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भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद के बीच अंतर

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार vs. व्यावहारिकतावाद

शिक्षा आद्य शंकराचार्य (७८८-८२० ई.), स्वामी दयानन्द (१८२४-१८८३), स्वामी विवेकानन्द (१८७३-१९०२), श्रीमती एनी बेसेण्ट (१८४७-१९३३), गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (१८६१-१९४१), महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय (१८६१-१९४५), महात्मा गाँधी (१८६९-१९४८) और महर्षि अरविन्द (१८७२-१९५०) आदि विचारक आधुनिक भारत के महान शिक्षा-शास्त्री माने जाते हैं। वे अन्य विचारकों द्वारा ग्रहण की हुई भारतीय शिक्षा से सम्बन्धित विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहाँ भारतीय शिक्षा-शास्त्रियों की मुख्य विचारधारा का अवलोकन किया जायगा और यह भी बतलाने का प्रयत्न किया जायगा कि भारतीय विचारकों के शिक्षा-सम्बन्धी विचारों में मुख्य पाश्चात्य शिक्षा-दर्शन की छाप कहाँ तक पायी जाती है। . प्रयोजनवाद या फलानुमेयप्रामाण्यवाद या व्यवहारवाद अंगरेजी के "प्रैगमैटिज़्म" (Pragmatism) का समानार्थवाची शब्द है और प्रैगमैटिज़्म शब्द यूनानी भाषा के 'Pragma' शब्द से बना है, जिसका अर्थ "क्रिया" या "कर्म" होता है। तदनुसार "फलानुमेयप्रामाण्यवाद" एक ऐसी विचारधारा है जो ज्ञान के सभी क्षेत्रों में उसके क्रियात्मक प्रभाव या फल को एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान देती है। इसके अनुसार हमारी सभी वस्तुविषयक धारणाएँ उनके संभव व्यावहारिक परिणामों की ही धारणाएँ होती हैं। अत: किसी भी बात या विचार को सही सही समझने के लिए उसके व्यावहारिक परिणामों की परीक्षा करना आवश्यक है। प्रयोजनवाद एक नवीनतम् दार्शनिक विचारधारा है। वर्तमान युग में दर्शन एवं शिक्षा के विभिन्न विचारधाराओं में इस विचारधारा को सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है। यथार्थवाद ही एक ऐसी विचारधारा है जिसका बीजारोपण मानव-मस्तिष्क में अति प्राचीन काल में ही हो गया था। यथार्थवाद किसी एक सुगठित दार्शनिक विचारधारा का नाम न होकर उन सभी विचारों का प्रतिनिधित्व करता है जो यह मानते हैं कि वस्तु का अस्तित्व स्वतंत्र रूप से है। आदर्शवादी यह मानता है कि ‘वस्तु’ का अस्तित्व हमारे ज्ञान पर निर्भर करता है। यदि यह विचार सही है तो वस्तु की कोई स्थिति नहीं है। इसके ठीक विपरीत यथार्थवादी मानते हैं कि वस्तु का स्वतंत्र अस्तित्व है चाहे वह हमारे विचारों में हो अथवा नहीं। वस्तु तथा उससे सम्बन्धित ज्ञान दोनों पृथक-पृथक सत्तायें है। संसार में अनेक ऐसी वस्तुयें हैं जिनके सम्बन्ध में हमें जानकारी नहीं है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि वे अस्तित्व में है ही नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि वस्तु की स्वतंत्र स्थिति है। हमारा ज्ञान हमको उसकी स्थिति से अवगत कराता है परन्तु उसके बारे में हमारा ज्ञान न होने से उसका अस्तित्व नष्ट नहीं हो जाता। वैसे ज्ञान प्राप्ति के साधन के विषय में यथार्थवादी, प्रयोजनवाद के समान वैज्ञानिक विधि को ही सर्वोत्तम विधि मानता है और निगमन विधि का आश्रय लेता है। .

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद के बीच समानता

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रकृतिवाद (दर्शन), आदर्शवाद

प्रकृतिवाद (दर्शन)

प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते। यूनानी दार्शनिक थेल्स (६४० ईसापूर्व-५५० इसापूर्व) का नाम सबसे पहले प्रकृतिवादियों में आता है जिसने इस सृष्टि की रचना जल से सिद्ध करने का प्रयास किया था। किन्तु स्वतन्त्र दर्शन के रूप में इसका बीजारोपण डिमोक्रीटस (४६०-३७० ईसापूर्व) ने किया। प्रकृतिवादी विचारक बुद्धि को विशेष महत्व देते हैं परन्तु उनका विचार है कि बुद्धि का कार्य केवल वाह्य परिस्थितियों तथा विचारों को काबू में लाना है जो उसकी शक्ति से बाहर जन्म लेते हैं। इस प्रकार प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन इत्यादि की सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं। प्रो.

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आदर्शवाद

विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद (Idealism; Ideal.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद के बीच तुलना

भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार 20 संबंध है और व्यावहारिकतावाद 18 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.26% है = 2 / (20 + 18)।

संदर्भ

यह लेख भारतीय शिक्षाशास्त्रियों के विचार और व्यावहारिकतावाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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