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मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान) के बीच अंतर

मध्य-महासागर पर्वतमाला vs. रिफ़्ट (भूविज्ञान)

मध्य-महासागर पर्वतमाला (mid-ocean ridge) किसी महासागर के जल के अंदर प्लेट विवर्तनिकी द्वारा बनी एक पर्वतमाला होती है। सामान्यतः इसमें कई पहाड़ शृंखलाओं में आयोजित होते हैं और इनके बीच में एक लम्बी रिफ़्ट नामक घाटी चलती है। इस रिफ़्ट के नीचे दो भौगोलिक तख़्तों की संमिलन सीमा होती है जहाँ दबाव और रगड़ के कारण भूप्रावार (मैन्टल) से पिघला हुआ मैग्मा उगलकर लावा के रूप में ऊपर आता है और नया सागर का फ़र्श बनाता है - इसे प्रक्रिया को सागर नितल प्रसरण (seafloor spreading) कहते हैं। . रिफ़्ट (अंग्रेज़ी: rift) भूविज्ञान में ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जहाँ प्लेट विवर्तनिकी (भौगोलिक प्लेटों की चाल) के कारण पृथ्वी के भूपटल (क्रस्ट) और स्थलमंडल (लिथोस्फ़ेयर) खिचने से फटकर अलग हो रहा हो। इस से अक्सर धरती पर वहाँ भ्रंश बनते हैं और रिफ्ट घाटियाँ बन जाती हैं। इनमें अफ़्रीका व मध्य पूर्व की ग्रेट रिफ़्ट घाटी एक उदाहरण है जो अफ़्रीकी प्लेट के दो भागों में टूटकर अलग होने की प्रक्रिया से बन गई है।, pp.

मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान) के बीच समानता

मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान) आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकम्प और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अभिकल्पित महाद्वीपीय विस्थापन नामक संकल्पना से विकसित हुआ जब 1960 के दशक में ऐसे नवीन साक्ष्यों की खोज हुई जिनसे महाद्वीपों के स्थिर होने की बजाय गतिशील होने की अवधारणा को बल मिला। इन साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण हैं पुराचुम्बकत्व से सम्बन्धित साक्ष्य जिनसे सागर नितल प्रसरण की पुष्टि हुई। हैरी हेस के द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज से इस सिद्धान्त का प्रतिपादन आरंभ माना जाता है और विल्सन, मॉर्गन, मैकेंज़ी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान किया। इस सिद्धान्त अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 कि॰मी॰ मोटी परत, जिसे स्थलमण्डल कहा जाता है, और जिसमें भूपर्पटी और भूप्रावार के ऊपरी हिस्से का भाग शामिल हैं, कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है। ये प्लेटें नीचे स्थित एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत पर तैर रहीं हैं और सामान्यतया लगभग 10-40 मिमी/वर्ष की गति से गतिशील हैं हालाँकि इनमें कुछ की गति 160 मिमी/वर्ष भी है। इन्ही प्लेटों के गतिशील होने से पृथ्वी के वर्तमान धरातलीय स्वरूप की उत्पत्ति और पर्वत निर्माण की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है और यह भी देखा गया है कि प्रायः भूकम्प इन प्लेटों की सीमाओं पर ही आते हैं और ज्वालामुखी भी इन्हीं प्लेट सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं। प्लेट विवर्तनिकी में विवर्तनिकी (लातीन:tectonicus) शब्द यूनानी भाषा के τεκτονικός से बना है जिसका अर्थ निर्माण से सम्बंधित है। छोटी प्लेट्स की संख्या में भी कई मतान्तर हैं परन्तु सामान्यतः इनकी संख्या 100 से भी अधिक स्वीकार की जाती है। .

प्लेट विवर्तनिकी और मध्य-महासागर पर्वतमाला · प्लेट विवर्तनिकी और रिफ़्ट (भूविज्ञान) · और देखें »

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मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान) के बीच तुलना

मध्य-महासागर पर्वतमाला 10 संबंध है और रिफ़्ट (भूविज्ञान) 10 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 1 / (10 + 10)।

संदर्भ

यह लेख मध्य-महासागर पर्वतमाला और रिफ़्ट (भूविज्ञान) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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