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भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता के बीच अंतर

भारत की संस्कृति vs. स्वप्नवासवदत्ता

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। . स्वप्नवासवदत्ता (वासवदत्ता का स्वप्न), महाकवि भास का प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है। इसमें छः अंक हैं। भास के नाटकों में यह सबसे उत्कृष्ट है। क्षेमेन्द्र के बृहत्कथामंजरी तथा सोमदेव के कथासरित्सागर पर आधारित यह नाटक समग्र संस्कृतवांमय के दृश्यकाव्यों में आदर्श कृति माना जाता है। भास विरचित रूपकों में यह सर्वश्रेष्ठ है। वस्तुतः यह भास की नाट्यकला का चूडान्त निदर्शन है। यह छः अंकों का नाटक है। इसमें प्रतिज्ञायौगन्धारायण से आगे की कथा का वर्णन है। इस नाटक का नामकरण राजा उदयन के द्वारा इइस्वप्न में वासवदत्ता के दर्शन पर आधारित है। स्वप्न वाला दृश्य संस्कृत नाट्य साहित्य में अपना विषेष स्थान रखता है। यह नाटक नाट्यकला की सर्वोत्तम परिणिति है। वस्तु, नेता एवं रस - तीनों ही दृष्टि से यह उत्तम कोटि का है। नाटकीय संविधान, कथोपकथन, चरित्र-चित्रण, प्रकृति वर्णन तथा रसों का सुन्दर सामन्जस्य इस नाटक में पूर्ण परिपाक को प्राप्त हुये हैं। मानव हृदय की सूक्ष्मातिसूक्ष्म भावदशाओं का चित्रण इस नाटक में सर्वत्र देखा जा सकता है। नाटक का प्रधान रस श्रृंगार है तथा हास्य की भी सुन्दर उद्भावना हुई है। .

भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता के बीच समानता

भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भास, संस्कृत भाषा

भास

भास संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध नाटककार थे जिनके जीवनकाल के बारे में अधिक पता नहीं है। स्वप्नवासवदत्ता उनके द्वारा लिखित सबसे चर्चित नाटक है जिसमें एक राजा के अपने रानी के प्रति अविरहनीय प्रेम और पुनर्मिलन की कहानी है। कालिदास जो गुप्तकालीन समझे जाते हैं, ने भास का नाम अपने नाटक में लिया है, जिससे लगता है कि वो गुप्तकाल से पहले रहे होंगे पर इससे भी उनके जीवनकाल का अधिक ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आज कई नाटकों में उनका नाम लेखक के रूप में उल्लिखित है पर १९१२ में त्रिवेंद्रम में गणपति शास्त्री ने नाटकों की लेखन शैली में समानता देखकर उन्हें भास-लिखित बताया। इससे पहले भास का नाम संस्कृत नाटककार के रूप में विस्मृत हो गया था। .

भारत की संस्कृति और भास · भास और स्वप्नवासवदत्ता · और देखें »

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

भारत की संस्कृति और संस्कृत भाषा · संस्कृत भाषा और स्वप्नवासवदत्ता · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता के बीच तुलना

भारत की संस्कृति 292 संबंध है और स्वप्नवासवदत्ता 13 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 0.66% है = 2 / (292 + 13)।

संदर्भ

यह लेख भारत की संस्कृति और स्वप्नवासवदत्ता के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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