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फेंग शुई

सूची फेंग शुई

फेंग शुई (पहले) सौन्दर्यशास्त्र की एक प्राचीन चीनी पद्धति है जिसके बारे में लोगों का विश्वास है कि इसमें स्वर्ग (ज्योतिष) और धरती (भूगोल) दोनों के नियम प्रयुक्त होते हैं जिसके द्वारा सकारात्मक ची (qi) प्राप्त करके किसी के जीवन में सुधार लाया जा सकता है। इस कला का मूल पदनाम कान यु (Kan yu) (शाब्दिक अर्थ: स्वर्ग और धरती का ताओ).

23 संबंधों: चीन, चीनी, एशिया, तन्त्र, नवपाषाण युग, नक्षत्र, पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र, बॉक्सर विद्रोह, भूगोल, मिंग, यंत्र, रिचर्ड मिल्हौस निक्सन, सांस्कृतिक क्रांति, संयुक्त राज्य, सौन्दर्यशास्त्र, सौर ऊर्जा, सौर सम्प्रदाय, हान चीनी, जिन राजवंश, ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, विकिरण, अनुमान

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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चीनी

* चीनी भाषा, चीन में बोली जाने वाली भाषा.

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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तन्त्र

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित तंत्र या प्रणाली या सिस्टम के बारे में तंत्र (सिस्टम) देखें। ---- तन्त्र कलाएं (ऊपर से, दक्षिणावर्त): हिन्दू तांत्रिक देवता, बौद्ध तान्त्रिक देवता, जैन तान्त्रिक चित्र, कुण्डलिनी चक्र, एक यंत्र एवं ११वीं शताब्दी का सैछो (तेन्दाई तंत्र परम्परा का संस्थापक तन्त्र, परम्परा से जुड़े हुए आगम ग्रन्थ हैं। तन्त्र शब्द के अर्थ बहुत विस्तृत है। तन्त्र-परम्परा एक हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा तो है ही, जैन धर्म, सिख धर्म, तिब्बत की बोन परम्परा, दाओ-परम्परा तथा जापान की शिन्तो परम्परा में पायी जाती है। भारतीय परम्परा में किसी भी व्यवस्थित ग्रन्थ, सिद्धान्त, विधि, उपकरण, तकनीक या कार्यप्रणाली को भी तन्त्र कहते हैं। हिन्दू परम्परा में तन्त्र मुख्यतः शाक्त सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है, उसके बाद शैव सम्प्रदाय से, और कुछ सीमा तक वैष्णव परम्परा से भी। शैव परम्परा में तन्त्र ग्रन्थों के वक्ता साधारणतयः शिवजी होते हैं। बौद्ध धर्म का वज्रयान सम्प्रदाय अपने तन्त्र-सम्बन्धी विचारों, कर्मकाण्डों और साहित्य के लिये प्रसिद्ध है। तन्त्र का शाब्दिक उद्भव इस प्रकार माना जाता है - “तनोति त्रायति तन्त्र”। जिससे अभिप्राय है – तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तन्त्र है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शनों में तन्त्र परम्परायें मिलती हैं। यहाँ पर तन्त्र साधना से अभिप्राय "गुह्य या गूढ़ साधनाओं" से किया जाता रहा है। तन्त्रों को वेदों के काल के बाद की रचना माना जाता है जिसका विकास प्रथम सहस्राब्दी के मध्य के आसपास हुआ। साहित्यक रूप में जिस प्रकार पुराण ग्रन्थ मध्ययुग की दार्शनिक-धार्मिक रचनायें माने जाते हैं उसी प्रकार तन्त्रों में प्राचीन-अख्यान, कथानक आदि का समावेश होता है। अपनी विषयवस्तु की दृष्टि से ये धर्म, दर्शन, सृष्टिरचना शास्त्र, प्राचीन विज्ञान आदि के इनसाक्लोपीडिया भी कहे जा सकते हैं। यूरोपीय विद्वानों ने अपने उपनिवीशवादी लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तन्त्र को 'गूढ़ साधना' (esoteric practice) या 'साम्प्रदायिक कर्मकाण्ड' बताकर भटकाने की कोशिश की है। वैसे तो तन्त्र ग्रन्थों की संख्या हजारों में है, किन्तु मुख्य-मुख्य तन्त्र 64 कहे गये हैं। तन्त्र का प्रभाव विश्व स्तर पर है। इसका प्रमाण हिन्दू, बौद्ध, जैन, तिब्बती आदि धर्मों की तन्त्र-साधना के ग्रन्थ हैं। भारत में प्राचीन काल से ही बंगाल, बिहार और राजस्थान तन्त्र के गढ़ रहे हैं। .

