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भारत के थलसेनाध्यक्ष

सूची भारत के थलसेनाध्यक्ष

भारत के थलसेनाध्यक्ष (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) भारत की थलसेना के सेनापति होते हैं। इस पद पर सामान्यतः जनरल पद के अधिकारी होते हैं। वर्तमान में जनरल बिपिन रावत इस पद पर आसीन हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2016 को यह पद संभाला। .

39 संबंधों: ऐड-डि-कैम्‍प, तपीश्वर नारायण रैना, दलबीर सिंह सुहाग, दीपक कपूर, निर्मल चंद्र विज, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, परम विशिष्ट सेवा पदक, प्राण नाथ थापर, बिपिन चंद्र जोशी, बिपिन रावत, बिक्रम सिंह, ब्रिटिश भारतीय सेना, भारत के राष्ट्रपति, भारतीय थलसेना, भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ, महावीर चक्र, युद्ध सेवा पदक, राजेन्द्रसिंहजी जड़ेजा, रॉबर्ट लॉकहार्ट, शंकर रॉयचौधरी, सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश, सुंदरराजन पद्मनाभन, सैम मानेकशॉ, सेना मेडल, जनरल, विशिष्ट सेवा पदक, विश्वनाथ शर्मा, विजय कुमार सिंह, वेद प्रकाश मलिक, गोपाल गुरुनाथ बेवूर, ओम प्रकाश मलहोत्रा, कृष्णास्वामी सुंदरजी, के एम करिअप्पा, के एस थिमैया, केन्द्रीय सचिवालय, अति विशिष्ट सेवा पदक, अरुण श्रीधर वैद्य, उत्तम युद्ध सेवा पदक

ऐड-डि-कैम्‍प

ऐड-डि-कैम्‍प (संक्षेप में: ऐडीसी, फ्राँसीसी में: Aide-de-camp, or ADC, बहुवचन: एड्ज़-डि-कैम्प, Aides-de-camp) एक फ्राँसीसी शब्द है जिसका अर्थ है युद्धभूमि में सहायक। सामान्यतः यह एक पदवी है जो सेना के उन वरिष्ठतम अधिकारियों को दी जाती है जो किसी राष्ट्राध्यक्ष, सेनाध्यक्ष, किसी उच्च सरकारी अधिकारी अथवा राजसी परिवार के सदस्य के लिए व्यक्तिगत सचिव, सहायक या सलाहकार आदि की भूमिका निभाते हैं। एसे अधिकारी अपने नाम के साथ सम्मानों की फेहरिस्त में एडीसी लिखते हैं। विभिन्न देशों में राष्ट्राध्यक्षों के लिए एडीसी की परंपराएं, व्यवस्था, प्रणालियाँ आदि अलग अलग तरीके से निर्धारित होती हैं। भारत में मेजर जनरल व इससे ऊपर रैंक के अधिकारी सामान्यतः एडीसी रखते हैं। सामान्यतः भारत के सेनाध्यक्ष तीन व भारत के राष्ट्रपति के पाँच एडीसी होते हैं। भारतीय राज्यों के राज्यपाल सामान्यतः दो एडीसी रखते हैं जिनमें से एक सेना से तथा दूसरे पुलिस सेवा से होते हैं, सिवाय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के जिनके दोनों एडीसी सेना से ही होते हैं। .

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तपीश्वर नारायण रैना

जनरल तापेश्वर नारायण रैना 'पद्म भूषण, महावीर चक्र (1 9 21 और 1 9 मई 1 9 80)भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख,भारत के थलसेनाध्यक्ष, उनका कार्यकाल 1 9 75 और 1 9 78 के बीच रहा। बाद में, उन्होंने कनाडा के उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। वह भारत के तीसरे उच्चतम नागरिक सम्मान, पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता थे। .

