्तवादी वफ़ादार के रूप में याद करते हैं। आगया ऐन लड़ाई में अगर वक़्त-ए-नमाज़ क़िबला रोओ हो के ज़मीं-बोस हुई क़ौम-ए-हिजाज़ एक ही सफ़ में खड़े हो गए महमूद-ओ-अय्याज़ ना कोई बंदा रहा और ना कोई बंदा-नवाज़ बंदा-ओ-साहिब-ओ-मुहताज-ओ-ग़नी एक हुए तेरी सरकार में पहुंचे तो सभी एक हुए शिकवा, मुहम्मद इक़बाल .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और मलिक अयाज़ · और देखें »

मुहम्मद इक़बाल

मुहम्मद इक़बाल (محمد اقبال) (जीवन: 9 नवम्बर 1877 – 21 अप्रैल 1938) अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि, नेता और दार्शनिक थे। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे जो बाद में सिआलकोट आ गए। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं: असरार-ए-ख़ुदी, रुमुज़-ए-बेख़ुदी और बंग-ए-दारा, जिसमें देशभक्तिपूर्ण तराना-ए-हिन्द (सारे जहाँ से अच्छा) शामिल है। फ़ारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ इन्हें इक़बाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफ़ी लिखा है। इकबाल पाकिस्तान का जनक बन गए क्योंकि वह "पंजाब, उत्तर पश्चिम फ्रंटियर प्रांत, सिंध और बलूचिस्तान को मिलाकर एक राज्य बनाने की अपील करने वाले पहले व्यक्ति थे", इंडियन मुस्लिम लीग के २१ वें सत्र में,उनके अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था जो २९ दिसंबर,१९३० को इलाहाबाद में आयोजित की गई थी। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। 1930 में इन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई। इसके बाद इन्होंने जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया। इन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है। इन्हें अलामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) भी कहा जाता है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और मुहम्मद इक़बाल · और देखें »

सबुक तिगिन

सुबुक तिगिन (फ़ारसी - ابو منصور سبکتگین, अबु मंसूर सबक़तग़िन) ख़ोरासान के गज़नवी साम्राज्य का स्थापक था और भारत पर अपने आक्रमणों के लिए प्रसिद्ध महमूद गज़नवी का पिता। अल्प तिगिन, सामानी साम्राज्य का एक सूबेदार था जो ख़ोरासान (उत्तरी अफ़गानिस्तान, पूर्वोत्तर ईरान और सटा हुआ मध्य-एशिया) के शासक के रूप में काम करता था। सुबुकतिगिन उसका गुलाम था। जब अल्प तिगिन ने सामानी शासकों के खिलाफ विद्रोह किया जो उसने सुबुकतिगिन को ग़ज़नी का प्रभारी बना दिया और अपनी बेटी की शादी उससे कर दी। सुबुकतिगिन ने अलप्तिगिन के दो परवर्ती शासकों के अन्दर भी एक ग़ुलाम के रूप में शासन का कार्यभार देखा और सन् 977 में वो ग़ज़नी का सुल्तान बना। सन् 997 में उसकी मृत्यु के बाद सुबुकतिगिन का छोटा बेटा ईस्माईल शासक बना पर उसके बड़े भाई महमूद ने ईस्माइल के ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया और ख़ुद ग़ज़नी का सुल्तान बन बैठा। श्रेणी:ग़ज़नवी साम्राज्य.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और सबुक तिगिन · और देखें »

