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प्रायोगिक भौतिकी

सूची प्रायोगिक भौतिकी

भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में, प्रायोगिक भौतिकी ब्रह्माण्ड के बारे में आँकड़े संग्रहित करने के क्रम में भौतिक परिघटनाओं के प्रेक्षण से सम्बंधित विषय और उप-विषयों की श्रेणी है। इसकी विधियाँ एक विषय से दूसरे विषय में बहुत परिवर्तित होता है जैसे सरल प्रयोग से प्रेक्षण जैसे कैवेंडिश प्रयोग से बहुत जटिल प्रयोगों में से एक वृहद हेड्रॉन संघट्टक तक। .

26 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा, एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी, ताराभौतिकी, दृग्विषय, प्रयोग, प्रयोगशाला, प्रोटॉन, फैराडे पिंजर, भौतिक शास्त्र, मापन उपकरण, माइकलसन मोर्ले प्रयोग, यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन, रमन स्पेक्ट्रमिकी, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर, संयुक्त राज्य, संकेत प्रसंस्करण, स्पेक्ट्रोस्कोपी, सोना, हैम्बर्ग, जर्मनी, जिनेवा, विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान, व्यतिकरणमिति, खगोलीय वस्तु, क्रिस्टलकी, अभियान्त्रिकी

चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा

चिरसम्मत यांत्रिकी की समयरेखा: .

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एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी

एक क्रिस्ट्रल पर एक्स-किरण के विवर्तन (डिफ्रैक्शन) से प्राप्त विवर्तन-पैटर्न। इसकी सहायता से क्रिस्टल की संरचना निकाली जा सकती है। स्पेक्ट्रमिकी के इस विभाग में एक्स किरणों के स्पेक्ट्रम का अध्ययन किया जाता है। इससे परमाणुओं की संरचना का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है। एक्स किरणों की खोज डब्ल्यू॰के॰ रुटगेन (W. K. Rontgen) ने 1895 ई. में की थी। ये किरणें भी विद्युत् चुंबकीय तरंगें होती हैं। एक्स किरणों का तरंगदैर्घ्य बहुत छोटा, 100 एंग्स्ट्रॉम से 1 एंग्स्ट्रॉम तक होता है। स्पेक्ट्रमिकी के इस विभाग की नींव डालनेवाले वैज्ञानिकों में हेनरी जेफ्री मोस्ले, ब्रैग और लावे के नाम उल्लेखनीय हैं। जब तीव्र गति से चलते हुए इलेक्ट्रानों की धारा को किसी धातु के "टार्जेंट" पर रोक दिया जाता है तब उससे एक्स-किरणें निकलने लगती हैं। इनसे प्राप्त स्पेक्ट्रम दो प्रकार के होते हैं-रेखा स्पेक्ट्रम और सतत स्पेक्ट्रम। रेखा स्पेक्ट्रम टार्जेट के तल का लाक्षणिक स्पेक्ट्रम (Charactgeristic Spectrum) होता है। सतत स्पेक्ट्रम में एक सीमित क्षेत्र की प्रत्येक आवृत्ति की रश्मियाँ होती हैं। इस स्पेक्ट्रम की उच्चतम आवृत्तिसीमा तीक्ष्ण और स्पष्ट होती है किंतु निम्न आवृत्तिसीमा निश्चित नहीं होती है। उच्चतम आवृत्तिसीमा को एक्स-स्पेक्ट्रम की क्वांटम-सीमा कहते हैं। .

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ताराभौतिकी

ताराभौतिकी (Stellar physics) खगोलभौतिकी की एक शाखा है जो तारों से सम्बन्धित भौतिकी का अध्ययन करती है। इसमें तारों के जन्म, उनके क्रम-विकास के अन्तर्गत जीवन-चक्र, उनके ढांचे और अन्य पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की जाती है। .