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दलबीर सिंह सुहाग

जनरल दलबीर सिंह सुहाग, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक, भारतीय थलसेना के २६वें थलसेनाध्यक्ष हैं। उन्होंने ३१ जुलाई २०१४ को जनरल बिक्रम सिंह के सेवा निवृत्त होने के बाद यह पद ग्रहण किया। .

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दीपक कपूर

भारत के थलसेनाध्यक्ष। .

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निर्मल चंद्र विज

जनरल निर्मल चंद्र विज पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम (जन्म ३ जनवरी १९४३, जम्मू) भारतीय सेना के 21 वें सेना प्रमुख थे। वे १ जनवरी २००३ से ३१ जनवरी २००५ तक सेनाध्यक्ष रहे । .

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पद्म भूषण

पद्म भूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों में भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्मश्री का नाम लिया जा सकता है। पद्म भूषण रिबन .

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पद्म विभूषण

पद्म विभूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा उच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में की गयी थी। भारत रत्‍न के बाद यह दूसरा प्रतिष्ठित सम्मान है। पद्म विभूषण के बाद तीसरा नागरिक सम्मान पद्म भूषण है। यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएं भी शामिल हैं। श्रेणी:सम्मान श्रेणी:पद्म विभूषण.

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परम विशिष्ट सेवा पदक

परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम),भारत का एक सैन्य पुरस्कार है। इसका गठन 1960 में किया गया था और तब से आज तक, यह शांति के लिए और सेवा क्षेत्र में सबसे असाधारण कार्य (मरणोपरांत भी) सम्मानित किया जाता है। भारतीय सशस्त्र बलों सहित सभी रैंकों के लिए,प्रादेशिक सेना, सहायक और रिजर्व बलों, नर्सिंग अधिकारियों और अन्य सदस्यों के नर्सिंग सेवाओं और अन्य विधिवत् गठित सशस्त्र बल इस पदक के पात्र है। .

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प्राण नाथ थापर

जनरल प्राण नाथ थापर (२३ मई, १९०६ - २३ जून, १९७५)भारतीय सेना के पांचवे सेना प्रमुख थे । .

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बिपिन चंद्र जोशी

जनरल बिपीन चंद्र जोशी, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी (५ दिसंबर 1935 - 19 नवंबर १९९४) भारतीय सेना के १७ वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) थे। उनका जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हुआ था। .

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बिपिन रावत

बिपिन रावत (AVSM, YSM, SM, VSM) भारतीय थलसेना के प्रमुख हैं। उन्हें सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। रावत ने ३१ दिसंबर २०१६ को थल सेनाध्यक्ष के पद का भार ग्रहण किया। .

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बिक्रम सिंह

जनरल बिक्रम सिंह, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, एडीसी भारतीय थलसेना के 25वें अध्यक्ष रह चुके हैं। भारतीय सेना की पूर्वी कमान के अध्यक्ष रहे जनरल बिक्रम सिंह, 31 मई 2012 को जनरल वी के सिंह के सेवानिवृत्त होने के पश्चात् भारतीय थलसेना के अध्यक्ष बने। जनरल जे जे सिंह के बाद इस पद पर आसीन होने वाले वे द्वितीय सिख हैं। वे भारतीय सेना के सेनाध्यक्षों की समिति के अध्यक्ष भी रहे। 31 जुलाई 2014 को वे सेवानिवृत्त हुए तथा उनके स्थान पर जनरल दलबीर सिंह सुहाग भारतीय थलसेना के अध्यक्ष बने। .