सलजूक़ साम्राज्य

'बुर्ज तोग़रोल​' ईरान की राजधानी तेहरान के पास तुग़रिल बेग़​ के लिए १२वीं सदी में बना एक स्मारक बुर्ज है सलजूक़​ साम्राज्य या सेल्जूक साम्राज्य(तुर्की: Büyük Selçuklu Devleti; फ़ारसी:, दौलत-ए-सलजूक़ियान​; अंग्रेज़ी: Seljuq Empire) एक मध्यकालीन तुर्की साम्राज्य था जो सन् १०३७ से ११९४ ईसवी तक चला। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत था जो पूर्व में हिन्दू कुश पर्वतों से पश्चिम में अनातोलिया तक और उत्तर में मध्य एशिया से दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। सलजूक़ लोग मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के तुर्की-भाषी लोगों की ओग़ुज़​ शाखा की क़िनिक़​ उपशाखा से उत्पन्न हुए थे। इनकी मूल मातृभूमि अरल सागर के पास थी जहाँ से इन्होनें पहले ख़ोरासान​, फिर ईरान और फिर अनातोलिया पर क़ब्ज़ा किया। सलजूक़ साम्राज्य की वजह से ईरान, उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान​, कॉकस और अन्य इलाक़ों में तुर्की संस्कृति का प्रभाव बना और एक मिश्रित ईरानी-तुर्की सांस्कृतिक परम्परा जन्मी।, Jamie Stokes, Anthony Gorman, pp.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और सलजूक़ साम्राज्य · और देखें »

सामानी साम्राज्य

सामानी साम्राज्य मध्य एशिया तथा ख़ोरासान का एक मध्यकालीन (819-999) साम्राज्य था जिसकी राजधानी बुखारा एक समय इस्लाम की राजधानी बग़दाद की बराबरी करता था। इसके शासक सुन्नी मुसलमान थे जो जरदोश्त के धर्म से परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे। यह फ़ारस के केन्द्रीय सासानी साम्राज्य के अरबों द्वारा फ़तह के बाद एक प्रमुख राज्य था जो इस्लाम का दूसरा केन्द्र भी माना जाता था। ध्यातव्य है कि बुखारा, यानि सुन्नी सामानी और अरब दुनिया (सुन्नी) के मध्य केन्द्रीय ईरान के लोग शिया हैं (और थे)। सामानी काल का एक कलात्मक कटोरा।Bowl with white slip, incised design, colored, and glazed. Excavated at ''Sabz Pushan'', Neishapur, Iran. 9th-early 10th century. New York Metropolitan Museum of Art. .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और सामानी साम्राज्य · और देखें »

सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और सुन्नी इस्लाम · और देखें »

हाफ़िज़ शिराज़ी

ख़्वाजा शम्स-अल-दीन (शम्सुद्दीन) मोहम्मद हाफ़िज़ शिराज़ी (फ़ारसी: خواجه شمس‌الدین محمد حافظ شیرازی, १३२५-१३८९) एक विचारक और कवि थे जो अपनी फ़ारसी ग़जलों के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताओं में रहस्यमय प्रेम और भक्ति का मिला जुला असर दिखता है जिसे सूफ़ीवाद के एक स्तंभ के रूप में देखा जाता है। उनकी ग़ज़लों का दीवान (कविता संग्रह), ईरान में, हर घर में पाई जाने वाली किताबों में से एक है और लगभग सभी भाषाओं में अनूदित हो चुका है। उनकी मज़ार ईरान के शिराज़ शहर में स्थित है जहाँ उन्होने अपना पूरा जीवन बिताया। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और हाफ़िज़ शिराज़ी · और देखें »

हकीम अबुल कासिम फिरदौसी तुसी

हकीम अबुल कासिम फिरदौसी तुसी (फारसी-حکیم ابوالقاسم فردوسی توسی) फारसी कवि थे। उन्होने शाहनामा की रचना की जो बाद में फारस (ईरान) की राष्ट्रीय महाकाव्य बन गई। इसमें उन्होने सातवीं सदी में फारस पर अरबी फतह के पहले के ईरान के बारे में लिखा है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और हकीम अबुल कासिम फिरदौसी तुसी · और देखें »

