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मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी के बीच अंतर

मध्य-महासागर पर्वतमाला vs. महासागरीय भूपर्पटी

मध्य-महासागर पर्वतमाला (mid-ocean ridge) किसी महासागर के जल के अंदर प्लेट विवर्तनिकी द्वारा बनी एक पर्वतमाला होती है। सामान्यतः इसमें कई पहाड़ शृंखलाओं में आयोजित होते हैं और इनके बीच में एक लम्बी रिफ़्ट नामक घाटी चलती है। इस रिफ़्ट के नीचे दो भौगोलिक तख़्तों की संमिलन सीमा होती है जहाँ दबाव और रगड़ के कारण भूप्रावार (मैन्टल) से पिघला हुआ मैग्मा उगलकर लावा के रूप में ऊपर आता है और नया सागर का फ़र्श बनाता है - इसे प्रक्रिया को सागर नितल प्रसरण (seafloor spreading) कहते हैं। . महासागरीय भूपर्पटी (Oceanic crust) किसी महासागरीय भौगोलिक तख़्ते की सबसे ऊपरी परत को कहते हैं। इसके विपरीत महाद्वीपीय भौगोलिक तख़्ते की सबसे ऊपरी परत को महाद्वीपीय भूपर्पटी कहते हैं। .

मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी के बीच समानता

मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्लेट विवर्तनिकी, भूप्रावार, महासागर, मैग्मा, संमिलन सीमा

प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकम्प और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अभिकल्पित महाद्वीपीय विस्थापन नामक संकल्पना से विकसित हुआ जब 1960 के दशक में ऐसे नवीन साक्ष्यों की खोज हुई जिनसे महाद्वीपों के स्थिर होने की बजाय गतिशील होने की अवधारणा को बल मिला। इन साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण हैं पुराचुम्बकत्व से सम्बन्धित साक्ष्य जिनसे सागर नितल प्रसरण की पुष्टि हुई। हैरी हेस के द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज से इस सिद्धान्त का प्रतिपादन आरंभ माना जाता है और विल्सन, मॉर्गन, मैकेंज़ी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान किया। इस सिद्धान्त अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 कि॰मी॰ मोटी परत, जिसे स्थलमण्डल कहा जाता है, और जिसमें भूपर्पटी और भूप्रावार के ऊपरी हिस्से का भाग शामिल हैं, कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है। ये प्लेटें नीचे स्थित एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत पर तैर रहीं हैं और सामान्यतया लगभग 10-40 मिमी/वर्ष की गति से गतिशील हैं हालाँकि इनमें कुछ की गति 160 मिमी/वर्ष भी है। इन्ही प्लेटों के गतिशील होने से पृथ्वी के वर्तमान धरातलीय स्वरूप की उत्पत्ति और पर्वत निर्माण की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है और यह भी देखा गया है कि प्रायः भूकम्प इन प्लेटों की सीमाओं पर ही आते हैं और ज्वालामुखी भी इन्हीं प्लेट सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं। प्लेट विवर्तनिकी में विवर्तनिकी (लातीन:tectonicus) शब्द यूनानी भाषा के τεκτονικός से बना है जिसका अर्थ निर्माण से सम्बंधित है। छोटी प्लेट्स की संख्या में भी कई मतान्तर हैं परन्तु सामान्यतः इनकी संख्या 100 से भी अधिक स्वीकार की जाती है। .

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भूप्रावार

भूप्रावार या मैन्टल (अंग्रेज़ी: Mantle) या प्रावार भूविज्ञान में किसी पथरीले ग्रह या प्राकृतिक उपग्रह की एक परत को कहते हैं। यह सबसे बाहरी भूपटल (क्रस्ट) नामक परत के नीचे लेकिन भूकेन्द्र के ऊपर और उसे ढके हुए होती है। भूपटल के मुक़ाबले में भूप्रावार परत बहुत मोटी होती है। हमारी पृथ्वी में भूप्रावार लगभग २,९०० किमी मोटी है और यह पृथ्वी के कुल घनफल (वोल्यूम) का ८४% भाग इसी में सम्मिलित है।, pp.

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महासागर

महासागर जलमंडल का प्रमुख भाग है। यह खारे पानी का विशाल क्षेत्र है। यह पृथ्वी का ७१% भाग अपने आप से ढांके रहता है (लगभग ३६.१ करोड वर्ग b किलोमीटर)| जिसका आधा भाग ३००० मीटर गहरा है। प्रमुख महासागर निम्नलिखित हैं: १ प्रशान्त महासागर (en:Pacific Ocean) २ अन्ध महासागर (en:Atlantic Ocean) ३ उत्तरध्रुवीय महासागर (en:Arctic Ocean) ४ हिन्द महासागर (en:Indian Ocean) ५ दक्षिणध्रुवीय महासागर(en:Antarctic Ocean) महासागर श्रेणी:जलसमूह.

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मैग्मा

मैग्मा चट्टानों का पिघला हुआ रूप है जिसकी रचना ठोस, आधी पिघली अथवा पूरी तरह पिघली चट्टानों के द्वारा होती है और जो पृथ्वी के सतह के नीचे निर्मित होता है। मैग्मा के बाहर निकलने वाले रूप को लावा कहते हैं। मैग्मा के शीतलन द्वारा आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। जब मैग्मा ज़मीनी सतह के ऊपर आकर लावा के रूप में ठंडा होकर जमता है तो बहिर्भेदी और जब सतह के नीचे ही जम जाता है तो अंतर्भेदी आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। सामान्यतः ज्वालामुखी विस्फोट में मैग्मा का लावा के रूप में निकलना एक प्रमुख भूवैज्ञानिक क्रिया के रूप में चिह्नित किया जाता है। .

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संमिलन सीमा

भूवैज्ञानिक प्लेट विवर्तनिकी में संमिलन सीमा (convergent boundary) वह सीमा होती है जहाँ पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फ़ीयर) के दो भौगोलिक तख़्ते (प्लेटें) एक दूसरे की ओर आकर टकराते हैं या आपस में घिसते हैं। ऐसे क्षेत्रों में दबाव और रगड़ से भूप्रावार (मैन्टल) का पत्थर पिघलने लगता है और ज्वालामुखी तथा भूकम्पन घटनाओं में से एक या दोनों मौजूद रहते हैं। संमिलन सीमाओं पर या तो एक तख़्ते का छोर दूसरे तख़्ते के नीचे दबने लगता है (इसे निम्नस्खलन या सबडक्शन कहते हैं) या फिर महाद्वीपीय टकराव होता है।Butler, Rob (October 2001).

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मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी के बीच तुलना

मध्य-महासागर पर्वतमाला 10 संबंध है और महासागरीय भूपर्पटी 11 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 23.81% है = 5 / (10 + 11)।

संदर्भ

यह लेख मध्य-महासागर पर्वतमाला और महासागरीय भूपर्पटी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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