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प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य के बीच अंतर

प्रभात शास्त्री vs. संस्कृत साहित्य

डॉ प्रभात शास्त्री (२७ मई १९१७ -) हिन्दी के महान उन्नायक तथा संस्कृत और हिन्दी के विद्वान थे। प्रयाग में जन्में डॉ॰ प्रभात शास्त्री राष्ट्रभाषा के प्रति समर्पित संस्कृतज्ञ थे I वे सन १९७५ से सन १९९९ तक सम्मेलन के प्रधानमंत्री थे I इस कालावधि में उनहोंने सम्मेलन का चतुर्दिक विकास किया I और इसी लिए उन्हें 'सम्मेलन के उन्नायक ' नाम से अभिहित किया जाता है | संस्कृत साहित्य के साथ-साथ पं॰ प्रभात शास्त्री की अभिरुचि हिंदी के प्रति अतीव विकासोन्मुखी रही थी। 1910 ई0 में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' की स्थापना के बाद हिंदी के महाप्राण राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन के सान्निध्य में आकर पं.प्रभात शास्त्री सक्रिय रूप में सम्मेलन-कार्यो से सम्पृक्त हो चुके थे। वे 1948 में सम्मेलन के प्रचारमन्त्री बने थे। तब उन्होंने देश के कई प्रान्तों में सम्मेलन की शाखा-प्रशाखाओं के विकास करने तथा प्रान्तीय सम्मेलनों के आयोजन में अपना श्लाघ्य योगदान किया था। निष्ठा और सांघटनिक कौशल के बल पर वे सम्मेलन के प्रधानमंत्री पद पर आजीवन अधिष्ठित रहे। . बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य के बीच समानता

प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): संस्कृत भाषा

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

प्रभात शास्त्री और संस्कृत भाषा · संस्कृत भाषा और संस्कृत साहित्य · और देखें »

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प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य के बीच तुलना

प्रभात शास्त्री 6 संबंध है और संस्कृत साहित्य 109 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.87% है = 1 / (6 + 109)।

संदर्भ

यह लेख प्रभात शास्त्री और संस्कृत साहित्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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