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दृग्विषय

दियासलाई की तिल्ली का जलना एक ऐसी घटना है जिसे देखा जा सकता है; अत: यह एक परिघटना है। observed as appearing differently. दृग्विषय या परिघटना (phenomenon, बहुवचन phenomena, phainomenon, phainein क्रिया से) कोई वह चीज़ हैं जो स्वयं प्रकट होती हैं। भले सदैव नहीं, पर आम तौर पर दृग्विषयों को "चीजें जो दृष्टिगोचर होती हैं" या संवेदन-समर्थ जीवों के "अनुभव" समझे जाते हैं, या वे जो सैद्धान्तिक रूप से हो सकते हैं। यह शब्द इमानुएल काण्ट के द्वारा आधुनिक दार्शनिक प्रयोग में आया, जिन्होंने इसे मनस्विषय के विपरीत बताया। दृग्विषय के विपरीत, मनस्विषय अन्वेषण के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से अभिगम्य नहीं हैं। काण्ट Gottfried Wilhelm Leibniz के दर्शन के इस भाग से बेहद प्रभावित थे, जिसमें, दृग्विषय और मनस्विषय पारस्पारिक तकनीकी शब्द थे। श्रेणी:तत्वमीमांसा की अवधारणाएँ.

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प्रयोग

बेंजामिन फ्रैंकलिन का तड़ित सम्बन्धी प्रयोग किसी वैज्ञानिक जिज्ञासा (scientific inquiry) के समाधान के लिये उससे सम्बन्धित क्षेत्र में और अधिक आंकड़े (data) एकत्र करने जी आवश्यकता होती है। इन आंकड़ों की प्राप्ति के लिये जो कुछ किया जाता है उसे प्रयोग (experiment) कहते हैं। प्रयोग, वैज्ञानिक विधि का प्रमुख स्तम्भ है। प्रयोग करना एवं आंकड़े प्राप्त करना इसलिये भी जरूरी है ताकि सिद्धान्त के प्रतिपादन में कहीं पूर्वाग्रह या पक्षपात आड़े न आ जाँए। किसी क्षेत्र के गहन अध्ययन एवं ज्ञान के लिये प्रयोग का बहुत महत्व है। प्राकृतिक एवं सामाजिक दोनो ही विज्ञानों में प्रयोग की महती भूमिका है। व्यावहारिक समस्याओं के समाधान में, कम ज्ञात क्षेत्रों के और अधिक जानकारी प्राप्ति के लिये तथा सैद्धान्तिक मान्यताओं (theoretical assumptions) की जाँच के लिये प्रयोग करने की जरूरत पड़ती रहती है। कुछ प्रयोग इसलिये नहीं किये जा सकते कि वे बहुत महंगे हो सकते हैं, बहुत भयंकर हो सकते हैं या उन्हें करना नैतिक दृष्टि से मान्य नहीं है। .

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प्रयोगशाला

उन्नीसवीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री एवं रसायनज्ञ माइकल फैराडे अपनी प्रयोगशाला में जैव रसायन प्रयोगशाला प्रयोगशाला एक ऐसी सुविधा (कक्ष, भवन या स्थान) को कहते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रयोग एवं मापन के लिए आवश्यक माहौल प्रदान करता है। .

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प्रोटॉन

प्राणु संरचना प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1 दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। .

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फैराडे पिंजर

फैराडे पिंजर (Faraday cage या Faraday shield) चारों ओर से घिरा एक पात्र या आवरण को कहते हैं जो बाहर के विद्युत क्षेत्र को अन्दर आने से रोकता है या अन्दर के विद्युत क्षेत्र को बाहर नहीं जाने देता। इसका निर्माण किसी चालक पदार्थ से या चालक पदार्थ की जाली से करते हैं। इसका नामकरण माइकल फैराडे के नाम पर किया गया है जिसने 1836 में इसका आविष्कार किया था। .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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मापन उपकरण

विशिष्ट उपकरणों के लिये 'मापक उपकरणों की सूची' देखें। ---- जलतल (वाटर लेवेल) भौतिक विज्ञानों, इंजीनियरी, नियंत्रण, स्वचालन (आटोमेशन) तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने आदि के लिये उपयुक्त भौतिक राशियों के मापन की आवश्यकता होती है जो मापन उपकरणों के द्वारा किया जाता है। बिना मापन उपकरणों के आधुनिक सभ्यता का अस्तित्व ही नहीं होता। दूसरे शब्दों में मापन एवं मापन उपकरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मूल हैं। वर्नियर कैलीपर्स इलेक्ट्रॉनिक रक्तदाबमापी एनालॉग वोल्टमीतर .

