पितृमेध और विष्णु धर्मसूत्र
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पितृमेध और विष्णु धर्मसूत्र के बीच अंतर
पितृमेध vs. विष्णु धर्मसूत्र
पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है। यह प्रत्एक हिंदू के लिए आवश्यक है। केवल संन्यासी-महात्माओं के लिए—निरग्रि होने के कारण शरीर छूट जाने पर भूमिसमाधि या जलसमाधि आदि देने का विधान है। कहीं-कहीं संन्यासी का भी दाह-संस्कार किया जाता है और उसमें कोई दोष नहीं माना जाता है। . विष्णु धर्मसूत्र विष्णु धर्मसूत्र को 'विष्णु स्मृति' अथवा 'वैष्णव धर्मशास्त्र' भी कहते है। इसमें 100 अध्याय हैं जिनमें से कुछ अध्याय अत्यंत संक्षिप्त हैं। उनमें एक–एक पद्य और एक–एक सूत्र मात्र ही हैं। प्रथम और अन्तिम अध्याय पूर्णतया पद्यात्मक हैं। .
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संदर्भ
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