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नवपाषाण युग

अनेकों प्रकार की निओलिथिक कलाकृतियां जिनमें कंगन, कुल्हाड़ी का सिरा, छेनी और चमकाने वाले उपकरण शामिल हैं नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व: फस्ट फार्मर्स: दी ओरिजंस ऑफ एग्रीकल्चरल सोसाईटीज़ से, पीटर बेल्वुड द्वारा, 2004 में 9500 ई.पू.

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नक्षत्र

आकाश में तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं। साधारणतः यह चन्द्रमा के पथ से जुड़े हैं, पर वास्तव में किसी भी तारा-समूह को नक्षत्र कहना उचित है। ऋग्वेद में एक स्थान पर सूर्य को भी नक्षत्र कहा गया है। अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य हैं। नक्षत्र सूची अथर्ववेद, तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और लगध के वेदांग ज्योतिष में मिलती है। भागवत पुराण के अनुसार ये नक्षत्रों की अधिष्ठात्री देवियाँ प्रचेतापुत्र दक्ष की पुत्रियाँ तथा चन्द्रमा की पत्नियाँ हैं। .

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पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र

पृथ्वी के भौगोलिक उत्तर-दक्षिण (नीली रेखा) तथा चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण (गुलाबी रेखा) का योजनामूलक निरूपण पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करने के लिये प्रयुक्त सामान्य निर्देशांक प्रणाली भूचुंबकत्व (geomagnetism) पृथ्वी के चुम्बकत्व का विवेचन करनेवाली विज्ञान की शाखा है। पृथ्वी एक विशाल चुंबक है, जिसका अक्ष लगभग पृथ्वी के घूर्णन अक्ष पर पड़ता है। पृथ्वी के भूचंबकीय क्षेत्र का स्वरूप प्रधानत: द्विध्रुवी (Dipole) है और यह पृथ्वी के गहरे अंतरंग में उत्पन्न होता है। .

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बॉक्सर विद्रोह

तियानजिन में बॉक्सर विद्रोहियों का दस्ता आठ-राष्ट्रिय गुट के नुमाइंदे - (बाएँ से) ब्रिटिश, अमेरिकी, रूसी, ब्रिटिश भारतीय, जर्मन, फ़्रांसिसी, ऑस्ट्रो-हंगेरियाई, इतालवी, जापानी सर क़लम कर के विद्रोहियों को सज़ा बॉक्सर विद्रोह या मुक़्क़ेबाज़ विद्रोह चीन में सन् 1898 से 1901 तक चलने वाला यूरोपियाई साम्राज्यवाद और इसाई धर्म के फैलाव के विरुद्ध एक हिंसक आन्दोलन था। इसका नेतृत्व एक "धार्मिक समस्वर संघ" (चीनी:義和團, यीहेतुआन) नाम के संगठन ने किया था, जिन्हें "धार्मिक और समस्वरीय मुक़्क़ों का संघ" भी कहा जाता था। मुक़्क़ेबाज़ को अंग्रेज़ी में "बॉक्सर" (boxer) कहते हैं इसलिए विद्रोहियों को यही बुलाया जाने लगा। .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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मिंग

मिंग नाम से निम्न लेख है.

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यंत्र

जेम्स अल्बर्ट बोनसैक द्वारा सन् १८८० में विकसित मशीन; यह मशीन प्रति घण्टे लगभग २०० सिगरेट बनाती थी। कोई भी युक्ति जो उर्जा लेकर कुछ कार्यकलाप करती है उसे यंत्र या मशीन (machine) कहते हैं। सरल मशीन वह युक्ति है जो लगाये जाने वाले बल का परिमाण या दिशा को बदल दे किन्तु स्वयं कोई उर्जा खपत न करे। .

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रिचर्ड मिल्हौस निक्सन

thumb रिचर्ड मिल्हौस निक्सन संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९६९ से १९७४ तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। श्रेणी:अमेरिका के राष्ट्रपति श्रेणी:1913 में जन्मे लोग श्रेणी:१९९४ में निधन.