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माइकलसन मोर्ले प्रयोग

माइकलसन मोर्ले का व्यतिकरणमापी यन्त्र। माइकलसन-मोर्ले प्रयोग (Michelson–Morley experiment), अल्बर्ट मिशेलसन और एडवर्ड मोर्ले द्वारा १८८७ में किया गया प्रयोग है। कई बार इसे माइकलसन मोर्ले व्यतिकरणमापी भी कहा जाता है। इस प्रयोग के परिणाम ने ईथर सिद्धान्त (aether) को असत्य सिद्ध कर दिया। इस प्रयोग ने परम्परागत रास्ते से हटकर उस रास्ते पर कदम बढ़ाया जो वैज्ञानिक समाज को 'द्वितीय वैज्ञानिक क्रान्ति' की दिशा में ले गया। विशिष्ट आपेक्षिकता के मूलभूत परीक्षण करने वाले तीन प्रयोग हैं- माइकलसन मोर्ले प्रयोग, इव्स-इस्टिवेल प्रयोग (Ives–Stilwell) तथा केनेडी-थॉर्नडाइक प्रयोग (Kennedy–Thorndike experiments)। .

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यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन

सर्न (Organisation Européenne pour la Recherche Nucléaire या CERN (फ़्रान्सीसी में) .

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रमन स्पेक्ट्रमिकी

रमन संकेत में शामिल राज्यों को दिखाते हुए ऊर्जा स्तर का आरेखरेखा की मोटाई लगभग विभिन्न संक्रमण से सिग्नल की शक्ति के लिए आनुपातिक है। रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) (सी वी रमन के नाम पर आधारित) एक वर्णक्रमीय (स्पेक्ट्रोस्कोपी) तकनीक है जिसका प्रयोग एक प्रणाली में कंपन, घूर्णन तथा अन्य कम आवृत्ति के प्रकारों के अध्ययन में होता है। यह एक रंग के प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक लाईट) के, आम तौर पर इन्फ्रारेड या पराबैंगनी रेंज के पास लेज़र से दिखाई देने वाले अलचकदार स्कैटरिंग (बिखराव) या रमन बिखराव (रमन स्कैटरिंग) पर आधारित है। प्रणाली में लेज़र प्रकाश फ़ोनोन (phonon) या उत्तेज़क कारकों से क्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप लेज़र फोटोन की ऊर्जा ऊपर या नीचे स्थानांतरित होती रहती है। ऊर्जा में बदलाव प्रणाली में फ़ोनोन (phonon) मोड के बारे में जानकारी देता है। इन्फ्रारेड वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) समान तरह की, लेकिन अतिरिक्त सूचना प्रदान करती है। आमतौर पर, एक नमूने को एक लेज़र बीम से प्रकाशित किया जाता है। प्रकाशित बिंदु से रोशनी को एक लेंस के माध्यम से एकत्रित किया जाता है और मोनोक्रोमेटर (monochromator) के माध्यम से भेजा जाता है। रेले बिखराव (रेले स्कैटरिंग) के कारण, लेज़र लाइन के पार की तरंगे छान ली जाती हैं जबकि बची हुई रोशनी को एक डिटेक्टर पर छितराया जाता है। स्वाभाविक रमन बिखराव (रमन स्कैटरिंग) आम तौर पर बहुत कमजोर होता है और इसी कारण रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) में मुख्य कठिनाई प्रचंड रेले स्कैटर्ड लेज़र प्रकाश में से कमज़ोर अलचकदार स्कैटर्ड लेज़र प्रकाश को अलग करना है। ऐतिहासिक रूप से, एक उच्च दर की लेज़र रिजेक्शन को प्राप्त करने के लिए रमन स्पेक्ट्रोमीटर ने होलोग्राफिक (holographic) ग्रेटिंग तथा कई चरणों में फैलाव का प्रयोग किया। अतीत में, रमन फैलाव सेटअप के लिए डिटेक्टर के रूप में फोटोमल्टीप्लायर (photomultiplier) पहली पसंद थे, जो अत्यधिक समय लेते थे। लेकिन, आधुनिक उपकरण लगभग सार्वभौमिक रूप से लेज़र रिजेक्शन तथा स्पेक्ट्रोग्राफ और सीसीडी (CCD) डिटेक्टरों के लिए नॉच (notch) या एज फ़िल्टर (edge filter) (या तो एक्सियल ट्रांसमिसिव (axial transmissive (एटी (AT)), ज़ेर्नी-टर्नर (Czerny-Turner) (सीटी (CT)) मोनोक्रोमेटर या फिर एफटी (FT) (फोरियर ट्रांसफोर्म स्पेक्ट्रोस्कोपी आधारित)), का प्रयोग करते हैं। रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) के कई उन्नत प्रकार हैं, जिसमे सरफेस एन्हैंस्ड रमन (surface-enhanced Raman), टिप एन्हैंस्ड रमन (tip-enhanced Raman), पोलराइज्ड रमन (polarised Raman), स्टिमुलेटेड रमन (stimulated Raman) (स्टिमुलेटेड उत्सर्जन की तरह), ट्रांसमिशन रमन (transmission Raman), स्पैटियली-ऑफ़सेट रमन (spatially-offset Raman) और हायपर रमन (hyper Raman) शामिल हैं। .