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ब्रिटिश भारतीय सेना

भारतीय मुसलमान सैनिकों का एक समूह जिसे वॉली फायरिंग के आदेश दिए गए। ~1895 ब्रिटिश भारतीय सेना 1947 में भारत के विभाजन से पहले भारत में ब्रिटिश राज की प्रमुख सेना थी। इसे अक्सर ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में निर्दिष्ट नहीं किया जाता था बल्कि भारतीय सेना कहा जाता था और जब इस शब्द का उपयोग एक स्पष्ट ऐतिहासिक सन्दर्भ में किसी लेख या पुस्तक में किया जाता है, तो इसे अक्सर भारतीय सेना ही कहा जाता है। ब्रिटिश शासन के दिनों में, विशेष रूप से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय सेना न केवल भारत में बल्कि अन्य स्थानों में भी ब्रिटिश बलों के लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध हुई। भारत में, यह प्रत्यक्ष ब्रिटिश प्रशासन (भारतीय प्रान्त, अथवा, ब्रिटिश भारत) और ब्रिटिश आधिपत्य (सामंती राज्य) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी थी। पहली सेना जिसे अधिकारिक रूप से "भारतीय सेना" कहा जाता था, उसे 1895 में भारत सरकार के द्वारा स्थापित किया गया था, इसके साथ ही ब्रिटिश भारत की प्रेसीडेंसियों की तीन प्रेसिडेंसी सेनाएं (बंगाल सेना, मद्रास सेना और बम्बई सेना) भी मौजूद थीं। हालांकि, 1903 में इन तीनों सेनाओं को भारतीय सेना में मिला दिया गया। शब्द "भारतीय सेना" का उपयोग कभी कभी अनौपचारिक रूप से पूर्व प्रेसिडेंसी सेनाओं के सामूहिक विवरण के लिए भी किया जाता था, विशेष रूप से भारतीय विद्रोह के बाद.

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भारत के राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति, भारत गणराज्य के कार्यपालक अध्यक्ष होते हैं। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किये जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शांति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। सिद्धांततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद् के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है। प्रतिभा पाटिल भारत की 12वीं तथा इस पद को सुशोभीत करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2007 को पद व गोपनीयता की शपथ ली थी। - Fadoo Post - 14 july 2017 वर्तमान में राम नाथ कोविन्द भारत के चौदहवें राष्ट्रपति हैं। .

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्‍येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय शस्‍त्र सेनाओं की सर्वोच्‍च कमान भारत के राष्‍ट्रपति के पास है। राष्‍ट्र की रक्षा का दायित्‍व मंत्रिमंडल के पास होता है। इसका निर्वहन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जो सशस्‍त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्‍व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्‍त्र सेना में तीन प्रभाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना, भारतीय वायुसेना और इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बलों भारतीय तटरक्षक बल और अर्धसैनिक संगठनों (असम राइफल्स, और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) और विभिन्न अंतर-सेवा आदेशों और संस्थानों में इस तरह के सामरिक बल कमान अंडमान निकोबार कमान और समन्वित रूप से समर्थन कर रहे हैं डिफेंस स्टाफ। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है। भारतीय सशस्त्र बलों भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (रक्षा मंत्रालय) के प्रबंधन के तहत कर रहे हैं। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ,यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है। अन्य कई स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ जैसे: भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि। भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द हैं। यह दुनिया के सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। सँख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की सँख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। जबसे भारतीय सेना का गठन हुआ है, भारत ने दोनों विश्वयुद्ध में भाग लिया है। भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध 1948, 1965, तथा 1971 में लड़े हैं जबकि एक बार चीन से 1962 में भी युद्ध हुआ है। इसके अलावा 1999 में एक छोटा युद्ध कारगिल युद्ध पाकिस्तान के साथ दुबारा लड़ा गया। भारतीय सेना परमाणु हथियार, उन्नत अस्त्र-शस्त्र से लैस है और उनके पास उचित मिसाइल तकनीक भी उपलब्ध है। हलांकि भारत ने पहले परमाणु हमले न करने का संकल्प लिया हुआ है। भारतीय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। .

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महावीर चक्र

महावीर चक्र भारत का युद्ध के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता क्रम में यह परमवीर चक्र के बाद आता है। .

