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भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म के बीच अंतर

भूत-प्रेत का अपसारण vs. हिन्दू धर्म

सेंट फ्रांसिस ने अरेज्जो में राक्षसों का भूत-अपसारण किया; गिओटो द्वारा एक फ्रेस्को पर एक चित्रण में. भूत-प्रेत का अपसारण अर्थात एक्सॉसिज़्म (प्राचीन लैटिन शब्द exorcismus, ग्रीक शब्द exorkizein – शपथ देकर बांधना) किसी ऐसे व्यक्ति अथवा स्थान से भूतों या अन्य आत्मिक तत्त्वों को निकालने की प्रथा है। जिसके बारे में विश्वास किया जाता है कि भूत ने उसे शपथ दिलाकर अपने वश में कर लिया है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है तथा अनेक संस्कृतियों की मान्यताओं का अंग रही है। प्राचीन काल से माना जाता है कि इस दुनिया से परे एक और दुनिया होती है और इस दुनियाँ को मौत कि दुनिया के नाम से जाना जाता हे। जैसे हम सब को पता हे कि मौत कि दुनिया मे मृत लोगो कि आत्माएं होती है लेकिन इसके परे इस मौत कि दुनिया मे राक्षस और आध्यत्मिक संस्था का साया भी होता है। लोग जब मरते है तब उनकी आत्मा का उध्धार नहीं होता या इसके विपरीत बहुत सारी शर्ते होती है। जैसे कि अगर कोइ इन्सान एक ऐसी मौत मरा है जिसमें उसको बहुत तक्लीफ हुई हो या फिर बे मौत मारा गया हो तो इस के कारण उस इन्सान का आत्मा उस जगह पर ही रह जाती है और आसानी से उस आत्मा का उद्धर नहि होता, कोइ ऐसे स्थान भी होते हे जिधर से मृत लोगो कि आत्मा उध्दार होता हैं, यह जगह कोइ घना जंगल मे होता हे यातो फिर कोइ सुन्सान जगह में। ऐसे ही जगह से मृत दुनिया से राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्था हमारी दुनिया मे प्रवेश करते है, और जीवित इन्सानो कि आत्मा पर शिकार करते हैं और इसी अवस्था मे झाङ-फूँक कि सन्कल्पना आती हैं। झाड़-फूँक राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्थाओ का हटाना उत्ना का अभ्यास होता हे। झाड़-फूँक ऐसे लोग या जगह या चीज़ों पर किया जाता हे जो राक्शस या किसी आध्याथ्मिक सन्स्थाओ के अधीन होते हे। झाड़-फूँक ओझा के आध्याथ्मिक विश्वासो के आधार पर किया जाता हे। धर्म के आधार पर झाड़-फूँक के अन्य तरीके होते हे। कुछ ऐसे दर्वाज़े होते हे जो खुल्ने पर बुरे सप्ने हकीकत मे बदल जाते हे। . हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म के बीच समानता

भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ईश्वर, वैदिक धर्म, आत्मा

ईश्वर

यह लेख पारलौकिक शक्ति ईश्वर के विषय में है। ईश्वर फ़िल्म के लिए ईश्वर (1989 फ़िल्म) देखें। यह लेख देवताओं के बारे में नहीं है। ---- परमेश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है जिसे इस संसार का स्रष्टा और शासक माना जाता है। हिन्दी में परमेश्वर को भगवान, परमात्मा या परमेश्वर भी कहते हैं। अधिकतर धर्मों में परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुडी हुई है। संस्कृत की ईश् धातु का अर्थ है- नियंत्रित करना और इस पर वरच् प्रत्यय लगाकर यह शब्द बना है। इस प्रकार मूल रूप में यह शब्द नियंता के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसी धातु से समानार्थी शब्द ईश व ईशिता बने हैं। .

