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भारतीय गणित और महाभास्करीय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारतीय गणित और महाभास्करीय के बीच अंतर

भारतीय गणित vs. महाभास्करीय

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। . महाभास्करीय, भास्कर प्रथम द्वारा रचित गणित एवं खगोल से सम्बन्धित ग्रन्थ है। गोविन्दस्वामी ने इसकी टीका लिखी है जिसमें अन्तर्वेशन का वही सूत्र है जिसे आजकल 'न्यूटन-गाउस अन्तर्वेशन फॉर्मूला' कहते हैं। .

भारतीय गणित और महाभास्करीय के बीच समानता

भारतीय गणित और महाभास्करीय आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भास्कर प्रथम, लघुभास्करीय, खगोल शास्त्र, गणित, गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ), अंतर्वेशन

भास्कर प्रथम

भास्कर प्रथम (600 ई – 680 ईसवी) भारत के सातवीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। संभवतः उन्होने ही सबसे पहले संख्याओं को हिन्दू दाशमिक पद्धति में लिखना आरम्भ किया। उन्होने आर्यभट्ट की कृतियों पर टीका लिखी और उसी सन्दर्भ में ज्या य (sin x) का परिमेय मान बताया जो अनन्य एवं अत्यन्त उल्लेखनीय है। आर्यभटीय पर उन्होने सन् ६२९ में आर्यभटीयभाष्य नामक टीका लिखी जो संस्कृत गद्य में लिखी गणित एवं खगोलशास्त्र की प्रथम पुस्तक है। आर्यभट की परिपाटी में ही उन्होने महाभास्करीय एवं लघुभास्करीय नामक दो खगोलशास्त्रीय ग्रंथ भी लिखे। .

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लघुभास्करीय

लघुभास्करीय भास्कर प्रथम द्वारा रचित गणित एवं ज्योतिष का ग्रन्थ है। शंकरनारायण ने इस पर 'लघुभास्करीयविवरण' नामक भाष्य लिखा है। उदयदिवाकर ने इसकी (लघुभास्करीय की) सुन्दरी नामक टीका लिखी है। महाभास्करीय की तरह लघुभास्करीय में भी ८ अध्याय हैं। .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गोविन्दस्वामी (गणितज्ञ)

गोविन्दस्वामी (800 ई – 860 ई) भारत के गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री (ज्योतिषी) थे। उन्होने भास्कर प्रथम के ग्रन्थ महाभास्करीय पर एक भाष्य की रचना की (लगभग ८३० ई)। इस भाष्य में स्थानीय मान के प्रयोग के लिये कई उदाहरण दिये हैं और ज्या सारणी (साइन टेबल) के निर्माण की विधि दी हुई है। उनकी एक कृति 'गोविन्दकृति' थी जो 'आर्यभटीय' के क्रम में रचित गणितीय ग्रन्थ था। किन्तु अब यह अप्राप्य है। शंकरनारायण (८६९ ई), उदयदिवाकर (१०७३ ई) तथा नीलकण्ठ सोमयाजि ने गोविन्दस्वामी को अनेक बार उद्धृत किया है। .

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अंतर्वेशन

अंतर्वेशन (इंटरपोलेशन / Interpolation) का अर्थ है किसी गणितीय सारणी में दिए हुए मानों के बीच वाले मानों को ज्ञात करना। अंग्रेजी शब्द इंटरपोलेशन का शाब्दिक अर्थ है - 'बीच में शब्द बढ़ाना' या किसी के वर्ग या समूह के बीच में उसी तरह की और कोई चीज बाहर से लाकर जमाना, बैठाना या लगाना।। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारतीय गणित और महाभास्करीय के बीच तुलना

भारतीय गणित 178 संबंध है और महाभास्करीय 6 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 3.26% है = 6 / (178 + 6)।

संदर्भ

यह लेख भारतीय गणित और महाभास्करीय के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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