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प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान के बीच अंतर

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान vs. मनोविज्ञान

मनोविज्ञान में प्रकार्यवाद (functionalism) एक ऐसा स्कूल या सम्प्रदाय है जिसकी उत्पत्ति संरचनावाद के वर्णनात्मक तथा विश्लेषणात्मक उपागम के विरोध में हुआ। विलियम जेम्स (1842-1910) द्वारा प्रकार्यवाद की स्थापना अमरीका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में की गयी थी। परन्तु इसका विकास शिकागो विश्वविद्यालय में जान डीवी (1859-1952) जेम्स आर एंजिल (1867-1949) तथा हार्वे ए॰ कार (1873-1954) के द्वारा तथा कोलम्बिया विश्वविद्यालय के ई॰एल॰ थार्नडाइक तथा आर॰एफ॰ बुडवर्थ के योगदानों से हुयी। प्रकार्यवाद में मुख्यतः दो बातों पर प्रकाश डाला- व्यक्ति क्या करते है? तथा व्यक्ति क्यों कोई व्यवहार करते है? वुडवर्थ (1948) के अनुसार इन दोनों प्रश्नों का उत्तर ढूढ़ने वाले मनोविज्ञान को प्रकार्यवाद कहा जाता है। प्रकार्यवाद में चेतना को उसके विभिन्न तत्वों के रूप में विश्लेषण करने पर बल नहीं डाला जाता बल्कि इसमें मानसिक क्रिया या अनुकूल व्यवहार के अध्ययन को महत्व दिया जाता है। अनुकूल व्यवहार में मूलतः प्रत्यक्षण स्मृति, भाव, निर्णय तथा इच्छा आदि का अध्ययन किया जाता है क्योंकि इन प्रक्रियाओं द्वारा व्यक्ति को वातावरण में समायोजन में मदद मिलती है। प्रकार्यवादियों ने साहचर्य के नियमों जैसे समानता का नियम, समीपता का नियम तथा बारंबारता का नियम प्रतिपादित किया जो सीखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बनाता है। कोलम्बिया प्रकार्यवादियों में ई॰एल॰ थार्नडाइक व आर॰एस॰ वुडवर्थ का योगदान सर्वाधिक रहा। थार्नडाइक ने एक पुस्तक 'शिक्षा मनोविज्ञान' लिखी जिसमें इन्होने सीखने के नियम लिखे हैं। थार्नडाइक के अनुसार मनोविज्ञान उद्दीपन-अनुक्रिया (एस॰आर॰) सम्बन्धों के अध्ययन का विज्ञान है। थार्नडाइक ने सीखने के लिये सम्बन्धवाद का सिद्धान्त दिया, जिसके अनुसार सीखने में प्रारम्भ में त्रुटियाँ अधिक होती है किन्तु अभ्यास देने से इन त्रुटियों में धीरे-धीरे कमी आ जाती है। वुडवर्थ ने अन्य प्रकार्यवादियों के समान मनोविज्ञान को चेतन तथा व्यवहार के अध्ययन का विज्ञान माना। इन्होने सीखने की प्रक्रिया को काफी महत्वपूर्ण बताया क्योंकि इससे यह पता चलता है कि सीखने की प्रक्रिया क्यों की गयी। वुडवर्थ ने उद्वीपक-अनुक्रिया के सम्बन्ध में परिवर्तन करते हुये प्राणी की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुये उद्वीपक-प्राणी-अनुक्रिया (S.O.R.) सम्बन्ध को महत्वपूर्ण बताया। . मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान के बीच समानता

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): संरचनावाद, अधिगम

संरचनावाद

संरचनावाद (स्ट्रक्चरलिज्म) मानव विज्ञान की एक ऐसी पद्धति है जो संकेत विज्ञान (यानी संकेतों की एक प्रणाली) और सहजता से परस्पर संबद्ध भागों की एक पद्धति के अनुसार तथ्यों का विश्लेषण करने का प्रयास करती है। स्वीडन के प्रसिद्ध भाषाविद फर्दिनान्द द सस्यूर (Ferdinand de Saussure) इसके प्रवर्तक माने जाते हैं, जिन्हें हिन्दी में सस्यूर नाम से जाना जाता है। तर्क के संरचनावादी तरीके को विभिन्न क्षेत्रों जैसे, नृविज्ञान, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्यिक आलोचना और यहां तक कि वास्तुकला में भी लागू किया गया है। इसने एक विधि के रूप में नहीं बल्कि एक बौद्धिक आंदोलन के रूप में संरचनावाद की भोर में प्रवेश किया, जो 1960 के दशक में फ्रांस में अस्तित्ववाद की जगह लेने आया था। 1970 के दशक में, यह आलोचकों के आन्तरिक गुस्से का शिकार हुआ, जिन्होंने इस पर बहुत ही 'अनमनीय' तथा 'अनैतिहासिक' होने का आरोप लगाया। हालांकि, संरचनावाद के कई समर्थकों, जैसे कि जैक्स लेकन ने महाद्वीपीय मान्यताओं और इसके आलोचकों की मूल धारणाओं पर ज़ोर देकर प्रभाव डालना शुरू किया कि उत्तर-संरचनावाद, संरचनावाद की निरंतरता है।जॉन स्टुरॉक, स्ट्रक्चरालिज़म एण्ड सिंस, परिचय.

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अधिगम

सीखना या अधिगम (जर्मन: Lernen, learning) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया को मनोविज्ञान में सीखना कहते हैं। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाऐं एवं उपक्रियाऐं करता है। अतः सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया है। उदाहरणार्थ - छोटे बालक के सामने जलता दीपक ले जानेपर वह दीपक की लौ को पकड़ने का प्रयास करता है। इस प्रयास में उसका हाथ जलने लगता है। वह हाथ को पीछे खींच लेता है। पुनः जब कभी उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर लौ पकड़ने के लिए, हाथ नहीं बढ़ाता है, वरन् उससे दूर हो जाता है। इसीविचार को स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करना कहते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि अनुभव के आधार पर बालक के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान के बीच तुलना

प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान 10 संबंध है और मनोविज्ञान 54 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.12% है = 2 / (10 + 54)।

संदर्भ

यह लेख प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान और मनोविज्ञान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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