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पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान के बीच अंतर

पुनर्जागरण vs. समुद्र विज्ञान

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।. समुद्र विज्ञान (Oceanography या oceanology या marine science) भूविज्ञान की एक शाखा है जो समुद्रों का अध्ययन करती है। इसके अन्तर्गत समुद्र, तटीय क्षेत्र, एस्ट्युरीज (नदी मुख), तटीय जल, शेलव्ज और ओशन बेड, समुद्री जीवों, समुद्री धाराओं, तरंगों, भूभौतिकीय तरलगतिकी एवं अनेक अन्यान्य विषयों का अध्ययन किया जता है। इसमें जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, जिओलोजी, भौतिकी आदि सबकी आवश्यकता पड़ती है। इस क्षेत्र में काम करने वालों को ओशनोग्राफर कहते हैं। ओशियनोग्राफी वह विज्ञान है जिसमें सागरों तथा महासागरों के हरपहलू का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। ओशियनोग्राफी में समुद्र, उसके तट, समुद्री शाखाओं से लेकर कोस्टल वाटरऔर समुद्री चट्टानों की गहराई का जायजा लेना होता है। ओशियनोग्राफी कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासाओं का समंदरहै। महासागरमें ढेरों जानकारी के खजाने छिपे हैं जिनके रहस्य पर से परदा उठना बाकी है। इस काम में समुद्र के भीतर घंटों गुजारकर सेंपल जुटाना, सर्वे करना, डाटा विश्लेषित करना होता है। यह खोज आधारित क्षेत्र है इसलिए इसमें काम करने वाले लोगों को समुद्र के आस-पास के इलाकों में लंबा समय गुजारना पड़ता है। ओशियनोग्राफर महासागरों व कोस्टल वाटर के रहस्य बारीकी से जाँचता है। वह महासागरीय जल की गति, जल के वितरण और उसके फिजिकल व केमिकल गुण व लक्षण का अध्ययन करता है औरयह जानने की कोशिश करता है कि इनका समुद्र के तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों और जलवायु परक्या असर पड़ता है। यह क्षेत्र शोध आधारित है जहां एक लंबा समय समुद्री उथल-पुथल के बीच बिताना होता है। मिलने वाली चुनौतियों व खतरों के करीब से गुजरना होता है। .

पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान के बीच समानता

पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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जीव विज्ञान

जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है। जीवविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। 'बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने १८०२ ई० में किया। जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान के बीच तुलना

पुनर्जागरण 55 संबंध है और समुद्र विज्ञान 11 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 4.55% है = 3 / (55 + 11)।

संदर्भ

यह लेख पुनर्जागरण और समुद्र विज्ञान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: