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भू-आकृति विज्ञान और भूरसायन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भू-आकृति विज्ञान और भूरसायन के बीच अंतर

भू-आकृति विज्ञान vs. भूरसायन

धरती की सतह भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) (ग्रीक: γῆ, ge, "पृथ्वी"; μορφή, morfé, "आकृति"; और λόγος, लोगोस, "अध्ययन") भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करते हैं कि भू-दृश्य जैसे दिखते हैं वैसा दिखने के पीछे कारण क्या है, वे भू-आकृतियों के इतिहास और उनकी गतिकी को जानने का प्रयास करते हैं और भूमि अवलोकन, भौतिक परीक्षण और संख्यात्मक मॉडलिंग के एक संयोजन के माध्यम से भविष्य के बदलावों का पूर्वानुमान करते हैं। भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन भूगोल, भूविज्ञान, भूगणित, इंजीनियरिंग भूविज्ञान, पुरातत्व और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में किया जाता है और रूचि का यह व्यापक आधार इस विषय के तहत अनुसंधान शैली और रुचियों की व्यापक विविधता को उत्पन्न करता है। पृथ्वी की सतह, प्राकृतिक और मानवोद्भव विज्ञान सम्बन्धी प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रतिक्रिया स्वरूप विकास करती है और सामग्री जोड़ने वाली और उसे हटाने वाली प्रक्रियाओं के बीच संतुलन के साथ जवाब देती है। ऐसी प्रक्रियाएं स्थान और समय के विभिन्न पैमानों पर कार्य कर सकती हैं। सर्वाधिक व्यापक पैमाने पर, भू-दृश्य का निर्माण विवर्तनिक उत्थान और ज्वालामुखी के माध्यम से होता है। अनाच्छादन, कटाव और व्यापक बर्बादी से होता है, जो ऐसे तलछट का निर्माण करता है जिसका परिवहन और जमाव भू-दृश्य के भीतर या तट से दूर कहीं अन्य स्थान पर हो जाता है। उत्तरोत्तर छोटे पैमाने पर, इसी तरह की अवधारणा लागू होती है, जहां इकाई भू-आकृतियां योगशील (विवर्तनिक या तलछटी) और घटाव प्रक्रियाओं (कटाव) के संतुलन के जवाब में विकसित होती हैं। आधुनिक भू-आकृति विज्ञान, किसी ग्रह के सतह पर सामग्री के प्रवाह के अपसरण का अध्ययन है और इसलिए तलछट विज्ञान के साथ निकट रूप से संबद्ध है, जिसे समान रूप से उस प्रवाह के अभिसरण के रूप में देखा जा सकता है। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं विवर्तनिकी, जलवायु, पारिस्थितिकी, और मानव गतिविधियों से प्रभावित होती हैं और समान रूप से इनमें से कई कारक धरती की सतह पर चल रहे विकास से प्रभावित हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आइसोस्टेसी या पर्वतीय वर्षण के माध्यम से। कई भू-आकृति विज्ञानी, भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की मध्यस्थता वाले जलवायु और विवर्तनिकी के बीच प्रतिपुष्टि की संभावना में विशेष रुचि लेते हैं। भू-आकृति विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग में शामिल है संकट आकलन जिसमें शामिल है भूस्खलन पूर्वानुमान और शमन, नदी नियंत्रण और पुनर्स्थापना और तटीय संरक्षण। . १८वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी तह समुद्र की सतह के pH मेम परिवर्तन का मानचित्र भूरासायनिक चक्र का योजनामूलक निरूपण भूरसायन (Geochemistry) पृथ्वी तथा उसके अवयवों के रसायन से संबंधित विज्ञान है। भू-रसायन पृथ्वी में रासायनिक तत्वों के आकाश तथा काल (time and space) में वितरण तथा अभिगमन के कार्य से संबद्ध है। नवीन खोजों की ओर अग्रसर होते हुए कुछ भू-विज्ञानियों तथा रसायनज्ञों ने नूतन विज्ञान भू-रसायन को जन्म दिया। .

भू-आकृति विज्ञान और भूरसायन के बीच समानता

भू-आकृति विज्ञान और भूरसायन आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पृथ्वी, शैल

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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शैल

कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित ''संतुलित शैल'' कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। .

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भू-आकृति विज्ञान और भूरसायन के बीच तुलना

भू-आकृति विज्ञान 51 संबंध है और भूरसायन 9 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.33% है = 2 / (51 + 9)।

संदर्भ

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