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भारतीय पेय

सूची भारतीय पेय

कोई विवरण नहीं।

10 संबंधों: चाय, ताड़ी, नीरा, फेनी, भांग, महुआ, महुआ की शराब, लस्सी, हंड़िया, गोवा

चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

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ताड़ी

ताड़ी ताड़ी निकालने वाला ताड़ी (Palm wine) एक अल्कोहली पेय है जो ताड़ की विभिन्न प्रजाति के वृक्षों के रस से बनती है। .

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नीरा

केरल के कोल्लम में निर्मित नीरा पेय नीरा एक पेय है जो ताड़ी के वृक्षों का रस (दूध) है। इसे मीठी ताड़ी भी कहते हैं। श्रेणी:पेय.

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फेनी

* फिणी - उत्तर भारत की एक मिठाई।.

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भांग

भांग की दूकान भांग मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में पेय या मादक धूम्रपान के रूप में उपयोग में लाया जाने वाला पदार्थ है। यह मुख्यतः नारी भांग के पौधे की पत्तियों, कलियों तथा फूलों से तैयार की जाती है। श्रेणी:मादक पदार्थ श्रेणी:कैनबिस.

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महुआ

महुआ की पतली डाली, पत्तियाँ और फल महुआ एक भारतीय उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मधुका लोंगफोलिआ है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है जो लगभग 20 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकता है। इसके पत्ते आमतौर पर वर्ष भर हरे रहते हैं। यह पादपों के सपोटेसी परिवार से सम्बन्ध रखता है। यह शुष्क पर्यावरण के अनुकूल ढल गया है, यह मध्य भारत के उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन का एक प्रमुख पेड़ है। गर्म क्षेत्रों में इसकी खेती इसके स्निग्ध (तैलीय) बीजों, फूलों और लकड़ी के लिये की जाती है। कच्चे फलों की सब्जी भी बनती है। पके हुए फलों का गूदा खाने में मीठा होता है। प्रति वृक्ष उसकी आयु के अनुसार सालाना 20 से 200 किलो के बीच बीजों का उत्पादन कर सकते हैं। इसके तेल का प्रयोग (जो सामान्य तापमान पर जम जाता है) त्वचा की देखभाल, साबुन या डिटर्जेंट का निर्माण करने के लिए और वनस्पति मक्खन के रूप में किया जाता है। ईंधन तेल के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। तेल निकलने के बाद बचे इसके खल का प्रयोग जानवरों के खाने और उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके सूखे फूलों का प्रयोग मेवे के रूप में किया जा सकता है। इसके फूलों का उपयोग भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शराब के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। कई भागों में पेड़ को उसके औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है, इसकी छाल को औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता है। कई आदिवासी समुदायों में इसकी उपयोगिता की वजह से इसे पवित्र माना जाता है। .

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महुआ की शराब

आज के समय मैं अनेक प्रकार की शराब पायी जाती हैं लेकिन झाबुआ में महुआ की शराब सबसे ज्यादा पाइ जाती है। यह शराब पूरी तरह से रसायन (केमिकल) से मुक्त होती है। यह शराब एक फल से बनती है जिसे महुआ कहा जाता है। यह फल जब पेड़ से पूरी तरह से पक कर गिरता है उसके बाद इस फल को पूरी तरह से सुखाया जाता है। इसके बाद सभी फलों को बर्तन में पानी में मिलाकर ५-६ रोज तक रखा जाता है। उसके बाद उस बर्तन को आग पर गरम किया जाता है और गरम होने पर जो भाप निकलती है उसको पाइप के द्वारा दूसरे बर्तन मैं एकत्रित किया जाता है। भाप ठंडी होने पर महुआ की शराब होती है। अभी तक इस शराब को सरकार की ओर से कोइ मान्यता प्रदान नहीं की गइ है अगर सरकार की ओर से इस हेतु कोइ सहायता की जाती है तो शायद झाबुआ जिले के आदिवासियों का स्तर सुधर सकता हे। आज सरकार द्वारा आजीविका के अनेक प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं लेकिन अगर इस प्रोजेक्ट को अगर सरकार प्रारम्भ करती हे तो सरकार को भी फायदा होगा और लोगों को भी रोजगार मिलेगा। महुआ श्रेणी:मद्य छत्तीसगढ़ के बहूत से भागों में भी महुआ शराब बनाया जाता हैं। जिनमे बिरेझर(राजनांदगांव) और टेमरी(दुर्ग) में प्रमुखता से बनाया जाता हैं।.

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लस्सी

लस्सी एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई पेय है जो खासतौर पर उत्तर एवं पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय है। इसे दही को मथ कर एवं पानी मिलाकर बनाया जाता है तथा इसमें ऐच्छिक रूप से तरह तरह के मसाले एवं चीनी या नमक डालकर तैयार किया जाता है। लस्सी एवं छाछ का जिक्र बहुत से पुराने मुगलपुस्तकों में आता है। पारंपरिक लससी में बहुधा लोग भुना हुआ जीरा भी स्वाद के लिए मिलाते हैं। पंजाब की लस्सी में अक्सर लस्सी तैयार करने के बाद ऊपर से मलाई की एक परत डाली जाती है। लस्सी को गर्मी के मौसम में फ्रिज में ठंढा करके या बर्फ डालकर पिया जाता है जिसे अत्यंत स्फूर्ति एवं ताजगीदायक माना गया है। बहुधा बदहजमी जैसे रोगों के लिए लस्सी का प्रयोग लोकोपचार के रूप में किया जाता है। .

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हंड़िया

हंड़िया हंड़िया या हड़िया एक प्रकार की बीयर है जो चावल (भात) से बनती है। यह बिहार, झारखण्ड, ओड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। .

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गोवा

right गोवा या गोआ (कोंकणी: गोंय), क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया। .

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