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ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य के बीच अंतर

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त vs. शून्य

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, ब्रह्मगुप्त की प्रमुख रचना है। यह संस्कृत मे है। इसकी रचना सन ६२८ के आसपास हुई। ध्यानग्रहोपदेशाध्याय को मिलाकर इसमें कुल पचीस (२५) अध्याय हैं। यह ग्रन्थ पूर्णतः काव्य रूप में लिखा गई है। 'ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त' का अर्थ है - 'ब्रह्मगुप्त द्वारा स्फुटित (प्रकाशित) सिद्धान्त'। इस ग्रन्थ में अन्य बातों के अलावा गणित के निम्नलिखित विषय वर्णित हैं-. शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। .

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य के बीच समानता

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

ब्रह्मगुप्त और ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त · ब्रह्मगुप्त और शून्य · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य के बीच तुलना

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त 11 संबंध है और शून्य 42 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.89% है = 1 / (11 + 42)।

संदर्भ

यह लेख ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त और शून्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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