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युद्ध सेवा पदक

युद्ध सेवा पदक युद्धकालीन समय के दौरान प्रतिष्ठित सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित सैन्य सम्मान है। यह परिचालन संबंधी संदर्भ में जिसमें युद्ध, संघर्ष या शत्रुता के समय शामिल हैं विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इस सम्मान के प्राप्तकर्ता को मरणोपरांत भी सम्मानित किया जा सकता है। यह सम्मान युद्घकालीन विशिष्ट सेवा पदक के समानांतर है, जो शांतिकाल का प्रतिष्ठित सेवा सम्मान है। .

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राजेन्द्रसिंहजी जड़ेजा

जनरल महाराज श्री राजेन्द्रसिंहजी, डीएसओ (15 जून 1899 – 1 जनवरी 1964), जिन्हें कुमार श्री राजेन्द्रसिंहजी और के॰एस॰ राजेन्द्रसिंहजी, भारतीय थलसेना के प्रथम थलसेनाध्यक्ष और फ़ील्ड मार्शल के एम करिअप्पा के बाद द्वितीय भारतीय थे जो भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ और भारतीय थलसेना प्रमुख बने। .

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रॉबर्ट लॉकहार्ट

जनरल सर रॉबर्ट मैकग्रेगर मैकडोनाल्ड लॉकहार्ट (जन्म: 23 जून 1893) स्वतंत्र भारत के प्रथम थलसेनाध्यक्ष थे। वो 15 अगस्त 1947 से 31 दिसम्बर 1947 तक इस पद पर रहे। .

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शंकर रॉयचौधरी

जनरल शंकर रॉयचौधरी, पीवीएसएम, एडीसी (जन्म ६ सितंबर १९३७, कोलकाता) भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख और भारतीय संसद के पूर्व सदस्य हैं। .

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सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश

जनरल सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश (11 मई 1903 – 27 दिसम्बर 1977), जिन्हें सामान्यतः एस एम श्रीनागेश के नाम से जाना जाता है, भारतीय थलसेना के तृतीय थलसेनाध्यक्ष थे जिनका इस पद पर कार्यकाल 14 मई 1955 से 7 मई 1957 तक रहा। उसके बाद १९५७ से १९६२ तक उन्हें भारतीय प्रशासनिक कॉलेज, हैदराबाद, हैदराबाद स्टेट के माननीय प्रधान के रूप में नियुक्त किया गया। सेवा निवृत्ति के पश्चात उन्होंने १४ अक्टूबर १९५९ से १२ नवम्बर १९६० तक और पुनः १३ जनवरी १९६१ से ७ सितम्बर १९६२ असम के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया। ८ सितम्बर १९६२ से ४ मई १९६४ तक वो आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे एवं ४ मई १९६४ से २ अप्रैल १९६५ तक वे मैसूर के राज्यपाल रहे। .

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सुंदरराजन पद्मनाभन

जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (५ दिसंबर १९४० को तिरुवनंतपुरम, त्रावणकोर में जन्म), भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष हैं । जनरल पद्मनाभन ३० सितंबर २००० को जनरल वी पी मलिक के उत्तराधिकारी बने। उन्होंने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। १९५६ में पद्मनाभन ने भारतीय राष्ट्रीय सैन्य कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की। बाद में पद्मनाभन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो गए और १९५९ में आर्टिलरी के रेजिमेंट में दाखिला लिया । उन्होंने दिसंबर १९८८ से फरवरी १९९१ तक रांची, बिहार और पंजाब में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व किया और उन्हें मार्च १९९१ से अगस्त १९९२ तक पंजाब के एक इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने सितंबर १९९२ से जून १९९३ तक चीफ ऑफ स्टाफ, III कोर के रूप में कार्य किया । लेफ्टिनेंट जनरल पद पर पदोन्नति के बाद, वह जुलाई १९९३ से फरवरी १९९५ तक कश्मीर घाटी में XV कोर के कमांडर थे। यह उनके कार्यकाल के दौरान XV कोर कमांडर के रूप में सेना ने कश्मीर में आतंकवादियों पर बड़ी विजय प्राप्त की । उन्हें XV कॉर्प्स कमांडर के रूप में उनकी सेवाओं के लिए अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) से सम्मानित किया गया था। जनरल पद्मनाभन ने १९९६ ने उधमपुर में उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी के रूप में पदभार संभालने के बाद महानिदेशक सैन्य (खुफिया) (डीजीएमआई) पद पर नियुक्ति हुई । १९९६ को सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने से पहले, वह दक्षिणी कमान के जीओसी-इन-सी थे। वह ३१ दिसंबर २००२ को प्रतिष्ठित सैन्य सेवा से ४३ साल से अधिक पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने दो किताबें लिखी हैं। वे वर्तमान में चेन्नई में निवास करते है। .