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लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर या वृहद हैड्रॉन संघट्टक (Large Hadron Collider; LHC के रूप में संक्षेपाक्षरित) विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। यह सर्न की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह जेनेवा के समीप फ़्रान्स और स्विट्ज़रलैण्ड की सीमा पर ज़मीन के नीचे स्थित है। इसकी रचना २७ किलोमीटर परिधि वाले एक छल्ले-नुमा सुरंग में हुई है, जिसे आम भाषा में लार्ड ऑफ द रिंग कहा जा रहा है। इसी सुरंग में इस त्वरक के चुम्बक, संसूचक (डिटेक्टर), बीम-लाइन एवं अन्य उपकरण लगे हैं। सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही ७ TeV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में संघट्ट (टक्कर) किया जायेगा जिससे वही स्थिति उत्पन्न की जायेगी जो ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय बिग बैंग के रूप में हुई थी। ग्यातव्य है कि ७ TeV उर्जा वाले प्रोटॉन का वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है। एल एच सी की सहायता से किये जाने वाले प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य स्टैन्डर्ड मॉडेल की सीमाओं एवं वैधता की जाँच करना है। स्टैन्डर्ड मॉडेल इस समय कण-भौतिकी का सबसे आधुनिक सैद्धान्तिक व्याख्या या मॉडल है। १० सितंबर २००८ को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक प्रोटान धारा प्रवाहित की गई। इस परियोजना में विश्व के ८५ से अधिक देशों नें अपना योगदान किया है। परियोजना में ८००० भौतिक वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं जो विभिन्न देशों, या विश्वविद्यालयों से आए हैं। प्रोटॉन बीम को त्वरित (accelerate) करने के लिये इसके कुछ अवयवों (जैसे द्विध्रुव (डाइपोल) चुम्बक, चतुर्ध्रुव (quadrupole) चुमबक आदि) का तापमान लगभग 1.90केल्विन या -२७१.२५0सेन्टीग्रेड तक ठंडा करना आवश्यक होता है ताकि जिन चालकों (conductors) में धारा बहती है वे अतिचालकता (superconductivity) की अवस्था में आ जांय और ये चुम्बक आवश्यक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकें।"".

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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संकेत प्रसंस्करण

संकेत प्रक्रमण (सिग्नल प्रोसेसिंग) यद्यपि संकेत गैर-विद्युत प्रकृति के भी हो सकते हैं किन्तु अधिकांश संकेत विद्युत संकेत होते हैं या उन्हें संवेदक (सेंसर), संसूचक (डिटेक्टर) या परिवर्तक (ट्रन्स्ड्यूसर) की मदद से विद्युत स्वरूप में बदल दिया जाता है। इसके बाद विद्युत संकेतों को अधिक उपयोगी बनाने के लिये उन्हें अनेक प्रकार से परिवर्तित एवं संस्कारित किया जाता है। इस क्रिया को संकेत प्रसंस्करण (Signal processing) कहते हैं। .

