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भोजप्रबन्ध और संस्कृत ग्रन्थों की सूची

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भोजप्रबन्ध और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच अंतर

भोजप्रबन्ध vs. संस्कृत ग्रन्थों की सूची

भोजप्रबंध संस्कृत लोकसाहित्य का एक अनुपम ग्रंथ है। यह बल्लाल की कृति है। इसकी रचना गद्यपद्यात्मक है। इसमें महाराज धारेश्वर भोज की राजसभा के कई सुंदर कथानक है। यद्यपि इन कथानकों की ऐतिहासिक प्रामाणिकता पूर्ण रूप से स्वीकृत नहीं की जा सकती, तथापि यह ग्रंथ 11वीं शताब्दी ईसवी में वर्तमान जनजीवन पर प्रकाश डालने में बहुत कुछ समर्थ है। विद्याव्यासंगी स्वयं कविपंडित नरेश के होने पर किस प्रकार राजसभा में आस्थानपंडितों की मंडली तथा आगंतुक कविगण नित्य काव्यशास्त्र के विनोद द्वारा कालक्षेप करते थे, इसकी झाँकी इस ग्रंथ में प्रति पद पर मिलती है। दानवीर महाराज भोज किस प्रकार कवियों का सम्मान करते थे, इसका आदर्श इस ग्रंथ में मिलता है। . निम्नलिखित सूची अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयी है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट करे। .

भोजप्रबन्ध और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच समानता

भोजप्रबन्ध और संस्कृत ग्रन्थों की सूची आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): कालिदास

कालिदास

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है। कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं। साहित्य में औदार्य गुण के प्रति कालिदास का विशेष प्रेम है और उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। कालिदास के परवर्ती कवि बाणभट्ट ने उनकी सूक्तियों की विशेष रूप से प्रशंसा की है। thumb .

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भोजप्रबन्ध और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच तुलना

भोजप्रबन्ध 11 संबंध है और संस्कृत ग्रन्थों की सूची 253 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.38% है = 1 / (11 + 253)।

संदर्भ

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