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पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क के बीच अंतर

पोपटी आर. हीरानंदाणी vs. मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क

पोपटी आर. मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार पोपटी आर. हीरानंदाणी द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क के बीच समानता

पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भारतीय साहित्य अकादमी, सिन्धी भाषा, आत्मकथा

भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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आत्मकथा

आत्मकथा हिंदी गद्य की एक विधा है जिसमें लेखक अपनी ही कथा स्मृतियों के आधार पर लिखता है। आत्मकथा में निष्पक्षता जरूरी है। इसे काल्पनिक बातों और घटनाओं से बचाना भी जरूरी है और रोचकता भी बनाए रखने की जरूरी है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क के बीच तुलना

पोपटी आर. हीरानंदाणी 5 संबंध है और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 25.00% है = 3 / (5 + 7)।

संदर्भ

यह लेख पोपटी आर. हीरानंदाणी और मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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