हेरात

हेरात हेरात (पश्तो:, अंग्रेजी: Herat) अफ़्ग़ानिस्तान का एक नगर है और हेरात प्रान्त की राजधानी भी है। यह देश के पश्चिम में है और ऐतिहासिक महत्व के शहर है। यह वृहत ख़ोरासान क्षेत्र का हिस्सा है और सबसे बड़ा शहर भी। रेशम मार्ग पर स्थित होने के कारण यह वाणिज्य का केन्द्र रहा है जहाँ से भारत और चीन से पश्चिमी देशों का व्यापार होता रहा है। पारसी ग्रंथ अवेस्ता में इसका ज़िक्र मिलता है। ईसा के पूर्व पाँचवीं सदी के हख़ामनी काल से ही यह एक संपन्न शहर रहा है। यहाँ इस्लाम सातवीं सदी के मध्य में आया जिसके बाद कई विद्रोह हुए। हेरात हरी नदी (हरीरूद) के किनारे बसा हुआ है। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और हेरात · और देखें »

ख़्वारेज़्म

ख़्वारेज़्म​ और उसके पड़ोसी क्षेत्रों की अंतरिक्ष से ली गई तस्वीर ख्वारज्म साम्राज्य, ११९० से १२२० के मध्य ख़्वारेज़्म​, ख़्वारज़्म​ या ख़्वारिज़्म​ (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Khwarezm) मध्य एशिया में आमू दरिया के नदीमुख (डेल्टा) में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है। इसके उत्तर में अरल सागर, पूर्व में किज़िल कुम रेगिस्तान, दक्षिण में काराकुम रेगिस्तान और पश्चिम में उस्तयुर्त पठार है। ख़्वारेज़्म​ प्राचीनकाल में बहुत सी ख़्वारेज़्मी संस्कृतियों का केंद्र रहा है जिनकी राजधानियाँ इस इलाक़े में कोनये-उरगेंच और ख़ीवा जैसे शहरों में रहीं हैं। आधुनिक काल में ख़्वारेज़्म का क्षेत्र उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रों के बीच बंटा हुआ है।, Rafis Abazov, Macmillan, 2008, ISBN 978-1-4039-7542-3,...

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और ख़्वारेज़्म · और देखें »

ख़ोरासान

मूल खुरासान प्रान्त अलियाबा टॉवर (Aliabad Tower) ख़ोरासान या ख़ुरासान ईरान के उत्तर पूर्व का एक क्षेत्र है। इसमें रज़वी ख़ोरासान, उत्तर ख़ोरासान और दक्षिण ख़ोरासान प्रांत आते हैं। वृहत्तर ख़ोरासान में अफ़गानिस्तान के सटे क्षेत्रों के अलावा ताज़िकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के निकटवर्ती प्रदेश सम्मिलित हैं। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और ख़ोरासान · और देखें »

ग़ज़नवी साम्राज्य

ग़ज़नवी राजवंश (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghaznavids) एक तुर्क मुस्लिम राजवंश था जिसने ९७५ ईसवी से ११८६ ईसवी काल में अधिकाँश ईरान, आमू पार क्षेत्रों और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। इसकी स्थापना सबुक तिगिन ने तब की थी जब उसे अपने ससुर अल्प तिगिन की मृत्यु पर ग़ज़ना (आधुनिक ग़ज़नी प्रांत) का राज मिला था। अल्प तिगिन स्वयं कभी ख़ुरासान के सामानी साम्राज्य का सिपहसालार हुआ करता था जिसने अपनी अलग रियासत कायम कर ली थी।, Martijn Theodoor Houtsma, pp.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और ग़ज़नवी साम्राज्य · और देखें »

