पृथ्वी और समुद्र तल के बीच समानता
पृथ्वी और समुद्र तल आम में 9 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): एल नीनो, प्लेट विवर्तनिकी, बाढ़, भूपर्पटी, समुद्र तल, सूनामी, जल, जलवायु परिवर्तन, ज्वार-भाटा।
एल नीनो
दक्षिण प्रशांत महासागर का औसत परिसंचरणऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को एल नीनो (अल नीनो या अल निनो) कहा जाता है। यह दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित ईक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है। इससे परिणाम स्वरूप समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। इसका विस्तार ३°दक्षिण से १८°दक्षिण अक्षांश तक रहता है| .
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प्लेट विवर्तनिकी
प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। साथ ही महाद्वीपों, महासागरों और पर्वतों के रूप में धरातलीय उच्चावच के निर्माण तथा भूकम्प और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं के भौगोलिक वितरण की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। यह सिद्धान्त बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अभिकल्पित महाद्वीपीय विस्थापन नामक संकल्पना से विकसित हुआ जब 1960 के दशक में ऐसे नवीन साक्ष्यों की खोज हुई जिनसे महाद्वीपों के स्थिर होने की बजाय गतिशील होने की अवधारणा को बल मिला। इन साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण हैं पुराचुम्बकत्व से सम्बन्धित साक्ष्य जिनसे सागर नितल प्रसरण की पुष्टि हुई। हैरी हेस के द्वारा सागर नितल प्रसरण की खोज से इस सिद्धान्त का प्रतिपादन आरंभ माना जाता है और विल्सन, मॉर्गन, मैकेंज़ी, ओलिवर, पार्कर इत्यादि विद्वानों ने इसके पक्ष में प्रमाण उपलब्ध कराते हुए इसके संवर्धन में योगदान किया। इस सिद्धान्त अनुसार पृथ्वी की ऊपरी लगभग 80 से 100 कि॰मी॰ मोटी परत, जिसे स्थलमण्डल कहा जाता है, और जिसमें भूपर्पटी और भूप्रावार के ऊपरी हिस्से का भाग शामिल हैं, कई टुकड़ों में टूटी हुई है जिन्हें प्लेट कहा जाता है। ये प्लेटें नीचे स्थित एस्थेनोस्फीयर की अर्धपिघलित परत पर तैर रहीं हैं और सामान्यतया लगभग 10-40 मिमी/वर्ष की गति से गतिशील हैं हालाँकि इनमें कुछ की गति 160 मिमी/वर्ष भी है। इन्ही प्लेटों के गतिशील होने से पृथ्वी के वर्तमान धरातलीय स्वरूप की उत्पत्ति और पर्वत निर्माण की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है और यह भी देखा गया है कि प्रायः भूकम्प इन प्लेटों की सीमाओं पर ही आते हैं और ज्वालामुखी भी इन्हीं प्लेट सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं। प्लेट विवर्तनिकी में विवर्तनिकी (लातीन:tectonicus) शब्द यूनानी भाषा के τεκτονικός से बना है जिसका अर्थ निर्माण से सम्बंधित है। छोटी प्लेट्स की संख्या में भी कई मतान्तर हैं परन्तु सामान्यतः इनकी संख्या 100 से भी अधिक स्वीकार की जाती है। .
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बाढ़
बिहार में बाढ का प्रकोप बाढ से घिरे लोग बाढ के कारण पलायन को मजबूर ग्रामीण बाढ़ बहुतायत या अधिक मात्रा में पानी का एकत्र हो जाना है। सामान्यत: यह पानी बहता भी रहता है। .
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भूपर्पटी
भूपर्पटी या क्रस्ट (अंग्रेज़ी: crust) भूविज्ञान में किसी पथरीले ग्रह या प्राकृतिक उपग्रह की सबसे ऊपर की ठोस परत को कहते हैं। यह जिस सामग्री का बना होता है वह इसके नीचे की भूप्रावार (मैन्टल) कहलाई जाने वाली परत से रसायनिक तौर पर भिन्न होती है। हमारे सौरमंडल में पृथ्वी, शुक्र, बुध, मंगल, चन्द्रमा, आयो और कुछ अन्य खगोलीय पिण्डों के भूपटल ज़्यादातर ज्वालामुखीय प्रक्रियाओं में बने हैं (यानि अंदर से उगले गये हैं)।, pp.
