मन्त्र और स्वस्तिक मन्त्र
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मन्त्र और स्वस्तिक मन्त्र के बीच अंतर
मन्त्र vs. स्वस्तिक मन्त्र
हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारंपरिक रूप से मंत्र कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ विचार या चिन्तन होता है । मंत्रणा, और मंत्री इसी मूल से बने शब्द हैं। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं। काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं। "षड कर्णो भिद्यते मंत्र" (छ: कानों में जाने से मंत्र नाकाम हो जाता है) - इसमें भी मंत्र का यही अर्थ है। . हिन्दू धर्म का प्रतिक यह चिन्ह हैं और कई पीढ़ियों से इस्तेमाल में हैं। स्वस्तिक मंत्र या स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति .
मन्त्र और स्वस्तिक मन्त्र के बीच समानता
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संदर्भ
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