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प्राणी और होमो सेपियन्स

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्राणी और होमो सेपियन्स के बीच अंतर

प्राणी vs. होमो सेपियन्स

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। . होमो सेपियन्स/आधुनिक मानव स्तनपायी सर्वाहारी प्रधान जंतुओं की एक जाति, जो बात करने, अमूर्त्त सोचने, ऊर्ध्व चलने तथा परिश्रम के साधन बनाने योग्य है। मनुष्य की तात्विक प्रवीणताएँ हैं: तापीय संसाधन के द्वारा खाना बनाना और कपडों का उपयोग। मनुष्य प्राणी जगत का सर्वाधिक विकसित जीव है। जैव विवर्तन के फलस्वरूप मनुष्य ने जीव के सर्वोत्तम गुणों को पाया है। मनुष्य अपने साथ-साथ प्राकृतिक परिवेश को भी अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है। अपने इसी गुण के कारण हम मनुष्यों नें प्रकृति के साथ काफी खिलवाड़ किया है। आधुनिक मानव अफ़्रीका में 2 लाख साल पहले, सबके पूर्वज अफ़्रीकी थे। होमो इरेक्टस के बाद विकास दो शाखाओं में विभक्त हो गया। पहली शाखा का निएंडरथल मानव में अंत हो गया और दूसरी शाखा क्रोमैग्नॉन मानव अवस्था से गुजरकर वर्तमान मनुष्य तक पहुंच पाई है। संपूर्ण मानव विकास मस्तिष्क की वृद्धि पर ही केंद्रित है। यद्यपि मस्तिष्क की वृद्धि स्तनी वर्ग के अन्य बहुत से जंतुसमूहों में भी हुई, तथापि कुछ अज्ञात कारणों से यह वृद्धि प्राइमेटों में सबसे अधिक हुई। संभवत: उनका वृक्षीय जीवन मस्तिष्क की वृद्धि के अन्य कारणों में से एक हो सकता है। .

प्राणी और होमो सेपियन्स के बीच समानता

प्राणी और होमो सेपियन्स आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्राणी, सुकेन्द्रिक, स्तनधारी, जीनोम परियोजना, कार्ल लीनियस

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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सुकेन्द्रिक

कुछ युकेरियोटी जीव सुकेंद्रिक या युकेरियोट (eukaryote) एक जीव को कहा जाता है जिसकी कोशिकाओं (सेल) में झिल्लियों में बंद असरल ढाँचे हों। सुकेंद्रिक और अकेंद्रिक (प्रोकेरियोट) कोशिकाओं में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि सुकेंद्रिक कोशिकाओं में एक झिल्ली से घिरा हुआ केन्द्रक (न्यूक्लियस) होता है जिसके अन्दर आनुवंशिक (जेनेटिक) सामान होता है। जीवविज्ञान में सुकेंद्रिक कोशिकाओं वाले जीवों के टैक्सोन को 'सुकेंद्रिक' या 'युकेरियोटी' (eukaryota) कहते हैं।, Mary K. Campbell, Shawn O. Farrell, pp.

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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जीनोम परियोजना

जीनोमिक्स का चित्रण जीनोम परियोजना वह वैज्ञानिक परियोजना है, जिसका लक्ष्य किसी प्राणी के संपूर्ण जीनोम अनुक्रम का पता करना है। जीन हमारे जीवन की कुंजी है। हम वैसे ही दिखते या करते हैं, जो काफी अंश तक हमारे देह में छिपे सूक्ष्म जीन तय करते हैं। यही नहीं, जीन मानव इतिहास और भविष्य की ओर भी संकेत करते हैं। जीन वैज्ञानिकों का मानना है, कि यदि एक बार मानव जाति के समस्त जीनों की संरचना का पता लग जये, तो मनुष्य की जीन-कुण्डली के आधार पर, उसके जीवन की समस्त जैविक घटनाओं और दैहिक लक्षणों की भविष्यवाणी करना संभव हो जायेगा। यद्यपि यह कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि मानव शरीर में हजारों लाखों जीवित कोशिकएं होतीं हैं। जीनों के इस विशाल समूह को जीनोम कहते हैं। आज से लगभग 136 वर्ष पूर्व, बोहेमियन भिक्षुक ग्रेगर जॉन मेंडल ने मटर के दानों पर किये अपने प्रयोगों को प्रकाशित किया था, जिसमें अनुवांशिकी के अध्ययन का एक नया युग आरंभ हुआ था। इन्हीं लेखों से कालांतर में आनुवांशिकी के नियम बनाए गए। उन्होंने इसमें एक नयी अनुवांशिकीय इकाई का नाम जीन रखा, तथा इसके पृथक होने के नियमों का गठन किया। थॉमस हंट मॉर्गन ने १९१० में ड्रोसोफिला (फलमक्खी) के ऊपर शोधकार्य करते हुए, यह सिद्ध किया, कि जीन गुणसूत्र में, एक सीधी पंक्ति में सजे हुए रहते हैं, तथा कौन सा जीन गुणसूत्र में किस जगह पर है, इसका भी पता लगाया जा सकता है। हर्मन मुलर ने १९२६ में खोज की, कि ड्रोसोफिला के जीन में एक्सरे से अनुवांशिकीय परिवर्तन हो जाता है, जिसे उत्परिवर्तन भी कहते हैं। सन १९४४ में यह प्रमाणित हुआ कि प्रोटीन नहीं, वरन डी एन ए ही जीन होता है। सन १९५३ में वॉटसन और क्रिक ने डी एन ए की संरचना का पता लगाया और बतया, कि यह दो तंतुओं से बना हुआ घुमावदार सीढ़ीनुमा, या दोहरी कुंडलिनी के आकार का होता है। .

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

प्राणी और होमो सेपियन्स के बीच तुलना

प्राणी 66 संबंध है और होमो सेपियन्स 18 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 5.95% है = 5 / (66 + 18)।

संदर्भ

यह लेख प्राणी और होमो सेपियन्स के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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