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बृहद्देशी और राग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बृहद्देशी और राग के बीच अंतर

बृहद्देशी vs. राग

बृहद्देशी संगीत से संबन्धित संस्कृत ग्रंथ है। इसके रचयिता मतंग मुनि (६वीं शती) थे। वैदिक, ऋषिप्रोक्त तथा आगम पुराण से प्रवाहित, भारतीय संगीत की त्रिवेणी में सामवेदीय परम्परा से जुड़े आचार्य भरत की शिष्य-प्रशिष्य परम्परा के साथ तत्कालीन संगीत के शास्त्रीय और प्रायोगिक स्वरूप का सर्वांगीण विवेचन करने वाले पाँचवीं-छठी शती के आचार्यो में आचार्य मतंग प्रमुख हैं। समकालीन अन्य परम्पराओं के तुलनात्मक विवेचन में संगीत-शास्त्र के सिद्धान्तों की बृहत चर्चा के साथ मतंग का यह कथन कि जाति-गायन, गीति-गायन, अथवा राग-गायन को नाट्य के विभिन्न अंको में अनेकविध प्रयुक्त करना चाहिये, आज के नाट्य दिग्दर्शकों के लिए विचारणीय बिन्दु हैं। मतंग के समय में प्रचलित प्रबंधों में संस्कृत के अलावा तत्कालीन अन्य भाषाओं में गेय रचनाओं का वर्गीकरण तत्कालीन संगीतज्ञों की लोकाभिमुख दृष्टि का परिचायक है। संगीत के सर्वग्राही स्वरूप का प्रतिपादन शार्ंगदेवकृत संगीतरत्नाकर से पूर्व भी अनेक बार किया गया है। आचार्य मतंग ने अपने ग्रंथ ‘बृहद्देशी' के ‘देशी-उत्‍पत्ति-प्रकरण' में नाद की व्‍याख्‍या करते हुये बताया है कि नाद के बिना कोई संगीत या संगीत सृजन नहीं। . '''वसन्त रागिनी''' वसन्त का राग है। इस चित्र में कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करते दिख रहे हैं। राग सुरों के आरोहण और अवतरण का ऐसा नियम है जिससे संगीत की रचना की जाती है। पाश्चात्य संगीत में "improvisation" इसी प्रकार की पद्धति है। .

बृहद्देशी और राग के बीच समानता

बृहद्देशी और राग आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बृहद्देशी, संस्कृत भाषा

बृहद्देशी

बृहद्देशी संगीत से संबन्धित संस्कृत ग्रंथ है। इसके रचयिता मतंग मुनि (६वीं शती) थे। वैदिक, ऋषिप्रोक्त तथा आगम पुराण से प्रवाहित, भारतीय संगीत की त्रिवेणी में सामवेदीय परम्परा से जुड़े आचार्य भरत की शिष्य-प्रशिष्य परम्परा के साथ तत्कालीन संगीत के शास्त्रीय और प्रायोगिक स्वरूप का सर्वांगीण विवेचन करने वाले पाँचवीं-छठी शती के आचार्यो में आचार्य मतंग प्रमुख हैं। समकालीन अन्य परम्पराओं के तुलनात्मक विवेचन में संगीत-शास्त्र के सिद्धान्तों की बृहत चर्चा के साथ मतंग का यह कथन कि जाति-गायन, गीति-गायन, अथवा राग-गायन को नाट्य के विभिन्न अंको में अनेकविध प्रयुक्त करना चाहिये, आज के नाट्य दिग्दर्शकों के लिए विचारणीय बिन्दु हैं। मतंग के समय में प्रचलित प्रबंधों में संस्कृत के अलावा तत्कालीन अन्य भाषाओं में गेय रचनाओं का वर्गीकरण तत्कालीन संगीतज्ञों की लोकाभिमुख दृष्टि का परिचायक है। संगीत के सर्वग्राही स्वरूप का प्रतिपादन शार्ंगदेवकृत संगीतरत्नाकर से पूर्व भी अनेक बार किया गया है। आचार्य मतंग ने अपने ग्रंथ ‘बृहद्देशी' के ‘देशी-उत्‍पत्ति-प्रकरण' में नाद की व्‍याख्‍या करते हुये बताया है कि नाद के बिना कोई संगीत या संगीत सृजन नहीं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

बृहद्देशी और राग के बीच तुलना

बृहद्देशी 6 संबंध है और राग 10 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 12.50% है = 2 / (6 + 10)।

संदर्भ

यह लेख बृहद्देशी और राग के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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