1 संबंध: प्रकाशन।
प्रकाशन
प्रकाशन निर्माण की वह प्रक्रिया है जिसके द्बारा साहित्य या सूचना को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। अनेक बार लेखक स्वयं ही पुस्तक का प्रकाशक भी होता है। प्रकाशन का शाब्दिक अर्थ है 'प्रकाश में लाना'। यह संस्कृत की "प्रकश" धातु से बना है, जिसका अर्थ है फलाना, विकसित करना। उसी से बना 'प्रकाशन', जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ फैलाने या विकसित करने की क्रिया। आधुनिक संदर्भ में इसकी परिभाषा यों की जा सकती है: लिखित विषय का चुनाव, मुद्रण और वितरण। प्रकाशन का कार्य आज के युग में मुद्रण और कागज पर पूर्णत: निर्भर है, यद्यपि यह दोनों ही चीज़ों से पुराना है। .
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