लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भजन और भारतीय संगीत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भजन और भारतीय संगीत के बीच अंतर

भजन vs. भारतीय संगीत

भारतीय संगीत के मुख्य रूप से तीन भेद किये जाते हैं। शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत और लोक संगीत। भजन सुगम संगीत की एक शैली है। इसका आधार शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत हो सकता है। इसको मंच पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन मूल रूप से यह यह किसी देवी या देवता की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है। सामान्य रूप से उपासना की सभी भारतीय पद्धतियों में इसका प्रयोग किया जाता है। भजन मंदिरों में भी गाए जाते हैं। हिंदी भजन, जो आम तौर पर हिन्दू अपने सर्वशक्तिमान को याद करते हैं या गाते हैं| कुछ विख्यात भजन रचनाकारों की नामावली - मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास, रसखान। . हिन्दुस्तानी संगीत सभा का दुर्लभ चित्र संगीत का रसास्वादन करती हुए एक स्त्री (पंजाब १७५०) भारतीय संगीत प्राचीन काल से भारत मे सुना और विकसित होता संगीत है। इस संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिंदु परंपरा मे ऐसा मानना है कि ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान में दिया था। पंडित शारंगदेव कृत "संगीत रत्नाकर" ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा "गीतम, वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीतमुच्यते" कहा गया है। गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य; तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है। भारतीय संगीत की दो प्रकार प्रचलित है; प्रथम कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रचलित है और हिन्दुस्तानी संगीत शेष भारत में लोकप्रिय है। भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है। इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को 'देशी' कहा जाता था। कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है। वैदिक काल में सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था। गुरू-शिष्य परंपरा के अनुसार, शिष्य को गुरू से वेदों का ज्ञान मौखिक ही प्राप्त होता था व उन में किसी प्रकार के परिवर्तन की संभावना से मनाही थी। इस तरह प्राचीन समय में वेदों व संगीत का कोई लिखित रूप न होने के कारण उनका मूल स्वरूप लुप्त होता गया। .

