बाचा ख़ान विश्वविद्यालय और भारत रत्न
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बाचा ख़ान विश्वविद्यालय और भारत रत्न के बीच अंतर
बाचा ख़ान विश्वविद्यालय vs. भारत रत्न
बाचा खान विश्वविद्यालय(باچا خان یونیورسٹی) चरसद्दा, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा पाकिस्तान में स्थित एक जन विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न से सम्मानित व शांति समर्थक पश्तून कार्यकर्ता बाचा खान के नाम पर रखा गया था। पाकिस्तान को विश्व पटल पर सम्मानित राष्ट्र का दर्ज़ा दिलाने के लिये बाचा ख़ान का वैश्विक भाईचारे व शांति का संदेश इस विश्वविद्यालय का ध्येय है। 20 जनवरी 2016 को इस विश्वविद्यालय पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने आतंकी हमला कर दिया। इसमें कम-से-कम २५ लोगों की मृत्यु हो गयी। . भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .
बाचा ख़ान विश्वविद्यालय और भारत रत्न के बीच समानता
बाचा ख़ान विश्वविद्यालय और भारत रत्न आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान।
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (1890 - 20 जनवरी 1988) सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक महान राजनेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण "सरहदी गांधी" (सीमान्त गांधी), "बच्चा खाँ" तथा "बादशाह खान" के नाम से पुकारे जाने लगे। वे भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज शासन के विरुद्ध अहिंसा के प्रयोग के लिए जाने जाते है। एक समय उनका लक्ष्य संयुक्त, स्वतन्त्र और धर्मनिरपेक्ष भारत था। इसके लिये उन्होने 1920 में खुदाई खिदमतगार नाम के संग्ठन की स्थापना की। यह संगठन "सुर्ख पोश" के नाम से भी जाने जाता है। .
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बाचा ख़ान विश्वविद्यालय और भारत रत्न के बीच तुलना
बाचा ख़ान विश्वविद्यालय 10 संबंध है और भारत रत्न 211 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.45% है = 1 / (10 + 211)।
संदर्भ
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