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स्पेक्ट्रोस्कोपी

स्पेक्ट्रमिकी का सबसे सरल उदाहरण: श्वेत प्रकाश को प्रिज्म होकर ले जाने पर वह सात रंगों में बंट जाती है। स्पेक्ट्रमिकी, भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसमें पदार्थों द्वारा उत्सर्जित या अवशोषित विद्युत चुंबकीय विकिरणों के स्पेक्ट्रमों का अध्ययन किया जाता है और इस अध्ययन से पदार्थों की आंतरिक रचना का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इस शाखा में मुख्य रूप से वर्णक्रम का ही अध्ययन होता है अत: इसे स्पेक्ट्रमिकी या स्पेक्ट्रमविज्ञान (Spectroscopy) कहते हैं। मूलत: विकिरण एवं पदार्थ के बीच अन्तरक्रिया (interaction) के अध्ययन को स्पेक्ट्रमिकी या स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) कहा जाता था। वस्तुत: ऐतिहासिक रूप से दृष्य प्रकाश का किसी प्रिज्म से गुजरने पर अलग-अलग आवृत्तियों का अलग-अलग रास्ते पर जाना ही स्पेक्ट्रोस्कोपी कहलाता था। बाद में 'स्पेक्ट्रोस्कोपी' शबद के अर्थ का विस्तार हुआ। अब तरंगदैर्ध्य (या आवृत्ति) के फलन के रूप में किसी भी राशि का मापन स्पेक्ट्रोस्कोपी कहलाती है। इसकी परिभाषा का और विस्तार तब मिला जब उर्जा (E) को चर राशि के रूप में सम्मिलित कर लिया गया (क्योंकि पता चला कि उर्जा और आवृत्ति में सीधा सम्बन्ध है: E .

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सोना

सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .

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हैम्बर्ग

हैम्बर्ग हैमबुर्ग जर्मनी का एक प्रमुख नगर एवं बन्दरगाह है| एक समय यह हैमबूर्ग राज्य की राजधानी था। यहाँ की भूमि बड़ी उपजाऊ है। राई, जौ, गेहूँ तथा आलू की अच्छी फसलें होती हैं। हैमबूर्ग के अतिरिक्त बरगेडोर्फ (Bergedorf) और कुक्सहहैवन अन्य बड़े नगर हैं। हैमबूर्ग नगर समुद्र से १२० किमी अंदर एल्वे नदी की उत्तरी शाखा पर बर्लिन से २८५ किमी उत्तर पश्चिम में सपाट भूमि पर स्थित है। इस नगर में नहरों का जाल बिछा हुआ है। इसके बीच से ऐल्सटर नदी (Alster) भी बहती है जो इसे दो भागों में विभक्त करती है। छोटे भाग को बिनेन एल्सटर (Binnen alster) कहते हें। द्वितीय विश्वयुद्ध में बमबारी से इसे बहुत क्षति पहुँची थी परन्तु युद्ध के बाद नगर का पुर्ननिर्माण हो गया है। द्वितीय युद्ध के पहले यह कॉफी का बहुत बड़ा केंद्र था और यहाँ मुद्रा का भी विनिमय होता था। आजकल यहाँ से चीनी, कॉफी, ऊनी और सूती सामान, लोहे के सामान, तंबाकू, लोहे, अनाज और कॉफी के कच्चे माल मँगाए जाते हैं। जहाज निर्माण का अच्छा व्यवसाय होता है, जहाजों की मरम्मत भी होती है। यह बंदरगाह वर्ष भर खुला रहता है। यहाँ का विश्वविद्यालय सुप्रसिद्ध है। इसमें अनेक आधुनिक विषयों की पढ़ाई होती है। श्रेणी:जर्मनी के राज्य.