ग़ज़नी

ग़ज़नी भगवान श्रीकृष्णजी के उत्तराधिकारी द्वारिका की बजाय मथुरा की राजगद्दी पर विराजमान हुए, जिनकी पाँचवीं पीढ़ी में सुबाहु नाम के एक प्रतापी शासक हुए। राजा सुबाहु ने पुरुषपुर(पेशावर) पर आक्रमण कर अपना अधिकार जमा लिया एवं उसे अपनी राजधानी बनाया। एक बार राजा सुबाहु शिकार के दौरान एक सुअर का पीछा करते हुए पाताल लोक पधारे जहां वराह भगवान के दर्शन होने से सुअर का शिकार न करने का संकल्प लिया, तब से यदु वंश राजपूत में सुअर का शिकार निषेध है। राजा सुबाहु के पौत्र एवं राजा रजसेन के पुत्र राजा गजबाहु एक वीर और शक्तिशाली शासक थे। इनका साम्राज्य पशि्चमोतर भारत के विशाल भू-भाग पर फैला था। राजा गजबाहु ने साम्राज्य विस्तार के साथ-साथ उसकी सुरक्षा हेतु गंधार प्रदेश में युधिष्ठिर संवत् ३०८ कि अक्षय तृतीया रविवार को रोहिणी नक्षत्र में कुलदेवी स्वांगिया माता की कृपा से गजनी नगर की स्थापना कर वहां एक सुदृढ़ किले का निर्माण करवाकर उसकी प्रतिष्ठा करवाई। "रवि रोहिणी गजबाहु ने गजनी रची नवीन। वर्तमान से लगभग साढ़े चार हजार से भी अधिक वर्ष पूर्व निर्मित गजनी का किला अत्यंत ही मजबूत व अभेद्य था।पीतल के समान ठोस बनावट वाले इस किले की प्रचीरें एक दूसरे में गुंथी हुई डमरुनुमा थी, जिसे शत्रु बारूद से भी नहीं उड़ा सकता था। राजा गजबाहु के शासन काल में रुम प्रदेश कि फौज ने खुरासान कि मदद से गजनीपर आक्रमण की योजना बनाई दोनों प्रदेशों की सेना के गजनी पहुंचने से पहले राजा गजबाहु ने आगे बढ़कर कुंज शहर के नजदीक मुकाबला किया जिसमें राजा गजबाहु विजय हासिल की। उन्होंने अपने बल व पराक्रम से अपना साम्राज्य खुरासान बकत्रिया व बल्ख बुखारा तक फैला दिया। राजा गजबाहु ने कंधार,काबुल, मुल्तान, लाहौर व मथुरा तक के विस्तृत भू -भाग पर अपना सुशासन स्थापित किया। राजा गजबाहु के वंशज ने कई किलो का निर्माण करवाया गजबाहु के वंशज ने जैसलमेर की स्थापना कर नई राजधानी बसाई के कुछ समय बाद ही राजा कि अकाल मृत्यु ओर सड़यंत्र के कारण राजगद्दी वारिस को जैसलमेर त्यागना पड़ा। एक नया गांव बसाया डांगरी तथा यहाँ के ठाकुर ही राजा गजबाहु के वंशज थे जिन्होंने जैसलमेर त्यागने के पश्चात् इन्हीं के वंशज राजा देरावर ने देरावरगढ कि स्थापना की। राजा भूपत भटनेर ओर भटिन्डा बसाया डांगरी के अन्तिम ठाकुर सतीदानसिहं हुए। डांगरी जैसलमेर जिला मुख्यालयसे ८० किमीदुर है। इनके बाद राजा गजबाहु के वंशजों की पृष्ट नहीं है। नोट:- यह इतिहास १०० वर्ष से ४००० वर्ष पूर्व का है।.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और ग़ज़नी · और देखें »

ग़ज़नी प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ग़ज़नी प्रान्त (लाल रंग में) ग़ज़नी (पश्तो:, अंग्रेजी: Ghazni) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल २२,९१५ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग ९.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ग़ज़नी शहर है। ग़ज़नी प्रान्त काबुल से कंदहार जाने वाले राजमार्ग पर आता है और इतिहास में उन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है। इस प्रान्त में लगभग आधे लोग पश्तून हैं लेकिन यहाँ हज़ारा लोगों और ताजिक लोगों के भी बड़े समुदाय रहते हैं। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और ग़ज़नी प्रान्त · और देखें »

कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और कश्मीर · और देखें »

