प्रसरकोण और शुक्र के बीच समानता
प्रसरकोण और शुक्र आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बुध (बहुविकल्पी), संयोजन (खगोलशास्त्र), सूर्य।
बुध (बहुविकल्पी)
कोई विवरण नहीं।
प्रसरकोण और बुध (बहुविकल्पी) · बुध (बहुविकल्पी) और शुक्र ·
संयोजन (खगोलशास्त्र)
संयोजन (Conjuction), तब होता है जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच की सीधी रेखा पर स्थित होता है। संयोजन का खगोलीय प्रतीक ơ है। इसे हस्तलिपी में और यूनिकोड में U+260C लिखते हैं। हालांकि, इस प्रतीक को आधुनिक खगोल विज्ञान में कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है, मात्र ऐतिहासिक रुचि भर का है। ग्रहों के औसत कक्षीय वेग, सूर्य से बढ़ती दूरी के साथ घटते जाते है, जो ग्रहों की परस्पर बदलती स्थिति का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी अपनी कक्षा पर मंगल से ज्यादा तेज चलती है, इसलिए नियमित रूप से मंगल के पास से होकर गुजरती है। इसी तरह से, शुक्र पृथ्वी को पकड़ लेता है और नियमित रूप से उसे पार करता है क्योंकि शुक्र का कक्षीय वेग पृथ्वी की तुलना में ज्यादा है। ग्रहों की पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष स्थिति का परिणाम संयोजन और विमुखता के रूप में होता है। यदि कोई अवर ग्रह (बुध व शुक्र) सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच आ जाये तो स्थिति अवर संयोजन कहलाती है। इन्ही में से कोई एक ग्रह यदि सूर्य के पीछे की तरफ चला जाये तो स्थिति वरिष्ठ संयोजन कहलाती है। वरिष्ठ ग्रहों (मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून) के संयोजन तब होते है जब इनमें से कोई ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य के पीछे की तरफ होता है। इसके विपरित, जब वरिष्ठ ग्रह पृथ्वी की तरफ होते है तब संयोजन को विमुखता के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है। वरिष्ठ ग्रहों को संयोजन में नहीं देख सकते क्योंकि तब वें सूर्य के पीछे मौजुद होते हैं। हालांकि, जब वें विमुखता पर होते है उनकी स्पष्टता सर्वोत्तम होती है। ध्यान रहें केवल अवर ग्रहों में ही अवर और वरिष्ठ संयोजन होते हैं। वरिष्ठ ग्रहों में या तो संयोजन होता है या विमुखता होती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वें कहां पर स्थित है, पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे की तरफ या सूर्य के इस तरफ जहां पृथ्वी है। जब बुध या शुक्र ग्रह, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरते है, पृथ्वी से देखने पर हो सकता है उनकी छवि काली चकती जैसी नजर आये और सूर्य की मुखाकृति के आरपार खिसकती हुई दिखाई दे, इस तरह की स्थिति पारगमन कहलाती है। पारगमन सभी परिस्थिति में पृथ्वी से नहीं नजर आते, कारण, उनकी कक्षाओं का क्रांतिवृत्त से झुकाव। .
प्रसरकोण और संयोजन (खगोलशास्त्र) · शुक्र और संयोजन (खगोलशास्त्र) ·
सूर्य
सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
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प्रसरकोण और शुक्र के बीच तुलना
प्रसरकोण 4 संबंध है और शुक्र 142 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.05% है = 3 / (4 + 142)।
संदर्भ
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