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भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास के बीच अंतर

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास vs. मापन का इतिहास

समय-मापन की हिन्दू इकाइयाँ (लघुगणकीय पैमाने पर प्रदर्शित) भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास बहुत पुराना है। सिन्धु घाटी की सभ्यता में प्राप्त कुछ सबसे प्राचीन मापक नमूने ५वीं सहराब्दी ईसापूर्व के हैं। संस्कृत कें 'शुल्ब' शब्द का अर्थ 'नापने की रस्सी' या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। नीलकण्ठ सोमयाजि ने अपने ज'योतिर्मीमांसा' नामक ग्रन्थ में लिखा है कि ज्योतिष के ऐसे ग्रन्थ ही अनुसरण करना चाहिए जो वास्तविक प्रेक्षणों से मेल खाते हैं। . समय मापन की हिन्दू प्रणाली (लघुगणकीय पैमाने पर) मनुष्य जीवन के लिए नापतौल की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। यह कहना अत्यन्त कठिन है कि नापतौल पद्धति का आविष्कार कब और कैसे हुआ होगा किन्तु अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ ही साथ आपसी लेन-देन की परम्परा आरम्भ हुई होगी और इस लेन-देन के लिए उसे नापतौल की आवश्यकता पड़ी होगी। प्रगैतिहासिक काल से ही मनुष्य नापतौल पद्धतियों का प्रयोग करता रहा है। मापन के मात्रक शायद मानव द्वारा आविष्कृत सबसे पुरानी चीजों में से हैं क्योंकि आदिम समाज को भी विभिन्न कामों के लिये (कामचलाऊ) मापन की जरूरत पड़ती थी। .

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास के बीच समानता

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सिंधु घाटी सभ्यता, हिन्दू मापन प्रणाली

सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता अपने शुरुआती काल में, 3250-2750 ईसापूर्व सिंधु घाटी सभ्यता (3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक,परिपक्व काल: 2600 ई.पू. से 1900 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है। प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता के साथ, यह प्राचीन दुनिया की सभ्यताओं के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित। सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर २०१४ में भिर्दाना को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं। 7वी शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रांत में ईटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहां से बनी बनाई इटे मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। 1904 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व दयाराम साहनी को इसका खोजकर्ता माना गया। यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से ९२५ केन्द्र भारत में है। ८० प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है। .

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हिन्दू मापन प्रणाली

हिन्दू समय मापन (लघुगणकीय पैमाने पर) गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ। लगभग सभी प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने अपने ग्रन्थों में मापन, मापन की इकाइयों एवं मापनयन्त्रों का वर्णन किया है। ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त के २२वें अध्याय का नाम 'यन्त्राध्याय' है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास के बीच तुलना

भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास 18 संबंध है और मापन का इतिहास 15 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 6.06% है = 2 / (18 + 15)।

संदर्भ

यह लेख भारत में मापन प्रणालियों का इतिहास और मापन का इतिहास के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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