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सांस्कृतिक क्रांति

सांस्कृतिक क्रांति (सरलीकृत चीनी: 无产阶级文化大革命; परंपरिक चीनी: 無產階級文化大革命, Long form: 'चीन की महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति') जनवादी गणराज्य चीन में माओ त्से-तुंग द्वारा चलाया गया एक सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन था सन् १९६६ से आरम्भ होकर सन् १९७६ तक चला। माओ उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष थे। 16 मई 1966 को शुरू हुई यह क्रांति 10 वर्षों तक चली और इसने चीन के सामाजिक ढांचे में कई बड़े परिवर्तन किए। इस क्रांति की शुरुआत की घोषणा करते हुए माओ-त्से-तुंग ने चेतावनी दी थी कि बुर्जुआ वर्ग कम्युनिस्ट पार्टी में अपना प्रभाव क़ायम करके एक तरह की तानाशाही स्थापित करना चाहता है। वास्तव में सांस्कृतिक क्रांति का अभियान माओ ने अपनी पार्टी को प्रतिद्वंद्वियों से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू किया था। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सौन्दर्यशास्त्र

प्रकृति में सर्वत्र सौन्दर्य विद्यमान है। सौंदर्यशास्त्र (Aesthetics) संवेदनात्म-भावनात्मक गुण-धर्म और मूल्यों का अध्ययन है। कला, संस्कृति और प्रकृति का प्रतिअंकन ही सौंदर्यशास्त्र है। सौंदर्यशास्त्र, दर्शनशास्त्र का एक अंग है। इसे सौन्दर्यमीमांसा ताथा आनन्दमीमांसा भी कहते हैं। सौन्दर्यशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें कलात्मक कृतियों, रचनाओं आदि से अभिव्यक्त होने वाला अथवा उनमें निहित रहने वाले सौंदर्य का तात्विक, दार्शनिक और मार्मिक विवेचन होता है। किसी सुंदर वस्तु को देखकर हमारे मन में जो आनन्ददायिनी अनुभूति होती है उसके स्वभाव और स्वरूप का विवेचन तथा जीवन की अन्यान्य अनुभूतियों के साथ उसका समन्वय स्थापित करना इनका मुख्य उद्देश्य होता है। .

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सौर ऊर्जा

विश्व के विभिन्न भागों का औसत सौर विकिरण (आतपन, सूर्यातप)। इस चित्र में जो छोटे-छोटे काले बिन्दु दिखाये गये हैं, यदि उनके ऊपर गिरने वाले सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा (लगभग 18 टेरावाट) की आपूर्ति इससे ही हो जायेगी। यूएसए के कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो में 354 MW वाला SEGS सौर कम्प्लेक्स सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है। वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। .

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सौर सम्प्रदाय

सौर आर्थत सूर्य कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय सौर कहलाते हैं। यह सम्प्रदाय वैदिक काल से ही अस्त्तित्व में है । सनातन धर्म की वर्ण व्यवस्था में सूर्य की उपासना का उलेख मिलता है । ब्राह्मणों में संध्या कर्म में सूर्य की उपासना का ही वर्णन है । "सौर"सूर्य को ही ब्रह्म (संसार के जनक)के रूप में मानते है । वेदों में सूर्य की स्तुतियां है जिनमे मुख्य "चक्षुषो उपनिषद" है । श्रेणी:हिन्दू धर्म.

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हान चीनी

चीन में विभिन्न जातियों का फैलाव - हान चीनी पूर्व की ओर गाढ़े ख़ाकी रंग में हैं हान चीनी (चीनी: 汉族, हानज़ू या हानरेन) चीन की एक जाति और समुदाय है। आबादी के हिसाब से यह विश्व की सब से बड़ी मानव जाति है। कुल मिलाकर दुनिया में १,३१,०१,५८,८५१ हान जाति के लोग हैं, यानी सन् २०१० में विश्व के लगभग २०% जीवित मनुष्य हान जाति के थे। चीन की जनसँख्या के ९२% लोग हान नसल के हैं। इसके अलावा हान लोग ताइवान में ९८% और सिंगापुर में ७८% होने के नाते उन देशों में भी बहुतायत में हैं। हज़ारों साल के इतिहास में बहुत सी अन्य जातियाँ और क़बीले समय के साथ हान जाति में मिलते चले गए जिस से वर्तमान हान समुदाय में बहुत सांस्कृतिक, सामाजिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) विविधताएँ हैं।, Nature Publishing Group, 2004 .

