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बिहारी सतसई और मतिराम

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बिहारी सतसई और मतिराम के बीच अंतर

बिहारी सतसई vs. मतिराम

बिहारी सतसई बिहारीलाल की एकमात्र रचना है, यह मुक्तक काव्य है, इसमें 719 दोहे संकलित हैं। बिहारी सतसई श्रृंगार रस की सुप्रसिद्ध और अनुपम रचना है। इसका हर एक दोहा हिन्दी साहित्य का अनमोल रत्न माना जाता है। सतसैया के दोहरे, ज्यों नैनन के तीर। देखन में छोटे लगे, बेधे सकल शरीर। बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाइ। सौह करे भौह्नी हँसे दैन कहे नाती जाई।। कहत, नटत, रीझत, खीझत, मिळत, खिलत, लजियात। भरे भौन में करत है, नैनन ही सों बात। मेरी भव- बाधा हरो राधा नागरि सोइ। जा तन की झांई परे, श्याम हरित धुती होइ।। दुसह दुराज प्रजान को क्यों न बड़े दुःख द्वंद। अधिक अंधेरो जग करत, मिलि मावस रविचंद।। सोहत ओढैं पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात। मनौ नीलमनि-सैल पर आपतु परयौ प्रभात।। कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ। जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ – दाघ निदाघ।। श्रेणी:हिन्दी साहित्य श्रेणी:हिन्दी कविता. मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे। इनके द्वारा रचित "रसराज" और "ललित ललाम" नामक दो ग्रंथ हैं; परंतु इधर कुछ अधिक खोजबीन के उपरांत मतिराम के नाम से मिलने वाले आठ ग्रंथ प्राप्त हुए हैं। इन आठों ग्रंथों की रचना शैली तथा उनमें आए और उनसे सम्बंधित विवरणों के आधार पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि मतिराम नाम के दो कवि थे। प्रसिद्ध मतिराम फूलमंजरी, रसराज, ललित ललाम और सतसई के रचयिता थे और संभवत: दूसरे मतिराम के द्वारा रचित ग्रंथ अलंकार पंचासिका, छंदसार (पिंगल) संग्रह या वृत्तकौमुदी, साहित्यसार और लक्षणशृंगार हैं। .

बिहारी सतसई और मतिराम के बीच समानता

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बिहारी सतसई और मतिराम के बीच तुलना

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संदर्भ

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