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भँवर धारा

सूची भँवर धारा

ट्रान्सफार्मर के कोर में फ्ल्क्स और भँवर धारा; भँवरधारा के कारण ऊर्जा-ह्रास को रोकने के लिए कोर को पतली-पतली पट्टियों से बनाया जाता है। किसी चालक के भीतर परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र होने पर उसमें विद्युत धारा उत्पन्न होती है उसे भँवर धारा (Eddy current) कहते हैं। धारा की ये भवरें चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करती हैं और यह चुम्बकीय बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन का विरोध करता है। भँवर धाराओं से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र आकर्षण, प्रतिकर्षण, ऊष्मन आदि प्रभाव उत्पन्न करता है। बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र जितना ही तीव्र होगा और उसके परिवर्तन की गति जितनी अधिक होगी और पदार्थ की विद्युत चालकता जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक मात्रा में भँवर धाराएँ उत्पन्न होंगी तथा उनके कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी उतना ही अधिक होगा। परिणामित्र (ट्रांसफॉर्मर), विद्युत जनित्र एवं विद्युत मोटरों के कोर में भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा की हानि होती है और इसके कारण क्रोड गर्म होती है। कोर में भँवरधारा हानि कम करने के लिए क्रोड को पट्टयित (लैमिनेटेड) बनाया जाता है, अर्थात पतली-पतली पट्टियों को मिलाकर कोर बनाई जाती है, न कि एक ठोस कोर (सॉलिड कोर) से। .

5 संबंधों: ऊर्जा, ट्राँसफार्मर, जेनरेटर, विद्युत धारा, विद्युत मोटर

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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ट्राँसफार्मर

---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .

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जेनरेटर

बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों का अल्टरनेटर, जो बुडापेस्ट में बना हुआ है। विद्युत जनित्र (एलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बौत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है। विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। लेकिन यह आवेश का सृजन नहीं करता। यह जल-पम्प की तरह है जो केवल जल-को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती। विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये रेसिप्रोकेटिंग इंजन, टर्बाइन, वाष्प इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर्-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है। .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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विद्युत मोटर

विभिन्न आकार-प्रकार की विद्युत मोटरें विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं। विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं। विद्युत् मोटर औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है। यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है। उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त विद्युत मोटर का चयन न किया जा सके। .

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भंवर-धारा क्षति

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