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जिन राजवंश

२८० ईसवी में चीन में जिन राजवंश के साम्राज्य (पीले रंग में) का नक़्शा जिन राजवंश (चीनी: 晉朝, जिन चाओ; अंग्रेज़ी: Jin Dynasty) प्राचीन चीन का एक राजवंश था जिसने चीन में २६५ ईसापूर्व से ४२० ईसवी तक राज किया। जिन काल से पहले चीन में तीन राजशाहियों का दौर था जो २२० ई से २६५ ई तक चला और जिसके अंत में सीमा यान (司馬炎, Sima Yan) ने पहले साओ वेई राज्य पर क़ब्ज़ा किया और फिर पूर्वी वू राज्य पर आक्रमण कर के उसे अपने अधीन कर लिया। फिर उन्होंने अपना नाम बदलकर सम्राट वू (晉武帝, Wu of Jin) रख लिया और चीन के नए जिन राजवंश की घोषणा कर दी। जिन राजकाल को दो हिस्सों में बांटा जाता है। पहला भाग पश्चिमी जिन (西晉, Western Jin, २६५ ई - ३१६ ई) कहलाता है और सीमा यान द्वारा लुओयांग को राजधानी बनाने से आरम्भ होता है। दूसरा भाग पूर्वी जिन (東晉, Eastern Jin, ३१७ ई - ४२० ई) कहलाता है और सीमा रुई (司馬睿, Sima Rui) द्वारा जिआनकांग को राजधानी बनाकर वंश आगे चलाने से आरम्भ होता है। जिन काल के ख़त्म होने के बाद चीन में उत्तरी और दक्षिणी राजवंश (४२० ई – ५८९ ई) का काल आया। ध्यान दीजिये कि चीन में १११५ ई से १२३४ ई तक भी एक जिन राजवंश चला था लेकिन इन दोनों राजवंशों का एक दुसरे से कोई लेना देना नहीं।, City University of HK Press, 2007, ISBN 978-962-937-140-1,...

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ज्योतिष

ज्‍योतिष या ज्यौतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा गया था। इसके गणित भाग के बारे में तो बहुत स्‍पष्‍टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्‍पष्‍ट गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है। भारतीय आचार्यों द्वारा रचित ज्योतिष की पाण्डुलिपियों की संख्या एक लाख से भी अधिक है। प्राचीनकाल में गणित एवं ज्यौतिष समानार्थी थे परन्तु आगे चलकर इनके तीन भाग हो गए।.

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वास्तु शास्त्र

वास्तु पुरुष की अवधारणा संस्कृत में कहा गया है कि...

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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अनुमान

अनुमान, दर्शन और तर्कशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है। भारतीय दर्शन में ज्ञानप्राप्ति के साधनों का नाम प्रमाण हैं। अनुमान भी एक प्रमाण हैं। चार्वाक दर्शन को छोड़कर प्राय: सभी दर्शन अनुमान को ज्ञानप्राप्ति का एक साधन मानते हैं। अनुमान के द्वारा जो ज्ञान प्राप्त होता हैं उसका नाम अनुमिति हैं। प्रत्यक्ष (इंद्रिय सन्निकर्ष) द्वारा जिस वस्तु के अस्तित्व का ज्ञान नहीं हो रहा हैं उसका ज्ञान किसी ऐसी वस्तु के प्रत्यक्ष ज्ञान के आधार पर, जो उस अप्रत्यक्ष वस्तु के अस्तित्व का संकेत इस ज्ञान पर पहुँचने की प्रक्रिया का नाम अनुमान है। इस प्रक्रिया का सरलतम उदाहरण इस प्रकार है-किसी पर्वत के उस पार धुआँ उठता हुआ देखकर वहाँ पर आग के अस्तित्व का ज्ञान अनुमिति है और यह ज्ञान जिस प्रक्रिया से उत्पन्न होता है उसका नाम अनुमान है। यहाँ प्रत्यक्ष का विषय नहीं है, केवल धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है। पर पूर्वकाल में अनेक बार कई स्थानों पर आग और धुएँ के साथ-साथ प्रत्यक्ष ज्ञान होने से मन में यह धारणा बन गई है कि जहाँ-जहाँ धुआँ होता है वहीं-वहीं आग भी होती है। अब जब हम केवल धुएँ का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और हमको यह स्मरण होता है कि जहाँ-जहाँ धुआँ है वहाँ-वहाँ आग होती है, तो हम सोचते हैं कि अब हमको जहाँ धुआँ दिखाई दे रहा हैं वहाँ आग अवश्य होगी: अतएव पर्वत के उस पार जहाँ हमें इस समय धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान हो रहा है अवश्य ही आग वर्तमान होगी। इस प्रकार की प्रक्रिया के मुख्य अंगों के पारिभाषिक शब्द ये हैं.

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