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समुद्र तल
समुद्र तल से ऊँचाई दिखाता एक बोर्ड समुद्र तल या औसत समुद्र तल (अंग्रेज़ी:Mean sea level) समुद्र के जल के उपरी सतह की औसत ऊँचाई का मान होता है। इसकी गणना ज्वार-भाटे के कारण होने वाले समुद्री सतह के उतार चढ़ाव का लंबे समय तक प्रेक्षण करके उसका औसत निकाल कर की जाती है। इसे समुद्र तल से ऊँचाई (MSL-Metres above sea level) में व्यक्त किया जाता है। इसका प्रयोग धरातल पर स्थित बिंदुओं की ऊँचाई मापने के लिये सन्दर्भ तल के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग उड्डयन में भी होता है। उड्डयन में समुद्र की सतह पर वायुमण्डलीय दाब को वायुयानों के उड़ान की उँचाई के सन्दर्भ (डैटम) के रूप में उपयोग किया जाता है। .
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सूनामी
हिन्द महासागर में २००४ में आये भूकम्प और सुनामी के दौरान थाईलैण्ड के क्रबी प्रान्त के आओ-नांग नामक स्थान पर लिया गया चित्र। समुद्री तूफ़ान - को जापानी भाषा में सूनामी (津波, अथवा) बोलते हैं, यानी बन्दरगाह के निकट की लहर। दरअसल ये बहुत लम्बी - यानी सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई वाली होती हैं, यानी कि लहरों के निचले हिस्सों के बीच का फ़ासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है। पर जब ये तट के पास आती हैं, तो लहरों का निचला हिस्सा ज़मीन को छूने लगता है,- इनकी गति कम हो जाती है और ऊँचाई बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब ये तट से टक्कर मारती हैं तो तबाही होती है। गति 420 किलोमीटर प्रति घण्टा तक और ऊँचाई 10 से 18 मीटर तक। यानी खारे पानी की चलती दीवार। अक्सर समुद्री भूकम्पों की वजह से ये तूफ़ान पैदा होते हैं। प्रशान्त महासागर में बहुत आम हैं, पर बंगाल की खाड़ी, हिन्द महासागर व अरब सागर में नहीं। इसीलिए शायद भारतीय भाषाओं में इनके लिए विशिष्ट नाम नहीं है। .
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जल
जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.
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जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। जलवायु की दशाओं में यह बदलाव प्राकृतिक भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी। ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन को मनुष्य की क्रियाओं का परिणाम माना जा रहा है जो औद्योगिक क्रांति के बाद मनुष्य द्वारा उद्योगों से निःसृत कार्बन डाई आक्साइड आदि गैसों के वायुमण्डल में अधिक मात्रा में बढ़ जाने का परिणाम है। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में वैज्ञानिक लगातार आगाह करते आ रहे हैं .
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ज्वार-भाटा
धरती पर स्थित सागरों के जल-स्तर का सामान्य-स्तर से ऊपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है। ज्वार-भाटा की घटना केवल सागर पर ही लागू नहीं होती बल्कि उन सभी चीजों पर लागू होतीं हैं जिन पर समय एवं स्थान के साथ परिवर्तनशील गुरुत्व बल लगता है। (जैसे ठोस जमीन पर भी) पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या पृथ्वी और समुद्र तल लगती में
- यह आम पृथ्वी और समुद्र तल में है क्या
- पृथ्वी और समुद्र तल के बीच समानता
पृथ्वी और समुद्र तल के बीच तुलना
पृथ्वी 110 संबंध है और समुद्र तल 23 है। वे आम 9 में है, समानता सूचकांक 6.77% है = 9 / (110 + 23)।
संदर्भ
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