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सैम मानेकशॉ

सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (३ अप्रैल १९१४ - २७ जून २००८) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था। .

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सेना मेडल

सेना मेडल जिसे संछेप में 'SM' (एस एम) कहा जाता है, भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के आग्रह पर सैनिकों को "ऐसी असाधारण कर्तव्य निष्ठा या साहस का परिचय देने वाले विशिष्ट कार्यों के लिए दिया जाता है जो कि सेना के लिए विशेष महत्व रखते हों।" .

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जनरल

जनरल ऑफिसर अथवा जनरल अफ़सर (general officer) सेना का उच्चतम पद का अधिकारी होता है और विभिन्न देशों की वायु सेना और मरीन का भी मुखिया होता है। .

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विशिष्ट सेवा पदक

विशिष्ट सेवा पदक भारत सरकार द्वारा सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के कर्मियों के लिए,"विशिष्ट आदेश पर की जाने वाली असाधारण सेवा हेतु ", दिया जाने वाला सम्मान है। यह सम्मान मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है और एक से अधिक बार सम्मान प्राप्त करने पर रिबन पर एक 'बार' द्वारा अंकित किया जाता हैं। सम्मान के साथ "वीएसएम" का उपयोग करने का अधिकार नामपत्र के रूप में दिया जाता है। पदक मूलतः "विशिष्ट सेवा पदक, वर्ग III" के रूप में स्थापित किया गया था। इसका नाम 27 जनवरी 1 9 67 को अपने वर्तमान नाम पर रखा गया था। पदक का डिजाइन अपरिवर्तित रहा और केवल रिकॉर्डों पर ही ये परिवर्तन दिखाई दिया। 1980 से, युद्ध सेवा पदक,सैन्य परिचालन में असाधारण सेवाओं के लिए दिया जाने लगा। तब से वीएसएम को गैर-परिचालन सेवा तक सीमित कर दिया गया है। .

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विश्वनाथ शर्मा

जनरल विश्वनाथ शर्मा, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी भारतीय सेना के 15 वें सेनाध्यक्ष थे । वह स्वतंत्र भारत के पहले मरणोपरांत परम वीर चक्र के प्राप्तकर्ता मेजर सोम नाथ शर्मा और भारतीय सेना के प्रमुख अभियंता लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र नाथ शर्मा के छोटे भाई हैं। दोनों भाइयों ने प्रिंस ऑफ वेल्स के रॉयल इंडियन मिलिटरी कॉलेज, देहरादून में शिक्षा प्राप्त की थी । शर्मा,भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में पांचवें नियमित पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए गए और उन्हें 4 जून 1 9 50 को 16 वें लाइट कैवेलरी में कमीशन किया गया। उन्होंने लाहौर सेक्टर में पाकिस्तान के खिलाफ 1 9 65 के युद्ध में लड़ा। उन्होंने 66 वें बख्तरबंद रेजिमेंट और बाद में एक विद्रोह प्रभावित क्षेत्र में माउंटेन ब्रिगेड का नेतृत्व किया । प्रतिष्ठित सेवा के लिए अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया, जनरल शर्मा ने 1 जून 1 9 87 को पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी के रूप में कार्यभार संभाला और उन्हें 25 जुलाई 1 9 87 को राष्ट्रपति को मानद सेना एडीसी नियुक्त किया गया। उन्होंने 1 मई 1 9 88 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया । वे 30 जून 1 99 0 को सेवानिवृत्त हुए। .