भजन और भारतीय संगीत के बीच समानता

भजन और भारतीय संगीत आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत

लोक संगीत

लोक संगीत। वैदिक ॠचाओं की तरह लोक संगीत या लोकगीत अत्यंत प्राचीन एवं मानवीय संवेदनाओं के सहजतम उद्गार हैं। ये लेखनी द्वारा नहीं बल्कि लोक-जिह्वा का सहारा लेकर जन-मानस से निःसृत होकर आज तक जीवित रहे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं। उत्सव, मेले और अन्य अवसरों पर मधुर कंठों में लोक समूह लोकगीत गाते हैं। स्व० रामनरेश त्रिपाठी के शब्दों में जैसे कोई नदी किसी घोर अंधकारमयी गुफ़ा में से बहकर आती हो और किसी को उसके उद्गम का पता न हो, ठीक यही दशा लोकगीतों के बारे में विद्वान मनीषियों ने स्वीकारी है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल इस प्रभाव को स्वीकृति देते हुए कहते हैं जब-जब शिष्टों का काव्य पंडितों द्वारा बंधकर निश्चेष्ट और संकुचित होगा तब-तब उसे सजीव और चेतन प्रसार देश के सामान्य जनता के बीच स्वच्छंद बहती हुई प्राकृतिक भाव धारा से जीवन तत्व ग्रहण करने से ही प्राप्त होगा। लोकगीत तो प्रकृति के उद्गार हैं। साहित्य की छंदबद्धता एवं अलंकारों से मुक्त रहकर ये मानवीय संवेदनाओं के संवाहक के रूप में माधुर्य प्रवाहित कर हमें तन्मयता के लोक में पहुंचा देते हैं। लोकगीतों के विषय, सामान्य मानव की सहज संवेदना से जुडे हुए हैं। इन गीतों में प्राकृतिक सौंदर्य, सुख-दुःख और विभिन्न संस्कारों और जन्म-मृत्यु को बड़े ही हृदयस्पर्शी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। संगीतमयी प्रकृति जब गुनगुना उठती है लोकगीतों का स्फुरण हो उठना स्वाभाविक ही है। विभिन्न ॠतुओं के सहजतम प्रभाव से अनुप्राणित ये लोकगीत प्रकृति रस में लीन हो उठते हैं। बारह मासा, छैमासा तथा चौमासा गीत इस सत्यता को रेखांकित करने वाले सिद्ध होते हैं। पावसी संवेदनाओं ने तो इन गीतों में जादुई प्रभाव भर दिया है। पावस ॠतु में गाए जाने वाले कजरी, झूला, हिंडोला, आल्हा आदि इसके प्रमाण हैं। सामाजिकता को जिंदा रखने के लिए लोकगीतों/लोकसंस्कृतियों का सहेजा जाना बहुत जरूरी है। कहा जाता है कि जिस समाज में लोकगीत नहीं होते, वहां पागलों की संख्या अधिक होती है। सदियों से दबे-कुचले समाज ने, खास कर महिलाओं ने सामाजिक दंश/अपमान/घर-परिवार के तानों/जीवन संघषों से जुड़ी आपा-धापी को अभिव्यक्ति देने के लिए लोकगीतों का सहारा लिया। लोकगीत किसी काल विशेष या कवि विशेष की रचनाएं नहीं हैं। अधिकांश लोकगीतों के रचइताओं के नाम अज्ञात हैं। दरअसल एक ही गीत तमाम कंठों से गुजर कर पूर्ण हुई है। महिलाओं ने लोकगीतों को ज़िन्दा रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज वैश्वीकरण की आंधी में हमने अपनी कलाओं को तहस-नहस कर दिया है। अपनी संस्कृतियां अनुपयोगी/बेकार की जान पड़ने लगी हैं। ऐसे समय में जोगिया, फाजिलनगर, कुशीनगर जनपद की संस्था-`लोकरंग सांस्कृतिक समिति´ ने लोकगीतों को सहेजने का काम शुरू किया है। संस्था ने तमाम लोकगीतों को बटोरा है और अपने प्रकाशनों में छापा भी है। संस्था महत्वपूर्ण लोक कलाकारों के अन्वेषण में भी लगी हुई है और उसने रसूल जैसे महत्वपूर्ण लोक कलाकार की खोज की है जो भिखारी ठाकुर के समकालीन एवं उन जैसे जरूरी कलाकार थे। .

भजन और लोक संगीत · भारतीय संगीत और लोक संगीत · और देखें »

शास्त्रीय संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व ध्वनि का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)। इसको जहाँ शास्त्रीय संगीत-ध्वनि विषयक साधना के अभ्यस्त कान ही समझ सकते हैं, अनभ्यस्त कान भी शब्दों का अर्थ जानने मात्र से देशी गानों या लोकगीत का सुख ले सकते हैं। इससे अनेक लोग स्वाभाविक ही ऊब भी जाते हैं पर इसके ऊबने का कारण उस संगीतज्ञ की कमजोरी नहीं, लोगों में जानकारी की कमी है। .

भजन और शास्त्रीय संगीत · भारतीय संगीत और शास्त्रीय संगीत · और देखें »

सुगम संगीत

सुगम संगीत भारतीय संगीत विद्या का एक अंग है। वह संगीत जिसमें जिसे सहजता से सीखा और गाया बजाया जा सके, जिसे निश्चित नियमों में बाँधा नहीं गया है, जो लोक में प्रिय है, सुगम संगीत कहलाता है। लोक गीत, लोकप्रिय संगीत, भजन, फ़िल्मी गीत आदि इसी श्रेणी में आते हैं। .

भजन और सुगम संगीत · भारतीय संगीत और सुगम संगीत · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भजन और भारतीय संगीत के बीच तुलना

भजन 8 संबंध है और भारतीय संगीत 28 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 8.33% है = 3 / (8 + 28)।

संदर्भ

यह लेख भजन और भारतीय संगीत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »