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पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर के बीच अंतर

पल्लव राजवंश vs. महाबलिपुरम के तट मन्दिर

पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग ६०० वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। बोधिधर्म इसी राजवंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे। . तटीय मन्दिर (७००-७२८ ई. में निर्मित) को ये नाम इसलिये मिला क्योंकि ये बंगाल की खाड़ी के तट पर ही स्थित हैं। इस मंदिर को दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में माना जाता है जिसका संबंध आठवीं शताब्दी से है। यह मंदिर द्रविड वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। यहां तीन मंदिर हैं। बीच में भगवान विष्णु का मंदिर है जिसके दोनों तरफ से शिव मंदिर हैं। मंदिर से टकराती सागर की लहरें एक अनोखा दृश्य उपस्थित करती हैं। .

पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर के बीच समानता

पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नरसिंहवर्मन १, महाबलिपुरम, विष्णु

नरसिंहवर्मन १

नरसिंहवर्मन् १ पल्लव राजवंश का राजा। इसने ६३० से ६६८ तक राज किया। इसने महाबलिपुरम में अपने पिता महेन्द्रवर्मन् के आरम्भ किये निर्माण महाबलिपुरम के तट मन्दिर परिसर को पूरा किया। यह मल्ल भी था इसीलिये इसे ममल्लन् बी कहते हैं और महाबलिपुरम् को ममल्लपुरम् भी कहते हैं।.

नरसिंहवर्मन १ और पल्लव राजवंश · नरसिंहवर्मन १ और महाबलिपुरम के तट मन्दिर · और देखें »

महाबलिपुरम

मंदिरों का शहर महाबलीपुरम तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। प्रांरभ में इस शहर को मामल्लापुरम कहा जाता था। तमिलनाडु का यह प्राचीन शहर अपने भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। सातवीं शताब्दी में यह शहर पल्लव राजाओं की राजधानी था। द्रविड वास्तुकला की दृष्टि से यह शहर अग्रणी स्थान रखता है। .

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विष्णु

वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय, अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं। पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। कामदेव विष्णु जी का पुत्र था। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं। वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म (कमल), अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी),ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं। शेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, छंब पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में। .

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पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर के बीच तुलना

पल्लव राजवंश 34 संबंध है और महाबलिपुरम के तट मन्दिर 16 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.00% है = 3 / (34 + 16)।

संदर्भ

यह लेख पल्लव राजवंश और महाबलिपुरम के तट मन्दिर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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