काफ़िरिस्तान

काफिरिस्तान क़ाफ़िरिस्तान आज के पाक-अफ़ग़ान क्षेत्र में स्थित एक क्षेत्र है जिसे १८९६ में अफ़गानिस्तान के शासक अब्दिर-रहमान ख़ान ने इस्लाम में परिवर्तित कर दिया था। इसका नाम बदलकर नूरिस्तान कर दिया गया था। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और काफ़िरिस्तान · और देखें »

काराख़ानी ख़ानत

१००० ईसवी में काराख़ानी ख़ानत अर्सलान ख़ान द्वारा ११२७ में आज़ान के लिए बनवाई गई बुख़ारा की कलयन मीनार काराख़ानी ख़ानत (Kara-Khanid Khanate) मध्यकाल में एक तुर्की क़बीलों का परिसंघ था जिन्होंने मध्य एशिया के आमू-पार क्षेत्र और कुछ अन्य भूभाग में ८४० से १२१२ ईसवी तक अपनी ख़ानत (साम्राज्य) चलाई। इसमें कारलूक, यग़मा, चिग़िल​ और कुछ अन्य क़बीले शामिल थे जो पश्चिमी तियान शान और आधुनिक शिनजियांग इलाक़ों के रहने वाले थे। काराख़ानियों ने मध्य एशिया में ईरानी मूल के सामानी साम्राज्य का ख़ात्मा कर दिया और इसके बाद मध्य एशिया में तुर्की-भाषियों का अधिक बोलबाला रहा। काराख़ानी दौर में ही महमूद काश्गरी ने अपनी प्रसिद्ध 'दीवान-उ-लुग़ात​-उत-तुर्क' नामक तुर्की भाषा के कोष की रचना की।, Rafis Abazov, pp.

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और काराख़ानी ख़ानत · और देखें »

अब्बासी ख़िलाफ़त

अपने चरम पर अब्बासियों का क्षेत्र (हरे रंग में, गाढ़े हरे रंग वाले क्षेत्र उनके द्वारा जल्दी ही खोए गए) अब्बासी (अरबी:, अल-अब्बासियून; अंग्रेज़ी: Abbasids) वंश के शासक इस्लाम के ख़लीफ़ा थे जो सन् 750 के बाद से 1257 तक इस्लाम के धार्मिक प्रमुख और इस्लामी साम्राज्य के शासक रहे। इनके पूर्वज मुहम्मद से संबंधित थे इसलिए इनको सुन्नियों के साथ साथ शिया विचारधारा के मुसलमानों का भी बहुत सहयोग मिला जिसमें ईरान तथा ख़ोरासान तथा शाम की जनता शामिल थी। इस जनसहयोग की बदौलत उन्होंने उमय्यदों को हरा दिया और ख़लीफ़ा बनाए गए। उन्होंने उमय्यदों के विपरीत साम्राज्य में ईरानी तत्वों को समावेश किया और उनके काल में इस्लामी विज्ञान, कला तथा ज्योतिष में काफ़ी नए विकास हुए। सन् 762 में उन्होंने बग़दाद की स्थापना की जहाँ ईरानी सासानी निर्माण कला तथा अरबी संस्कृति से मिश्रित एक राजधानी का विकास हुआ। यद्यपि 10वीं सदी में उनकी वंशानुगत शासन की परम्परा टूट गई पर ख़िलाफ़त बनी रही। इस परंपरा टूटने के कारण शिया इस्लाम में इस्माइली तथा बारहवारी सम्प्रदायों का जन्म हुआ जो इस्लाम के उत्तराधिकारी के रूप में मुहम्मद साहब के विभिन्न वंशजों का समर्थन करते थे। उनके काल में इस्लाम भारत में भी फैल गया लेकिन 1257 में उस समय अमुस्लिम रहे मंगोलों के आक्रमण से बग़दाद नष्ट हो गया। .

नई!!: महमूद ग़ज़नवी और अब्बासी ख़िलाफ़त · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

महमूद ग़ज़नी, महमूद गजनवी, महमूद गजनी, महमूद गज़नवी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »