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भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला के बीच अंतर

भारतीय कला vs. भारतीय मूर्तिकला

अजन्ता गुफा में चित्रित '''बोधि''' नृत्य करती हुई अप्सरा (१२वीं शताब्दी) भारतीय कला का एक नमूना - '''बनीठनी'''; किशनगढ़, जयपुर, राजस्थान कला, संस्कृति की वाहिका है। भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय एवं रसात्मक तत्व उसके कला-रूपों में प्रकट हुए हैं। कला का प्राण है रसात्मकता। रस अथवा आनन्द अथवा आस्वाद्य हमें स्थूल से चेतन सत्ता तक एकरूप कर देता है। मानवीय संबन्धों और स्थितियों की विविध भावलीलाओं और उसके माध्यम से चेतना को कला उजागार करती है। अस्तु चेतना का मूल ‘रस’ है। वही आस्वाद्य एवं आनन्द है, जिसे कला उद्घाटित करती है। भारतीय कला जहाँ एक ओर वैज्ञानिक और तकनीकी आधार रखती है, वहीं दूसरी ओर भाव एवं रस को सदैव प्राणतत्वण बनाकर रखती है। भारतीय कला को जानने के लिये उपवेद, शास्त्र, पुराण और पुरातत्त्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पड़ता है। . एलोरा के कैलास मन्दिर में शिव की मूर्ति भारत की एक दीर्घ मूर्तिकला-परम्परा है जिसकी खोज नवपाषाणिक संस्कृतियों में की जा सकती है, हालांकि पुरातात्तिवक दृष्टि से विकास के निरन्तर लम्बे प्रक्षेप पथ को तीसरी शताब्दी र्इसापूर्व से आगे खोजा जा सकता है। भारतीय उपमहाद्वीप में कला को र्इश्वर की रचना माना जाता है और इसलिए कोर्इ भी कला एक-दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है। जिस प्रकार शिव से नृत्य एवं संगीत का उद्भव हुआ, विष्णु से चित्रकला एवं मूर्तिकला उत्पन्न हुर्इ और रूद्र विश्वकर्मन से वास्तुकला उत्पन्न हुर्इ। यह कोर्इ आश्चर्य की बात नहीं है कि अधिकांश प्राचीन एवं मध्यकालीन कला सामाजिक-धार्मिक संदर्भ के अन्तर्गत उत्पन्न हुर्इ। देवताओं की विशेषताओं का आरंभिक उल्लेख वैदिक काल से मिलता है जहाँ हमें श्री सुक्त में श्री जैसे विभिन्न देवताओं के शब्द-चित्र मिले हैं, यद्यपि पुरातात्तिवक दृषिट से यह सिद्ध नहीं हुआ है। हालांकि छठी शताब्दी र्इसा पूर्व के व्याकरणाचार्य पाणिनि ने उनके असितत्त्व और किसी प्रकृति अथवा मूर्ति के इर्द-गिर्द अनुष्ठान का उल्लेख किया है। उसी प्रकार सौनक अपने सार-संग्रह वृहत देवता में दस आवश्यक तत्त्वों का उल्लेख करते है जो हमें किसी देवता को पहचानने, यथा रूप, सम्बन्ध, प्रतीक, वाहन, गुण, संकेत आदि में मदद करता है। .

भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला के बीच समानता

भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पुरातत्वशास्त्र, कला

पुरातत्वशास्त्र

पुरातत्वशास्त्र (archeology) वह विज्ञान है जो पुरानी चीज़ों का अध्ययन व विश्लेषण करके मानव-संस्कृति के विकासक्रम को समझने एवं उसकी व्याख्या करने का कार्य करता है। यह विज्ञान प्राचीन काल के अवशेषों और सामग्री के उत्खनन के विश्लेषण के आधार पर अतीत के मानव-समाज का सांस्कृतिक-वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इसके लिये पूर्वजों द्वारा छोड़े गये पुराने वास्तुशिल्प, औज़ारों, युक्तियों, जैविक-तथ्यों और भू-रूपों आदि का अध्ययन किया जाता है। संस्कृत के शब्द' पुरातन' से बना 'पुरातत्व' यूनानी शब्द 'अर्कियोलोजिया'(ἀρχαιολογία), से निर्मित 'आर्कियोलोजी' शब्द का हिन्दी तर्जुमा और पर्याय है। पुरातत्व विज्ञान मुख्य रूप से मनुष्यों द्वारा छोड़े गए पर्यावरण डेटा एवं भौतिक संस्कृति जैसे कि कलाकृतियां, वास्तुकला एवं सांस्कृतिक परिदृश्य आदि कि पुनप्राप्ति एवं विश्लेषण द्वारा अतीतकालीन मानव गतिविधि का अध्ययन है। चूंकि पुरातत्व विज्ञान विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रयोग करता है, इसे विज्ञान और विज्ञानेतर विषय, दोनों माना जा सकता है। अमेरिका में इसे मानवशास्त्र का भाग माना जाता है यद्यपि यूरोप में इसे एक भिन्न अनुशासन का दर्जा प्राप्त है। पुरातत्व विज्ञान चार लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पत्थर के औज़ारों के विकास से लेकर हाल के दशकों तक (पुरततक जीवाश्म विज्ञान नहीं है) का अध्ययन करता है। पुरातत्व विज्ञान सबसे उपयोगी है प्रागैतिहासिक समाज के बारे में जानने के लिए, जब इतिहासकारों द्वारा अध्ययन के लिए कोई भी लिखित अभिलेख न हो। यह मनुष्यों के कुल इतिहास का ९९% है, पाषाण काल से किसी भी समाज में अक्षरज्ञान के आगमन तक। पुरातत्व विज्ञान के कई लक्ष्य हैं मानक विकास से लेकर सांस्कृतिक विकास और सांस्कृतिक इतिहास तक। पुरातत्त्व विज्ञान में अतीत के बारे में जानने के लिए सर्वेक्षण, उत्खनन और अंततः एकत्र किये गए आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है। व्यापक दायरे में पुरातत्व विज्ञान पार अनुशासनिक शोध जैसे यह मानव विज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, क्लासिक्स, मानव जाति विज्ञान, भूगोल, भूविज्ञान, भाषा विज्ञान, लाक्षणिकता, भौतिक विज्ञान, सूचना विज्ञान, रसायन विज्ञान, सांख्यिकी, paleoecology, जीवाश्म विज्ञान, paleozoology, paleoethnobotany और paleobotany पर निर्भर करता है। .

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कला

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला के बीच तुलना

भारतीय कला 24 संबंध है और भारतीय मूर्तिकला 13 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.41% है = 2 / (24 + 13)।

संदर्भ

यह लेख भारतीय कला और भारतीय मूर्तिकला के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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