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बलुआ पत्थर

सूची बलुआ पत्थर

बलुआ पत्थर का शैल बालुकाश्म या बलुआ पत्थर (सैण्डस्टोन) ऐसी दृढ़ शिला है जो मुख्यतया बालू के कणों का दबाव पाकर जम जाने से बनती है और किसी योजक पदार्थ से जुड़ी होती है। बालू के समान इसकी रचना में भी अनेक पदार्थ विभिन्न मात्रा में हो सकते हैं, किंतु इसमें अधिकांश स्फटिक ही होता है। जिस शिला में बालू के बहुत बड़े बड़े दाने मिलते हैं, उसे मिश्रपिंडाश्म और जिसमें छोटे छोटे दाने होते हैं उसे बालुमय शैल या मृण्मय शैल कहते हैं। .

16 संबंधों: चूना पत्थर, धरन, पन्ना, बालू, शैल, सिल, सिलिका, स्फटिक, ईंट, खपरैल, खान, आटा चक्की, आगरा, कंक्रीट, कैल्साइट, अभ्रक

चूना पत्थर

thumb चूना पत्थर (Limestone) एक अवसादी चट्टान है जो, मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के विभिन्न क्रिस्टलीय रूपों जैसे कि खनिज केल्साइट और/या एरेगोनाइट से मिलकर बनी होती है। चूना पत्थर वस्तुत: कैलसियम कार्बोनेट है, पर इसमें सिलिका, ऐल्यूमिना और लोहे इत्यादि सदृश अपद्रव्य अंतर्मिश्रित रहते हैं। गृहनिर्माण के लिये चूनापत्थर बहुत अच्छा होता है और भारत के विभिन्न भागों की स्तरित चट्टानों से सुविधापूर्वक यह उत्खनित होता है। चूना पत्थर अनेक किस्मों में उपलब्ध है। यह रंग, विन्यास, कठोरता और टिकाऊपन में विभिन्न गुणों का होता है। सघन कणवाले गहन ओर मणिभीय पत्थर गृहनिर्माण के लिये उत्कृष्ट होते हैं। ये कार्यसाधक, दृढ़ और टिकाऊ होते हैं। चूना पत्थर पर तनु अम्ल की क्रिया बड़ी सरलता से होती है, अत: औद्योगिक नगरों के निकट गृहनिर्माण के लिये यह पत्थर ठीक नहीं होता। बनावट और अन्य गुणों की विभिन्नता के कारण चूना पत्थर की दृढ़ता विभिन्न होती है। इसलिये गृहनिर्माण के पूर्व पत्थर की परीक्षा कर लेनी चाहिए। बहुत बड़ी मात्रा में चूना पत्थर का चूने के निर्माण में उपयोग होता है। १०० किलोग्राम चूने के पत्थर से लगभग ६५ किलोग्राम चूना प्राप्त होता है। शुद्ध चूना पत्थर या खड़िया से, जिसमें छ: प्रतिशत से अधिक सिलिका, ऐल्यूमिना तथा अन्य अपद्रव्य न हों, उत्कृष्ट चूना प्राप्त होता है। चार से सात प्रतिशत संयुक्त सिलिका ऐल्यूमिना वाले मिट्टीयुक्त चूना पत्थर से मध्यम श्रेणी का जलचूना और ११-२५ प्रतिशत संयुक्त सिलिकावाले चूनापत्थर से सर्वोत्कृष्ट श्रेणी का जलचूना प्राप्त होता है। .

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धरन

समान रूप से वितरित लोड के कारण एक धरन में नमन (बेन्डिंग) धरन (Beam) अथवा धरनी, धरणी, या कड़ी, संरचना इंजीनियरी में प्राय: लकड़ी आदि के उस अवयव को कहते हैं जो इमारत में किसी पाट पर छत (पाटन) आदि का कोई भारी बोझ अपनी लंबाई पर धारण करते हुए उसे अपने दोनों सिरों द्वारा सुस्थिर आधारों (आलंबों) तक पहुँचता है। लकड़ी के अतिरिक्त अन्य पदार्थों की भी धरनें बनती हैं। लोहे की धरनें गर्डर कहलाती हैं। प्रबलित कंक्रीट (Reinforced concrete) की धरनें प्राय: छत के स्लैब के साथ समांग ढाली जाती हैं। पन्ना (मध्यप्रदेश, भारत) की पत्थर की खानों के निकट पत्थर की धरनों का प्रयोग भी असामान्य नहीं हैं। .

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पन्ना

पन्ना, बेरिल (Be3Al2(SiO3)6) नामक खनिज का एक प्रकार है जो हरे रंग का होता है और जिसे क्रोमियम और कभी-कभी वैनेडियम की मात्रा से पहचाना जाता है।हर्ल्बट, कॉर्नेलियस एस.

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बालू

लिबिया में बालू का ढ़ेर गोबी मरुस्थल के बालू का पास से लिया गया फोटो (1 x 1 सेमी) चट्टानें और अन्य धात्विक पदार्थ विविध प्राकृतिक और अप्राकृतिक साधनों से टूट फूटकर बजरी, बालू, गाद या चिकनी मिट्टी का रूप ले लेते हैं। यदि टुकड़े बड़े हुए तो बजरी और यदि छोटे हुए तो कणों, के विस्तार के हिसाब से उन्हें क्रमश: बालू (sand), गाद (silt) या मृत्तिका (चिकनी मिट्टी / clay) कहते हैं। .

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शैल

कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित ''संतुलित शैल'' कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। .

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सिल

जब मैग्मा भू पृष्ठ के समानांतर परतों में फैलकर जमता है,तो उसे सिल कहते हैं|इसकी मोटाई एक मीटर से लेकर सैकड़ों मीटर तक होती है|छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में सिल पाए जाते हैं|एक मीटर से कम मोटाई वाले सिल को शीट कहते हैं|.

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सिलिका

बालू या रेत सिलिका या सिलिकॉन डाईऑक्साइड (Silica, SiO2), खनिज सिलिकन और ऑक्सीजन के योग से बना है। यह निम्नलिखित खनिजों के रूप में मिलता है: १. क्रिस्टलीय: जैसे क्वार्ट्ज २. गुप्त क्रिस्टलीय: जैसे चाल्सीडानी, ऐगेट और फ्लिंट ३. अक्रिस्टली: जैसे ओपल। .

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स्फटिक

एक शैल क्वार्ट्ज क्रिसटल स्फटिक या क्वार्ट्ज (Quartz) एक खनिज है। यह रेत एवं ग्रेनाइट का मुख्य घटक है। पृथ्वी के महाद्वीपीय भू-पर्पटी (क्रस्ट) पर क्वार्ट्ज दूसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला खनिज है (पहला, फेल्सपार है)। यह SiO4 के सिलिकन-आक्सीजन चतुष्फलकी से बना होता है जिसमें प्रत्येक आक्सीजन दो चतुष्फलकियों में साझा होता है। इस प्रकार इसका प्रभावी अणुसूत्र SiO2 है। क्वार्टज अनेकों प्रकार के होते हैं। इनमें से कई अर्ध-मूल्यवान (semi-precious) रत्न हैं। विशेषतः यूरोप और मध्यपूर्व में तरह-तरह के क्वार्ट्ज अतिप्राचीन काल से आभूषण बनाने के काम में लिए जाते रहे हैं। क्वार्ट्ज शब्द ('quartz') जर्मन शब्द 'Quarz' से निकला है जिसका अर्थ 'कठोर' होता है। .

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ईंट

शीर्षों और चौखटों के वैकल्‍पिक विधियों के साथ रखा गया अंग्रेजी बंध पत्र में पुरानी ईंट की दीवार ऐतिहासिक नत्चितोचेस, लुइसियाना में ईंट से निर्मिति केन नदी के साथ सामने की गली चिनाई के कार्य में उपयोग किया जाने वाला ईंट मिट्टी का ब्लॉक है, जिन्हें सामान्‍यत: विभिन्‍न प्रकार के गारे का उपयोग कर चिना जाता है। .

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खपरैल

खपरैल से ढकी हुई घर की छत किसी मिट्टी, पत्थर, धातु, काच आदि कठोर पदार्थ से बने टुकड़े को खपरे या खपरैल (टाइल) कहते हैं। ग्रामीण भारत में घरों पर छाया का मुख्य साधन है, उपयोग प्रायः छत, फर्श, दीवार आदि ढकने में होता है। .

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खान

खान (माइन) से निम्नलिखित का बोध हो सकता है-.

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आटा चक्की

आटा चक्की में अनाज को पीस कर आटा बनाया जाता है।.

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आगरा

आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महानगर, ज़िला शहर व तहसील है। विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है। आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। .

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कंक्रीट

वाणिज्यिक भवन के लिये कंक्रीट बिछायी जा रही है। कंक्रीट (Concrete) एक निर्माण सामग्री है जो सीमेंट एवं कुछ अन्य पदार्थों का मिश्रण होती है। कंक्रीट की यह विशेषता है कि यह पानी मिलाकर छोड़ देने के बाद धीरे-धीरे ठोस एवं कठोर बन जाता है। इस प्रक्रिया को जलीकरण (Hydration) कहते है। इस रासायनिक क्रिया में पानी, सिमेन्ट के साथ क्रिया करके पत्थर जैसा कठोर पदार्थ बनाती है जिसमें अन्य चीजें बंध जातीं हैं। कंक्रीट का प्रयोग सड़क बनाने, पाइप निर्माण, भवन निर्माण, नींव बनाने, पुल आदि बनाने में होता है। कंक्रीट का उपयोग 2000 ई.पू.

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कैल्साइट

कैल्साइट पृथ्वी पर सबसे अधिक परिमाण में पाया जाने वाला खनिज है। रासायनिक या जैव-रासायनिक कैल्सियम कार्बोनेट को कैल्साइट कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र CaCO3 है। कैलसाइट विभिन्न रंगों में पाया जाता है। यह खनिज अपने विदलन सतहों, काचोपम चमक, अल्प कठोरता (.

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अभ्रक

चट्टान में उपस्थित माइका परतदार माइका अभ्रक (अंग्रेजी:Mica) एक बहुपयोगी खनिज है जो आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में खण्डों के रूप में पाया जाता हैं। इसे बहुत पतली-पतली परतों में चीरा जा सकता है। यह रंगरहित या हलके पीले, हरे या काले रंग का होता है। अभ्रक एक जटिल सिलिकेट यौगिक है। इसमें पोटेशियम, सोडियम और लिथियम जैसे क्षारीय पदार्थ भी मिले रहते हैं। आग्नेय चट्टानों में प्राय: अभ्रक पाया जाता है। वायु तथा धूप आदि से प्रभावित होकर कभी-कभी सिलिकेट खनिज भी अभ्रक में बदल जाता है। .

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लाल बलुआ पत्थर

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