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वैदिक धर्म

वैदिक रीति से होता यज्ञ वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल धर्म था, जो भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया में हज़ारों वर्षों से चलता आ रहा है। वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म अथवा आधुनिक हिन्दू धर्म इसी धार्मिक व्यवस्था पर आधारित हैं। वैदिक संस्कृत में लिखे चार वेद इसकी धार्मिक किताबें हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार ऋग्वेद और अन्य वेदों के मन्त्र ईश्वर द्वारा ऋषियों को प्रकट किये गए थे। इसलिए वेदों को 'श्रुति' (यानि, 'जो सुना गया है') कहा जाता है, जबकि श्रुतिग्रन्थौके अनुशरण कर वेदज्ञद्वारा रचा गया वेदांगादि सूत्र ग्रन्थ स्मृति कहलाता है। वेदांग अन्तर्गत के धर्मसूत्र पर ही आधार करके वेदज्ञ मनु,अत्रि,याज्ञावल्क्य आदि द्वारा रचित अनुस्मतिृको भी स्मृति ही माना जाता है।ईसके वाद वेद-वेदांगौंके व्याखाके रुपमे रामायण महाभारतरुपमे ईतिहासखण्ड और पुराणखण्डको वाल्मीकि और वेदव्यासद्वारा रचागया जिसके नीब पर वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म,विभिन्न वैष्णवादि मतसम्बद्ध हिन्दूधर्म,और अर्वाचीन वैदिक मत आर्यसमाजी,आदि सभीका व्यवहार का आधार रहा है। कहा जाता है। वेदों को 'अपौरुषय' (यानि 'जीवपुरुषकृत नहीं') भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है कि उनकी कृति दिव्य है। अतःश्रुति मानवसम्बद्ध प्रमादादि दोषमुक्त है।"प्राचीन वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म"का सारा धार्मिक व्यवहार विभन्न वेद शाखा सम्बद्ध कल्पसूत्र,श्रौतसूत्र,गृह्यसूत्र,धर्मसूत्र आदि ग्रन्थौंके आधारमे चलता है। इसके अलावा अर्वाचीन वैदिक (आर्य समाज) केवल वेदौंके संहिताखण्डको ही वेद स्वीकारते है। यही इन् दोनोमें विसंगति है। वैदिक धर्म और सभ्यता की जड़ में सन्सारके सभी सभ्यता किसी न किसी रूपमे दिखाई देता है। आदिम हिन्द-ईरानी धर्म और उस से भी प्राचीन आदिम हिन्द-यूरोपीय धर्म तक पहुँचती हैं, जिनके कारण बहुत से वैदिक देवी-देवता यूरोप, मध्य एशिया और ईरान के प्राचीन धर्मों में भी किसी-न-किसी रूप में मान्य थे, जैसे ब्रह्मयज्ञमे जिनका आदर कीया जाता है उन ब्रह्मा,विष्णु,रुद्र,सविता,मित्र, वरुण,और बृहस्पति (द्यौस-पितृ), वायु-वात, सरस्वती,आदि। इसी तरह बहुत से वैदिकशब्दों के प्रभाव सजातीय शब्द पारसी धर्म और प्राचीन यूरोपीय धर्मों में पाए जाते हैं, जैसे कि सोम (फ़ारसी: होम), यज्ञ (फ़ारसी: यस्न), पितर- फादर,मातर-मादर,भ्रातर-ब्रदर स्वासार-स्विष्टर नक्त-नाइट् इत्यादि।, Forgotten Books, ISBN 978-1-4400-8579-6 .

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आत्मा

आत्मा या आत्मन् पद भारतीय दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों (विचार) में से एक है। यह उपनिषदों के मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में आता है। जहाँ इससे अभिप्राय व्यक्ति में अन्तर्निहित उस मूलभूत सत् से किया गया है जो कि शाश्वत तत्त्व है तथा मृत्यु के पश्चात् भी जिसका विनाश नहीं होता। आत्मा का निरूपण श्रीमद्भगवदगीता या गीता में किया गया है। आत्मा को शस्त्र से काटा नहीं जा सकता, अग्नि उसे जला नहीं सकती, जल उसे गीला नहीं कर सकता और वायु उसे सुखा नहीं सकती। जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म के बीच तुलना

भूत-प्रेत का अपसारण 34 संबंध है और हिन्दू धर्म 113 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.04% है = 3 / (34 + 113)।

संदर्भ

यह लेख भूत-प्रेत का अपसारण और हिन्दू धर्म के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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