ब्राह्मी लिपि और लिपि के बीच समानता
ब्राह्मी लिपि और लिपि आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तमिल लिपि, देवनागरी, बंगाली लिपि, यूनानी वर्णमाला, हानगुल, गुरमुखी लिपि, गुजराती लिपि।
तमिल लिपि
तमिल लिपि एक लिपि है जिसमें तमिल भाषा लिखी जाती है। इसके अलावा सौराष्ट्र, बडगा, इरुला और पनिया आदि अल्पसंख्यक भाषाएँ भी तमिल में लिखी जातीं हैं। .
तमिल लिपि और ब्राह्मी लिपि · तमिल लिपि और लिपि ·
देवनागरी
'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .
देवनागरी और ब्राह्मी लिपि · देवनागरी और लिपि ·
बंगाली लिपि
'कॉ' पर मात्राएं लगाने पर स्वरूप बांग्ला लिपि (বাংলা লিপি) पूर्वी नागरी लिपि का एक परिमार्जित रूप है जिसे बांग्ला भाषा, असमिया या विष्णुप्रिया मणिपुरी लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूर्वी नागरी लिपि का संबंध ब्राम्ही लिपि के साथ है। आधुनिक बांग्ला लिपि को चार्ल्स विल्किंस द्वारा 1778 में आधार दिया गया जब उन्होंने इस लिपि के लिए पहली बार टाइपसेट का प्रयोग किया। असमिया एवं मणिपुरी लिखते समय कमोबेश इसी लिपि का प्रयोग थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, र अक्षर (बांग्ला/मणिपुरी: র; असमिया: ৰ) एवं व (बांग्ला: अनुपलब्ध; असमिया/मणिपुरी: ৱ) में भाषानुसार अंतर दिखते हैं। .
बंगाली लिपि और ब्राह्मी लिपि · बंगाली लिपि और लिपि ·
यूनानी वर्णमाला
यूनानी वर्णमाला (Greek alphabet) चौबीस अक्षरों की वर्ण व्यवस्था है जिनके प्रयोग से यूनानी भाषा को आठवीं सदी ईसा-पूर्व से लिखा जा रहा है। प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन लिए पृथक चिन्ह वाली यह पहली एवं प्राचीनतम वर्णमाला है। यह वर्णमाला फ़ोनीशियाई वर्णमाला से उत्पन्न हुई थी और यूरोप की कई वर्ण-व्यवस्थाएँ इसी से जन्मी हैं। अंग्रेज़ी लिखने के लिये प्रयुक्त रोमन लिपि तथा रूसी भाषा लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीरिलिक वर्णमाला दोनों यूनानी लिपि से जन्मी हैं। दूसरी शताब्दी ईसापूर्व के बाद गणितज्ञों ने यूनानी अक्षरों को अंक दर्शाने के लिए भी प्रयोग करना शुरू कर दिया। यूनानी वर्णों का प्रयोग विज्ञान के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे भौतिकी में तत्वों के नाम, सितारों के नाम, बिरादरी एवं साथी सम्प्रदाय के नाम, ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के नाम के लिए। .
ब्राह्मी लिपि और यूनानी वर्णमाला · यूनानी वर्णमाला और लिपि ·
हानगुल
300px 300px हानगुल में कुल ४० अक्षर होते हैं जिनमें से १४ शुद्ध व्यंजन, 5 दोहरे व्यंजन, 10 शुद्ध स्वर और ११ मिश्रित स्वर होते हैं। नोट: कोरियन में अक्षरों के नाम और उच्चारण अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए अक्षर का नाम "खियक" है लेकिन शब्दों को पढ़ते समय इसका उच्चारण "ख/ग" होता है। दूसरी ध्यान देने योग्य बात अंग्रेजी के समान ही कोरियन में भी एक ही अक्षर का उच्चारण अलग अलग शब्दों में भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन यह एक वैज्ञानिक तरीके से होता है। किसी अक्षर का उच्चारण इस बात पर निर्भर करता है कि वह शब्द के प्रारंभ में है, पश्चिम में या फ़िर बीच में या अंत में। इस प्रकार किसी शब्द के तीन सम्भव उच्चारण हो सकते हैं। नीचे दिए गए उच्चारण मैकक्यून-राइशाउअर प्रणाली पर आधारित है, क्योंकि वह कोरियाई उच्चारण के क़रीब है। हानगुल में १९ व्यंजन हैं व्यंजनों के नाम - खियक ㄴ - नियन ㄷ - थिगत ㄹ - रियल ㅁ - मियम ㅂ - फियप ㅅ - शियत ㅇ - अंग ㅈ - छियत ㅊ - Aspirated छियत ㅋ - Aspirated खियक ㅌ - Aspirated थिगत ㅍ - Aspirated फियप ㅎ - हियत व्यंजन - नाम ㄲ - सांग खियक (k ㄸ - सांग थिगत ㅃ - सांग फियप ㅆ - सांग शियत ㅉ - सांग छियत हानगुल में २१ स्वर हैं ध्यान दें कि.
ब्राह्मी लिपि और हानगुल · लिपि और हानगुल ·
गुरमुखी लिपि
गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरमुखी का अर्थ है गुरूओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई संबंध नहीं है। किंतु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पंजाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिंध की तरह पंजाब में भी फारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था। इस लिपि में तीन स्वर और 32 व्यंजन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं उड़ा, आया, इड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अंतिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरंभ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं। .
गुरमुखी लिपि और ब्राह्मी लिपि · गुरमुखी लिपि और लिपि ·
गुजराती लिपि
गुजराती लिपि वो लिपि है जिसमें गुजराती और कच्छी भाषाएं लिखी जाती है। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या ब्राह्मी लिपि और लिपि लगती में
- यह आम ब्राह्मी लिपि और लिपि में है क्या
- ब्राह्मी लिपि और लिपि के बीच समानता
ब्राह्मी लिपि और लिपि के बीच तुलना
ब्राह्मी लिपि 53 संबंध है और लिपि 30 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 8.43% है = 7 / (53 + 30)।
संदर्भ
यह लेख ब्राह्मी लिपि और लिपि के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: