भारतीय वायुसेना और सुदर्शन लेजर निर्देशित बम के बीच समानता
भारतीय वायुसेना और सुदर्शन लेजर निर्देशित बम आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मिकोयान मिग-27, मिकोयान मिग-29, सुखोई एसयू-३० एमकेआई।
मिकोयान मिग-27
मिकोयान मिग-27 (Mikoyan MiG-27, Микоян МиГ-27) एक रुसी लड़ाकू विमान है। मूल रूप से इसे सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया था। बाद में लाइसेंस पर भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स द्वारा बहादुर विमान के रूप में भी इसे निर्मित किया गया था। यह मिकोयान-गुरेविच मिग-23 लड़ाकू विमानों पर आधारित है लेकिन मिग-23 के विपरीत यह एयर-टू-ग्राउंड हमले करने के लिए अनुकूलित है। मिग-27 का रूस के बाहर व्यापक उपयोग नहीं देखा गया है। चूंकि ज्यादातर देशों ने मिकोयान-गुरेविच मिग-23बीएन और सुखोई एसयू-22 का विकल्प चुना है। यह ग्राउंड अटैक की भूमिका में भारतीय, कज़ाख और श्रीलंका के एयर फोर्स मे अभी भी सेवा में मे बना हुआ है। सभी रूसी और यूक्रेनी मिग-27 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। .
भारतीय वायुसेना और मिकोयान मिग-27 · मिकोयान मिग-27 और सुदर्शन लेजर निर्देशित बम ·
मिकोयान मिग-29
मिकोयान मिग-29 (Mikoyan MiG-29, Микоян и Гуревич МиГ-29) एक रुसी लडाकू विमान है। .
भारतीय वायुसेना और मिकोयान मिग-29 · मिकोयान मिग-29 और सुदर्शन लेजर निर्देशित बम ·
सुखोई एसयू-३० एमकेआई
सुखोई ३० एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पन्क्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इस के नाम में स्थित एम के आई का विस्तार मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि (модернизированный коммерческий индийский) है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय (विमान)। इसी श्रृंखला के सुखोई ३०-एमकेके तथा एमके२ विमानों को चीन तथा बाद में इण्डोनेशिया को बेचा गया था। इसके अलावा एमकेएम, एमकेवी तथा एमकेए संस्करणों को मलेशिया, वेनेजुएला तथा अल्जीरिया को भी बेचा गया है। विमान ने सन १९९७ में पहली उड़ान भरी थी। सन २००२ में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया। सन २००४ से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। यह एक ४++ पीढ़ी का लडाकू विमान है। अकतूबर २००९ में ऐसे १०५ विमानो की ६ स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में थी। ऐसे कुल २८० विमान हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाये जाने की योजना है। यह विमान ३००० किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है। इसे शक्ति इसके दो एएल-३१ तर्बोफैन इन्जनो से मिलती है जो इसे २६०० किमी प्रति घण्टे की गति देते हैं। यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है। इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये १२ स्थान है। भविष्य में इसे ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र से लैस किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इसमे एक ३० मिमि की तोप भी लगी है। .
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संदर्भ
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