लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मलेरिया और सिनकोना

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मलेरिया और सिनकोना के बीच अंतर

मलेरिया vs. सिनकोना

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। . सिनकोना (Cinchona) एक सदाबहार पादप है जो झाड़ी अथवा ऊँचे वृक्ष के रूप में उपजता है। यह रूबियेसी (Rubiaceae) कुल की वनस्पति है। इनकी छाल से कुनैन नामक औषधि प्राप्त की जाती है जो मलेरिया ज्वर की दवा है। यह बहुवर्षीय वृक्ष सपुष्पक एवं द्विबीजपत्री होता है। इसके पत्ते लालिमायुक्त तथा चौड़े होते हैं जिनके अग्र भाग नुकीले होते हैं। शाखा-प्रशाखाओं में असंख्य मंजरी मिलती है। इसकी छाल कड़वी होती है। इस वंश में ६५ जातियाँ हैं। सिनकोना का पौधा नम-गर्म जलवायु में उगता है। उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्र जहां तापमान ६५°-७५° फारेनहाइट तथा वर्षा २५०-३२५ से.मी.

मलेरिया और सिनकोना के बीच समानता

मलेरिया और सिनकोना आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): शीतोष्ण कटिबन्ध, कुनैन, २००८

शीतोष्ण कटिबन्ध

विश्व मानचित्र जिसमें समशीतोष्ण कटिबन्ध '''हरे रंग''' से दिखाया गया है। शीतोष्ण कटिबन्ध या समशीतोष्ण कटिबन्ध (temperate zone) ऊष्णकटिबन्ध और शीत कटिबन्ध के बीच का क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहाँ गर्मी और सर्दी के मौसम के तापमान में अधिक अन्तर नहीं होता। लेकिन यहाँ के कुछ क्षेत्रों में, जैसे मध्य एशिया और मध्य उत्तरी अमेरिका, जो समुद्र से काफ़ी दूर हैं, तापमान में काफ़ी परिवर्तन होता है और इन इलाकों में महाद्वीपीय जलवायु पाया जाता है। समशीतोष्ण कटिबन्धीय मौसम ऊष्णकटिबन्ध के कुछ इलाकों में भी पाया जा सकता है, खासतौर पर ऊष्णकटिबन्ध के पहाड़ी इलाकों में, जैसे एन्डीज़ पर्वत शृंखला। उत्तरी समशीतोष्ण कटिबन्ध उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा (तकरीबन २३.५° उ) से आर्कटिक रेखा (तकरीबन ६६.५° उ) तक तथा दक्षिणी समशीतोष्ण कटिबन्ध दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा (तकरीबन २३.५° द) से अंटार्कटिक रेखा (तकरीबन ६६.५° द) तक का क्षेत्र होता है। विश्व की बहुत बड़ी जनसंख्या समशीतोष्ण कटिबन्ध में— खासतौर पर उत्तरी समशीतोष्ण कटिबन्ध में— रहती है क्योंकि इस इलाके में भूमि की बहुतायत है। .

मलेरिया और शीतोष्ण कटिबन्ध · शीतोष्ण कटिबन्ध और सिनकोना · और देखें »

कुनैन

कुनैन एक प्राकृतिक श्वेत क्रिस्टलाइन एल्कलॉएड पदार्थ होता है, जिसमें ज्वर-रोधी, मलेरिया-रोधी, दर्दनाशक (एनल्जेसिक), सूजन रोधी गुण होते हैं। ये क्वाइनिडाइन का स्टीरियो समावयव होता है, जो क्विनाइन से अलग एंटिएर्हाइमिक होता है। ये दक्षिण अमेरिकी पेड़ सिनकोना पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक मलेरिया बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। कुनैन पराबैंगनी प्रकाश संवेदी होती है, व सूर्य के प्रकाश से सीधे संपर्क में फ़्लुओरेज़ हो जाती है। ऐसा इसकी उच्चस्तरीय कॉन्जुगेटेड रेसोनॅन्स संरचना के कारण होता है। .

कुनैन और मलेरिया · कुनैन और सिनकोना · और देखें »

२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

मलेरिया और २००८ · सिनकोना और २००८ · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

मलेरिया और सिनकोना के बीच तुलना

मलेरिया 92 संबंध है और सिनकोना 17 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.75% है = 3 / (92 + 17)।

संदर्भ

यह लेख मलेरिया और सिनकोना के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »