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बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद के बीच अंतर

बर्लिन सम्मेलन vs. साम्राज्यवाद

बर्लिन सम्मेलन बर्लिन सम्मेलन वर्ष १८८४-८५ में बर्लिन में हुआ था। इस सम्मेलन ने नव-उपनिवेशीकरण के काल में अफ्रीका के उपनिवेशीकरण तथा व्यापार को विनियमित करने का कार्य किया। इसे 'कांगो सम्मेलन' भी कहते हैं। इस सम्मेलन का समय जर्मनी के सहसा विश्व की साम्राज्यवादी शक्ति के रूप में उदय का समय भी था। . सन १४९२ से अब तक के उपनिवेशी साम्राज्य विश्व के वे क्षेत्र जो किसी न किसी समय ब्रितानी साम्राज्य के भाग थे। साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसका सबसे प्रत्यक्ष रूप किसी क्षेत्र को अपने राजनीतिक अधिकार में ले लेना एवं उस क्षेत्र के निवासियों को विविध अधिकारों से वंचित करना है। देश के नियंत्रित क्षेत्रों को साम्राज्य कहा जाता है। साम्राज्यवादी नीति के अन्तर्गत एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) अपनी सीमाओं के बाहर जाकर दूसरे देशों और राज्यों में हस्तक्षेप करता है। साम्राज्यवाद का विज्ञानसम्मत सिद्धांत लेनिन ने विकसित किया था। लेनिन ने 1916 में अपनी पुस्तक "साम्राज्यवाद पूंजीवाद का अंतिम चरण" में लिखा कि साम्राज्यवाद एक निश्चित आर्थिक अवस्था है जो पूंजीवाद के चरम विकास के समय उत्पन्न होती है। जिन राष्ट्रों में पूंजीवाद का चरमविकास नहीं हुआ वहाँ साम्राज्यवाद को ही लेनिन ने समाजवादी क्रांति की पूर्ववेला माना है। चार्ल्स ए-बेयर्ड के अनुसार "सभ्य राष्ट्रों की कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर शासन करने की इच्छा व नीति ही साम्राज्यवाद कहलाती है।" .

बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद के बीच समानता

बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): उपनिवेशवाद

उपनिवेशवाद

उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के महान योद्धा '''महात्मा गाँधी''' किसी एक भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में उपनिवेश (कॉलोनी) स्थापित करना और यह मान्यता रखना कि यह एक अच्छा काम है, उपनिवेशवाद (Colonialism) कहलाता है। इतिहास में प्राय: पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी तक उपनिवेशवाद का काल रहा। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इस काल में उपनिवेशवाद में विश्वास के मुख्य कारण थे -.

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बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद के बीच तुलना

बर्लिन सम्मेलन 7 संबंध है और साम्राज्यवाद 59 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.52% है = 1 / (7 + 59)।

संदर्भ

यह लेख बर्लिन सम्मेलन और साम्राज्यवाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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