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बाणफ़ूल

सूची बाणफ़ूल

रबी मौसम की फ़सल है, और सूखी जमीन में पैदा की जाती है।माह के महिने में इसके अन्दर नीले फ़ूल आते है, जिनकी आभा नीलमll की तरह से होती है।अलसी इसका ही पार्यायवाची शब्द है। श्रेणी:ज्योतिष श्रेणी:शनि.

6 संबंधों: नीलम, पुष्प, फ़सल, मास, मौसम, अलसी

नीलम

नीलम एक रत्न श्रेणी का खनिज है। यह अल्यूमिनियम भस्म (ऑक्साइड) (Al2O3) है, जब यह लाल के सिवाय अन्य वर्ण का होता है। नीलम प्रकृति में भी मिलता है, एवं कृत्रिम भी बनाया जाता है। अपनी उल्लेखनीय सख्तता के कारण कई अनुप्रयोगों में प्रयुक्त होता है, जैसे अधोरक्त दृष्टि सम्बन्धी उपकरण, घडी़ के क्रिस्टल, अर्धचालकों की डिपोसीशन हेतु जैसे कि। .

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पुष्प

flower bouquet) पर चित्रकारी रेशम पर स्याही और रंग, १२ वीं शताब्दी की अंत-अंत में और १३ वीं शताब्दी के प्रारम्भ में. पुष्प, अथवा फूल, जनन संरचना है जो पौधों में पाए जाते हैं। ये (मेग्नोलियोफाईटा प्रकार के पौधों में पाए जाते हैं, जिसे एग्नियो शुक्राणु भी कहा जाता है। एक फूल की जैविक क्रिया यह है कि वह पुरूष शुक्राणु और मादा बीजाणु के संघ के लिए मध्यस्तता करे। प्रक्रिया परागन से शुरू होती है, जिसका अनुसरण गर्भधारण से होता है, जो की बीज के निर्माण और विखराव/ विसर्जन में ख़त्म होता है। बड़े पौधों के लिए, बीज अगली पुश्त के मूल रूप में सेवा करते हैं, जिनसे एक प्रकार की विशेष प्रजाति दुसरे भूभागों में विसर्जित होती हैं। एक पौधे पर फूलों के जमाव को पुष्पण (inflorescence) कहा जाता है। फूल-पौधों के प्रजनन अवयव के साथ-साथ, फूलों को इंसानों/मनुष्यों ने सराहा है और इस्तेमाल भी किया है, खासकर अपने माहोल को सजाने के लिए और खाद्य के स्रोत के रूप में भी। .

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फ़सल

पंजाब राज्य के एक ग्रामीण घर में सूखती फ़सल फसल या सस्य किसी समय-चक्र के अनुसार वनस्पतियों या वृक्षों पर मानवों व पालतू पशुओं के उपभोग के लिए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को कहते हैं।, pp.

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मास

अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार एक साल में बारह महीने होते हैं | हिन्दी में इन्हें निम्न नामों से जाना जाता है |.

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मौसम

मौसम वातावरण की दशा को व्यक्त करने के लिये प्रयोग किया जाता है। अधिकांश मौसम को प्रभावित करने वाली घटनाएं क्षोभ मंडल (ट्रोपोस्फीयर) में होती है। मौसम दैनंदिन तापमान और वर्षा गतिविधि को संदर्भित करता है जबकि जलवायु लम्बी समयावधि में औसत वायुमंडलीय स्थितियों के लिए शब्द है। यह एक क्षणिक घटना है .

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अलसी

अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके बीज से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। चीन सन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रेशे के लिए सन को उपजाने वाले देशों में रूस, पोलैण्ड, नीदरलैण्ड, फ्रांस, चीन तथा बेल्जियम प्रमुख हैं और बीज निकालने वाले देशों में भारत, संयुक्त राज्य अमरीका तथा अर्जेण्टाइना के नाम उल्लेखनीय हैं। सन के प्रमुख निर्यातक रूस, बेल्जियम तथा अर्जेण्टाइना हैं। तीसी भारतवर्ष में भी पैदा होती है। लाल, श्वेत तथा धूसर रंग के भेद से इसकी तीन उपजातियाँ हैं इसके पौधे दो या ढाई फुट ऊँचे, डालियां बंधती हैं, जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से तेल निकलता है, जिसमें यह गुण होता है कि वायु के संपर्क में रहने के कुछ समय में यह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। विशेषकर जब इसे विशेष रासायनिक पदार्थो के साथ उबला दिया जाता है। तब यह क्रिया बहुत शीघ्र पूरी होती है। इसी कारण अलसी का तेल रंग, वारनिश और छापने की स्याही बनाने के काम आता है। इस पौधे के एँठलों से एक प्रकार का रेशा प्राप्त होता है जिसको निरंगकर लिनेन (एक प्रकार का कपड़ा) बनाया जाता है। तेल निकालने के बाद बची हुई सीठी को खली कहते हैं जो गाय तथा भैंस को बड़ी प्रिय होती है। इससे बहुधा पुल्टिस बनाई जाती है। आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है। .

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