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विजय कुमार सिंह

जनरल विजय कुमार सिंह, परम विशिष्ट सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल, एडीसी (जन्म: 10 मई 1951) भारतीय सेना को २६वें थल-सेनाध्यक्ष थे। वर्तमान में वे गाज़ियाबाद से भाजपा के सांसद है तथा नरेंद्र मोदी नीत सरकार में उत्तर-पूर्वी भारत से संबंधित मामलों के राज्यमंत्री हैं।। जनरल के पद तक पहुँचने वाले वे पहले प्रशिक्षित कमांडो हैं और वे एसे प्रथम भारतीय सेना प्रमुख हैं जो सरकार को न्यायालय तक लेकर गये। .

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वेद प्रकाश मलिक

जनरल वेद प्रकाश मलिक कारगिल युद्ध के दौरान भारत के सेनाध्यक्ष थे। .

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गोपाल गुरुनाथ बेवूर

गोपाल गुरुनाथ बेवूर को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक से थे। .

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ओम प्रकाश मलहोत्रा

जनरल ओम प्रकाश मल्‍होत्रा (6 अगस्त, 1922 – 29 दिसम्बर, 2015) 1978 से 1981 तक भारतीय थलसेना के प्रमुख थे, वे 1981 से 1984 तक इंडोनेशिया में भारत के राजदूत रहे और 1990 से 1991 तक पंजाब के गर्वनर और चंडीगढ़ के प्रशासक रहे। जनरल ओपी मल्‍होत्रा का जन्‍म 6 अगस्‍त 1922 को कश्‍मीर के श्रीनगर में हुआ था और उन्‍होंने अपनी हाईस्‍कूल की शिक्षा श्रीनगर के मॉडल हाईस्‍कूल से प्राप्‍त की और इसके पश्‍चात श्रीनगर के एसपी हाईअर सीनियर सैकेंडरी स्‍कूल से शिक्षा हासिल की। उन्‍होंने देहरादून भारतीय सैन्‍य अकादमी में चुने जाने से पूर्व लाहौर के गर्वमैंट कॉलिज में भी दाखिला लिया। जनरल ओपी मल्‍होत्रा को आर्टिलरी रेजीमैंट में शामिल किया गया था। उन्‍होंने विलिंग्‍टन के डिफैंस सर्विस स्‍टॉफ कॉलिज में एक प्रशिक्षक के अलावा नवंबर 1950 से जुलाई 1961 के बीच विभिन्न आर्टिलरी रेजीमैंटों की कमान संभाली। जनरल ओपी मल्‍होत्रा ने अगस्‍त 1965 से जनवरी 1966 के बची आर्टिलरी ब्रिगेड की कमान संभाली और फिर माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभाली। इसके पश्‍चात सितम्‍बर 1969 से मई 1972 में पूर्वी क्षेत्र में कॉर्प्‍स मुख्‍यालय में चीफ ऑफ स्‍टॉफ के तौर पर नियुक्‍त हुए। सन् 1974 में जनरल मल्‍होत्रा दक्षिण कमान में जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ नियुक्त हुए और जनवरी 1977 में आर्मी स्‍टॉफ के वाइस चीफ नियुक्‍त हुए और जून 1978 में थलसेना प्रमुख का कार्यभार संभाला। जनरल मल्‍होत्रा की पत्‍नी सरोज मल्‍होत्रा और दो बच्‍चे हैं। उनके पुत्र अजय मल्‍होत्रा रूसी संघ, कुवैत, रोमानिया में भारत के राजदूत और न्‍यूयॉर्क में संयुक्त राष्‍ट्र में भारत के उपस्‍थायी प्रतिनिधि रहे हैं। .