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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जिनेवा

जिनेवा या जनेवा (अंग्रेज़ी: Geneva; जनीवा, फ़्रांसीसी: Genève; जेनेव, जर्मन: Genf; जेन्फ़), स्विट्ज़रलैंड का ज़्यूरिख़ के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है। ये फ़्रांस से सटा हुआ है और इसकी राजभाषा फ्रांसीसी है। ये शहर "जिनेवा सरोवर" के किनारे बसा है। यहाँ संयुक्त राष्ट्र संघ के कई निकायों के कार्यालय स्थित हैं। .

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विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान

विल्किनसन शोधयान का चित्र विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान (अंग्रेज़ी: Wilkinson Microwave Anisotropy Probe, विल्किनसन माइक्रोवेव आइनाइसोट्रोपी प्रोब), जिसे WMAP भी कहा जाता है, एक अंतरिक्ष शोध यान है जो अंतरिक्ष में जगह-जगह झाँककर बिग बैंग धमाके से उत्पन्न हुए सूक्ष्मतरंगी विकिरण (माइक्रोवेव रेडियेशन) को मापता है। .

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व्यतिकरणमिति

न्यू मेक्सिको के 'वेरी लार्ज अर्रे' के परिसर में व्यतिकरणमिति व्यतिकरणमिति (Interferometry) के अन्तर्गत कई तकनीके हैं जिनमें विद्युतचुम्बकीय तरंगों का व्यतिकरण कराया जाता है ताकि इससे उन तरंगों के बारे में जानकारी निकाली जा सके। तरंगों का व्यतिकरण कराने के लिये जिस उपकरण (इंस्टूमेंट) का उपयोग किया जाता है उसे व्यतिकरणमापी (interferometer) कहते हैं। खगोलविज्ञान, फाइबर प्रकाशिकी, इंजीनियरिंग मापन, प्रकाशीय मापन, भूकंप विज्ञान, समुद्रविज्ञान, क्वांटम यांत्रिकी, नाभिकीय एवं कण भौतिकी, प्लाज्मा भौतिकी, सुदूर संवेदन, बायोमालिक्युलर इंटरैक्शन्स आदि में व्यतिकरणमिति एक महत्वपूर्ण परीक्षण तकनीक है। .

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खगोलीय वस्तु

आकाशगंगा सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं - एन॰जी॰सी॰ ४४१४ हमारे सौर मण्डल से ६ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष के व्यास की आकाशगंगा है खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी आदि शामिल हैं। .

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क्रिस्टलकी

क्रिस्टलकी (Crystallography) या मणिविज्ञान एक प्रायोगिक विज्ञान है जिसमें ठोसों में परमाणों के विन्यास (arrangement) का अध्ययन किया जाता है। पहले क्रिस्टलिकी से तात्पर्य उस विज्ञान से था जिसमें क्रिस्टलों का अध्ययन किया जाता है। एक्स-किरण के डिफ्रैक्सन द्वारा क्रिस्टलोंके अध्ययनके पहले क्रिस्टलोंका अध्ययन केवल उनकी ज्यामिति (आकार-प्रकार) देखकर की जाती थी। किन्तु आजकल विविध-प्रकार के किरण-पुंजों (एक्स-किरण, एलेक्ट्रान, न्यूट्रान, सिन्क्रोट्रान आदि) के डिफ्रैक्सन से किया जाता है। .

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अभियान्त्रिकी

लोहे का 'कड़ा' (O-ring): कनाडा के इंजिनियरों का परिचय व गौरव-चिह्न सन् 1904 में निर्मित एक इंजन की डिजाइन १२ जून १९९८ को अंतरिक्ष स्टेशन '''मीर''' अभियान्त्रिकी (Engineering) वह विज्ञान तथा व्यवसाय है जो मानव की विविध जरूरतों की पूर्ति करने में आने वाली समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है। इसके लिये वह गणितीय, भौतिक व प्राकृतिक विज्ञानों के ज्ञानराशि का उपयोग करती है। इंजीनियरी भौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है; औद्योगिक प्रक्रमों का विकास एवं नियंत्रण करती है। इसके लिये वह तकनीकी मानकों का प्रयोग करते हुए विधियाँ, डिजाइन और विनिर्देश (specifications) प्रदान करती है। .

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