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कृष्णास्वामी सुंदरजी

जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी, पीवीएसएम (२८ अप्रैल १९३० - ८ फरवरी १९९९), १९८६ से १९८८ तक भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष थे। अपने सेना के करियर के दौरान, उन्होंने इंदिरा गांधी के आदेशों के तहत,स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर करने के लिए,ऑपरेशन ब्लू स्टार के संचालन की स्वीकृति दी थी । मानव अधिकारों के उल्लंघनों के आरोपों के साथ, सैन्य विफलता के रूप में व्यापक रूप से इसकी आलोचना की गई है। उन्होंने भारतीय सेना के लिए कई तकनीकी सुधारों की शुरुआत की। बोफोर्स स्कैंडल में बोफोर्स होविट्जर की सिफारिश करने में उनकी भूमिका के लिए उनसे भी सवाल किया गया था। सेना प्रमुख के रूप में, उन्होंने राजस्थान सीमा के साथ ऑपरेशन ब्रैस्स्टैक की योजना बनाई और निष्पादित किया जो एक प्रमुख सैन्य अभ्यास था। उनका आधिकारिक नाम कृष्णस्वामी सुंदरराजन था, लेकिन वह सुंदरजी के अनौपचारिक नाम के लोकप्रिय रूप से जाने जाते थे। .

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के एम करिअप्पा

फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (२८ जनवरी १८९९ - १५ मई १९९३) भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे। उन्होने सन् १९४७ के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। वे भारत के दो फील्ड मार्शलों में से एक हैं (दूसरे हैं - फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ। .

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के एस थिमैया

कोडन्डेरा सुबैया थिमैया (संक्षेप में: के एस थिमैया, निधन: १८ दिसंबर १९६५)) 08 मई 1957 से 07 मई 1961 तक भारत के थलसेनाध्यक्ष थे। उन्हें प्रशासकीय सेवा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। ये कर्नाटक राज्य से हैं। .

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केन्द्रीय सचिवालय

केन्द्रीय सचिवालय का दक्षिणी खण्ड केन्द्रीय सचिवालय की इमारत का गुम्बद यह भारत की राजधानी नई दिल्ली में, रायसीना की पहाङी पर स्थित है। यहाँ भारत सरकार का केन्द्रीय सचिवालय है। इसमें दो इमारतें, बिलकुल एक जैसी, पर प्रतिबिम्ब रूप में राजपथ के उत्तर व दक्षिण में स्थित हैं। इनमें प्रमुख मन्त्रालय के कार्यालय भी स्थित हैं। .

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अति विशिष्ट सेवा पदक

अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के लिए भारत सरकार का एक सैन्य पुरस्कार है यह पुरस्कार मरणोपरांत भी प्रदान किया जाता है। एक से अधिक बार यह पुरस्कार प्राप्त करने पर,पदक के साथ एक पट्टिका जोड़ दी जाती है। .

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अरुण श्रीधर वैद्य

जनरल ए एस वैद्य भारतीय सेना के 13 वे थलसेनाध्यक्ष थे। वर्ष 1986 में पुणे में हरजिंदर और सुखदेव ने जनरल वैद्य की हत्या कर दी थी। वर्ष 1992 में दोनों हत्यारों को फांसी की सजा दी गई। .

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उत्तम युद्ध सेवा पदक

उत्तम युद्ध सेवा पदक युद्धकालीन उल्लेखनीय सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त सैन्य सम्मान में से एक है। इसे परिचालन संबंधी उच्च स्तर की विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है,"परिचालनात्मक संदर्भ" में युद्ध, संघर्ष या शत्रुता का समय शामिल हैं। यह युद्धकालीन सम्मान,अति विशिष्ट सेवा पदक के समकक्ष है, जो एक शांतिकालीन विशिष्ट सेवा सम्मान है। उत्तम युद्ध सेवा पदक मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है .

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